पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१८९

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- इदिखरावनी मुअत्तली मुँहदिखरावनील-सज्ञो स्त्री० [हिं० मुंह+दिखराना ] दे॰ 'मुह मुंहलगा-वि० [ मुंह + लगना ] सिरचढा । शोख । ढीठ । दिखाई। क्रि ०प्र०—लेना । —देना । मुँहदिखलाई -सञ्चा सी० [हिं० मुंह+दिखलामा ] दे० 'मुह मुहमोगा-वि० [हिं० मुह+मांगना ] अपनी इच्छा के अनुसार । दिखाई। अपने मांगने के अनुमार । इच्छानुकूल । जैसे, मुंहमांगा वर मुँहदिखाई-सज्ञा स्त्री० [हिं० मुंह + दिखाई ] १ नई वधू का मुंह पाना, मुहमांगी मुराद पाना, मुहमांगा दाम पाना। उ०- देखने की रस्म । मुंहदेसनी। २ वह धन जो मुंह देखने पर (क) मुहमांगी मौत नहीं मिलती। (कहाः) । (ख) शुभे, ववू को दिया जाय। और क्या कहूं, मिले मुंहमांगा तुझको । माक्त, पृ० ४०६ । मुंहदेखनी -सज्ञा स्त्री० [हिं० ] दे॰ 'मुहदिखाई। मुहाचही-मशा सी० [हिं० मुह + चाहना ] परस्पर की प्रेम- मुँहदेखा-वि० [हिं० मुंह+ देखा ] [ सी० मुहदेखी ] १ केवल पूर्ण वात । प्रेमी प्रेमिका का एक दूसरे से बालचाल करना । सामना होने पर होनेवाला ( काम या व्यवहार )। जो हार्दिक उ०-मुहाचही जुवतिन तब कीनी।-सूर० ( राधा० ), या प्रातरिक न हो । जो किसी को केवल सतुष्ट या प्रसन्न करने पद १२६७ । के लिये हो। जैसे, मुहदेखी वात । २ सदा प्राजा की प्रतीक्षा मुहाचुहारशा पुं० [हिं० ] मुंह देने की बात । चुभने या मे रहनवाला । सदा मुंह ताकता रहनेवाला। लगनेवाली वात । उ०-नृपति वचन यह मवान मुनायो। मुँहनाल -सज्ञा स्त्री० [हिं० मुंह+नाल ( = नली)] १ धातु की मुंहाचुही सनापति कीन्ही सकटें गर्व बढायौ।- बनी हुई वह नली जो हुक्के को सटक या नैचा आदि के अगले सूर०, १०॥६१ । भाग मे लगा देते हैं और जिसे मुंह मे लगाकर धूआँ खींचते मुँहामुंह-क्रि० वि० [हिं० मुह + मुह ] मुह तक । अदर से हैं। २ धातु का वह टुकडा जो म्यान के सिरे पर लगा वलकुन ऊपर तक । लबाला । भरपूर । जैसे,—(क) गगरा होता है। मुहाभुह तो भरा है, और पानी क्यो गलते हो ? (ख) अव की मुँहपटा-सझा पु० [हिं० मुह+ म०पट्टा ] घोडे के मुंह पर लगाया एक ही वपा मे तालाब मुहामुह भर गया। जानवाला एक साज जिस सिरवद भी कहते हैं। मुंहासा-सज्ञा ॰ [हि० मुह + अासा (प्रत्य॰)] मुह पर के वे दाने मुँहपड़ा-तज्ञा पुं० [हि० मुह+पडना ] वह जो सब लोगो के मुंह या फुसियाँ जा युवावस्था मे निकलता है और यौवन का पर हो । प्रसिद्ध । मशहूर । (क्व०)। चिह्न मानी जाता है । जैसे,—यूढे मुंह मुहासे, लोग देखें मुंहपातर-वि० [हिं० मुंह+पातर (= पतला) ] मुंह का तमामे । (कहा०)। हलका । ।कसा मुनी हुई गोप्य बात को दूसरे से कह देनवाला। विशेष-मुंहासो ये निकनने से चेहरा कुछ भद्दा हो जाता है । इन्हें मुँहफट-वि० [हिं० मुह + फटना] जो अपनी जबान को वश में 'ढाडमा' भा कहते हैं । ये केवल युवावस्था म ही २० से २५ वप न रख सके और जो कुछ मुह मे आवे कह दे । ओछी या कटु तक प्रकट होते हैं, इसके पूर्व या पर बहुत कम रहते है । बात कहने मे सकोच न करनेवाला। जिसकी वाणी सयत न मु - मज्ञा पुं० [सं०] १ महेश । २ वधन । ३ प्रौदैहिक चिता । हो । वालने मे इस बात का विचार न करनेवाला कि कोई बात ४. लालमायुक्त भूरा वा गिल रग। ५. मुक्ति । मोक्ष (को०] । किसी को बुरी लगेगी या भली। बदजबान । मुअज्जन-सशा पु० [अ० मुअज्ज़न ] वह जो मसजिद मे नमाज मुंहबद-वि० [हिं० मुह+ ब द ] १ जिसका मुंह वद हो, खुला न के समय प्रजान देता है। नमाज के लिये सब लोगो को हो । जसे, मुंहवद वोतल । २. अविकसित । जो खिला न हो पुकारनेवाला। ३ (प्रारी । अक्षतयोनि । (बाजारू)। मुअज्जम-वि० [अ० मुअज्जम] [वि॰ स्त्री० मुअज्जमा] पूज्य । बुर्जुग । मुंहबंधा-सचा पु० [हिं० मुह + बंधना ] एक प्रकार के जैन साधु महान् । श्रेष्ट । उo-मुअज्जम इसमे अंगाली हमेहा । वलियां जो प्राय मुंह पर कपडा वाँवे रहते है । मव मिल किये हैं दर वजोका ।-दक्खिनी०, पृ० ११४ । मुँहबोला-वि० [हि० मुंह + बोलना ] (सववी) जो वास्तविक न मुअजिज -वि० [अ० मुअजिज प्रतिष्ठेत । इज्जतदार । हो, केवल मुंह से कहकर बनाया गया हो। वचन द्वारा मुअज्जिन-सज्ञा पु० [अ० मुअग्जिन ] दे० 'मुग्रजन'। उ०—बजी निरूपित । जैसे, मुंहबोला भाई, मुंहबोली बेटी। न मदिर मे घडियाली, चढी न प्रतिमा पर माला, बैठा भपने मुँहभर-क्रि० वि० [हिं० ] अच्छी तरह । ठीक ढग से । जैसे, भवन मुअजिन देकर मस्जिद में ताला ।-मधुशाला, पृ० २० । मुंहभर बोलना या बात करना । मुअत्तल-वि० [अ० ] १ जिसके पास काम न हो। खाली। २ मुँहभराई-सक्षा स्त्री० [मुह + भरना + आई (प्रत्य॰)] १ मुंह जो काम से कुछ समय के लिये, दडस्वरूप, अलग कर दिया भरने की क्रिया या भाव । २. वह धन प्रादि जो किसी का मुंह गया हो। वद करने के लिये, उसे कुछ कहने या करने से रोकने के लिये, क्रि० प्र०—करना ।—होना । दिया जाय । रिश्वत । घूस । मुअत्तली-सज्ञा स्त्री० [अ० मुथत्त ता+ई (प्रत्य०) ] १ मुमत्तल