सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१७५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मींडक ३६३४ मीठा जगे, 'मा' के उपरात 'म' का अयमा नि' के उपरात 'ग' का मीच गई जर वीच ही विरहानल को झार । मतिराम उच्चारण करने में भी मीड का प्रयोग हो सकता और होता शब्द०)। है । स्वगे को मूर्छनायो का उच्चारण मी की महायता से ही मोचना - क्रि० स० [ स० मिप (= झपकना) या मिच्छ (= रोकना)] होता है। देशी बाजो मे मे वीन, रवाब, सरोद, सितार, (आँखें) बद करना । मूंदना। मार गा आदि मे मीड बहुत अच्छी तरह निकाली जाती है, पर मोचु -सज्ञा स्त्री० [सं० मृत्यु, प्रा० मिच्चु ] मृत्यु । मौत । पियानो और हारमोनियम याद अगरेजी ग के बाजो मे यह मीजना-क्रि० स० [सं० मर्दन ] दे० 'मीजना' । किमी प्रकार निकल ही नहीं सकती। विद्वानो का यह भी मत हैं कि मीड निकालन के लिये स्त्रियो के कठ को अपेक्षा पुरुपो मीजा-सज्ञा स्त्री० [अ० मिजाज ] १ अनुकूलना । २ स्वभाव । का कठ बहुत अधिक उपयुक्त होता है, और इसका कारण यह मुहा०—मीजा पटना या मिलना = दो व्यक्तियो का परस्पर है कि पुरुपो की स्वरनालिका स्त्रियो को स्वरनालिका की अपेक्षा मेल जोल होना । स्वभाव मिलने के कारण मेल होना। अधिक लवी होती है। ३ समति । राय। क्रि० प्र०-लेना। मॉडक - सज्ञा पुं० [हिं० मेढक ] दे० 'मेढक' । उ०—(क) मन मीडक मारिये सका सरन निवारि ।-दादू०, पृ. १५१ । मोजान-सज्ञा स्त्री० [अ०] १ तुला । तराजू । २ तुला राशि । (ख) मान कियोडी महल ज्यू बुगला ज्यू कम बोल । मावडियो ३ कुल सख्यानो का योग । जोड । (गणित)। घर मीडको पुरुखपणारी पोल 1-वॉकी० ग्र०, भा० २, क्रि० प्र०—देना ।- लगाना । पृ० २३ । यौ०-मीजान मिलना = जमा खर्च का जोड वरावर होना । मीडना'-क्रि० म० [ हिं० महिना ] १ हाथो से मलना । ममलना । ४ दे० 'मीजा'। जमे, घाटा मीडना । २ (आँखें) मलना । बार बार मीटना-क्रि० प्र० [हिं० ] दे० 'मोचना' । ( आम ) दवाना । उ –मो वह आँख मीडि मीडि क फिर मीटर-सज्ञा पुं० [अ० ] वह यत्र या मशीन जो व्यय किए गए फिरि के देखन लाग्यो, जो मोको यह भ्रम तो नहो भयो।- पानी या बिजली आदि की मात्रा बतलाती है। दो मौ बावन०, भा०२, पृ० ६ । मीटिंग-सज्ञा सी० [अ० ] परामर्श आदि के लिये एक स्थान पर मोडासीगी-मज्ञा सी० [हिं० ] दे० 'मेंढासीगी। बहुत से लोगों का जमावडा । अधिवेशन । सभा। मीत-वि० [ स० भत्त ] दे० 'मत्त' । उ०—मनो मतवार लर रस मीठ - वि० [ म० मिष्ट, प्रा० मिट्ठ ] प्रिय । रुचिकर । मधुर । मीत ।-पृ० रा०, ६१ । ६४० । दे० 'मीठा-६' । उ.--मीठ बहुत सतनाम है पियत निकार मीयों-सञ्ज्ञा पुं० [फा० मियाँ ] दे० 'मियां' । उ०-मीयां मैंढा आव जान ।-पलटू०, भा० १, पृ०६ । घरि, वाढी बत्ता लोइ ।-दादू. पृ० ६३ । मोठम-वि० [सं० मिष्ट + तम (प्रत्य॰)] द° 'मीठा-१। मीयाद–सञ्चा सी० [अ०] १ किमी कार्य की ममाप्ति आदि के उ०—ऊख गिरी धर ऊपर, पल खांडाँमय प्राव । तूबा लिये नियत ममय । अवधि । मीठम होय तो, सूवां, होय मवाव ।—बांकी० ग्र०, भा० ३, क्रि० प्र० - गुजरना । -बढ़ना ।-बढ़ाना । -बीतना। पृ० ८१। २ कारागार के दद का काल | कैद की अवथि। मीठा'-वि० [ स० मिष्ट, प्रा० मिह] [वि० स्त्री० मीठी १ जो मुहा०-मीयाद काटना = कारागार का दड भोगना। स्वाद मे मयुर और प्रिय हो। चीना या शहद आदि के स्वाद- भुगतना । मीनाद बोलना = कारावाम का दड देना। कंद की वाला । 'खट्टा' या 'नमकीन' का उलटा। मधुर । जैसे,—(क) सजा देना। जितना गुड डालोगे उतना, मीठा होगा। (ख) यह श्राम बहुत मीआदी-वि० [हिं० मीयाद + ई (प्रत्य० ) ] १ जिसके लिये कोई मीठा है। ममय या अवधि निश्चित हो जैसे, मीगादी हुडी। मुहा०–मीठा और कठौता भर = अच्छा भी और अधिक भी। यो०-मं प्रादी बुखार = एक प्रकार का ज्वर जो दो सप्ताह से जो चीज अच्छी होती है वह अधिक मात्रा मे नही मिलती । लेकर छह सप्ताह तक चलता है । उ.-मीठो अरु कठवति भरो रौताई अरु खेम । -तुलसी २ जो कारागार मे रह चुका हो । जो जेलखाने मे रहकर ग्र०, पृ. ८८ | मीठा होना=किसी प्रकार के लाभ या मानद आदि की प्राप्ति होना। अपने पक्ष मे कुछ भलाई होना । भुगत चुका हो । जैसे, मीयादी चोर । जैसे, हमें ऐसा क्या मीठा है, जो हम नित्य दौड दौडकर मोबादी हु डी-मज्ञा पी० [हिं० मीयादी + हुँढी ] वह हुडी जिसका तुम्हारे पाम आया करें। रपया तुरत न देना पड़े, बल्कि एक नियत ममय या अवधि पर २ जिसका स्वाद बहुत अच्छा हो। स्वादिष्ट । जायकेदार । देना पडे । वह हुडी जो मिति पूजने पर भुगताई जाय । जैसे, मीठा मीठा हप, कडा कडुआ थू । ३ धीमा । मुस्त । मीच-मण • [ म० मृत्यु, प्रा० मिच्चु ] मृत्यु । मौत । उ०- जैसे,—यह घोडा कुछ मीठा चलता है। ४ जो बहुत अच्छा सजा मजा -