पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१९०

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३६४६ मुकत मुश्रद्दद 1 त्सक। जाती है। होने का भाव । वेकारी । २ काम से बुध दिन के लिये अलग क्रि० प्र०-फरना। रखना। कर दिया जाना। मुआफी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० मुश्राफी ] दे० 'माफी'। मुअहद-वि० [अ० ] गणित । गिना या शुमार किया हुआ । मुआफीनामा-सञ्ज्ञा पुं० [अ० मुश्राफीनामह ] माफीनामा । क्षमा- मुद्दव-वि० [अ० ] शिष्ट । अदबवालः । सभ्य [को०) । पत्र । उ०—जब सरकार प्रापको मुग्राफ कर देगी तो मुकदमा मुद्दा-वि० [अ० ] अदा किया हुया । शोधित [को०) । कसे चलाएगी। आपको तहरीरी मुग्राफीनामा दिया जायगा ।- गवन, पृ० २८६ । मुअन्नस-सञ्ज्ञा सी० [अ० ] ( व्याकरण मे ) स्त्रीलिंग । मुअम्मर-वि० [अ० ] वयोवृद्ध । वडी श्रायुवाला । बूढा । मुआमला-संज्ञा पुं० [अ० मुअामला ] दे० 'मामला' । मुअम्मा-सञ्ज्ञा पु० [प्र० ] १ रहस्य । भेद । यौ.-मुश्रामलादाँ = मुग्रामले को समझनेवाला । दूरदर्शी। मुथा- मला ना दाँजो मामला न समझे । वेवकूफ । मुश्रामला- मुहा०-मुअम्मा खुलना या हल होना = रहस्य खुलना । भेद फहम, मुश्रामलागनास, मुग्रामलाराज = ८० 'मुग्रामला दां'। प्रकट होना। २, पहेली । उ०-ख्याल के बाहर की बातें भला कोई क्यो कर मुआयना-सज्ञा पुं० [अ० मुश्रायना ] देखभाल। पर्यवेक्षण । जांच तोले । ताकत क्या है, मुअम्मा तेरा कोई हल कर जो ले । पडताल । निरीक्षण । -भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० १६४ । ३ घुमाव फिराव को मुआलिज-एज्ञा पुं० [अ० मुआलिज ] इलाज करनेवाला। चिकि- वात । ऐमी वात जो जल्दी समझ मे न यावे । मुअल्लक-वि० [अ० मुल्लक ] अधर में लटका हुआ। उ०- भुआलिजा-सज्ञा पुं० [अ० मुआलिजह ] इलाज । चिकित्मा । यौ०-इलाज मुशालिजा । उठा उठाकर ले को यूसुफ मुअल्लक । अपम के हात के ऊपर इमलक | -दक्खिनी०, पृ० ३४२ । मुआवजा-संज्ञा पुं० [अ० मुआवजह, ] १ वदला । पलटा । २ वह धन जो किसी कार्य अथवा हानि के बदले मे मिले । ३ वह मुअल्ला-वि० [अ०] १ उत्तु ग। श्रेष्ठ । ऊंचा । पाला । २ उच्च- रकम जो जमीदार को उम जमीन के बदले मे मिलती है, जो पदस्थ । ऊंचे मरतवेवाला। किसी सार्वजनिक काम के लिये कानून की सहायता से ले ली मुअल्लिम-सञ्ज्ञा पु० [अ० मुशल्लिम] [स्त्री॰ मुअल्लिमा] अध्यापक । शिक्षा देनेवाला । शिक्षक । क्रि० प्र०—दिलाना ।—देना ।—पाना ।-मिलना । मुत्रा- मृतफ, प्रा० मुश्रश्र ] [ वि० सी० मुई ] १ मृत । मुआहिदा-सशा पुं० [अ० मुशाहिदा] पक्की बातचीत । दृढ निश्चय । मरा हुथा। गतप्राण। उ०- मुए जिग्राए भालुकपि, अवध विप्र को पूत । सुमिरहु तुलसी ताहि तू जाको मारुति दूत ।- तुलसी ग्र०, पृ० १७६ । २ निगोडा । क्षुद्र । ( वस्तु वा व्यक्ति मुऐयन-[वि० अ०] निगत । मुकर्रर । निश्चित । उ०—कोई उम्मीद वर नहीं पाती। कोई मूरत नजर नहीं पाती। मौत का एक के लिये स्त्रियो द्वारा प्रयुक्त )। उ०-(क) और मुए पहाड पर दिन मुऐयन है । नीद क्यो रात भर नहीं पाती। कविता० रखा ही क्या है आखिर ?--सर० पृ० १५ । (ख) खुदा जाने कौ०, भा० ४, पृ० ४७२ । मुइयां मर्दो पर क्या जादू कर देती है कि विलकुल उनके वस मे हो जाते हैं। -सर०, पृ० १४ । मुकद-सञ्ज्ञा पुं० [ स० मुफ्न्द ] ? कुंदरू । २ प्याज | ३ माठी मुआइना-सशा पु० [अ० मुआइनह ] दे० 'मुग्रायना'। मुआफ-वि० [अ० मुश्राफ] दे॰ 'माफ' । उ०-जब सरकार आपको मुकदक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं० मुकुन्दफ ] प्याज । २ एक प्रकार का मुग्राफ कर देगी तो मुकदमा कैसे चलाएगी। -गवन, पृ० २८६ । मुक-सज्ञा पु० [सं० ] गोमय की गध [को०) । मुश्राफकत-सज्ञा स्त्री॰ [अ० मुश्राफक़त ] १. मुग्राफिक या अनुकूल मुकट-सज्ञा पु० [सं० मुकुट ] दे० 'मुकुट' । उ०-पृडल मडित गह होने का भाव । २ साथ । दोस्ती । मेल जोल । हेल मेल । सुदेश । मनिमय मुकट सु घूघर केश ।-नद० ग्र०, पृ० २६७ । यौ०-मेल मुग्राफकत । मुकटा-संशा पुं० [ देश० ] एक प्रकार की रेशमी धोतो जो प्राय. पूजन या भोजन आदि के समय पहनी जाती है। मुआफिक-वि० [अ० मुश्राफिक ] १ जो विरुद्ध न हो। अनुकूल । २ सदृश । समान । ३ ठोक ठीक । न अधिक, न कम । वरा- मुकट्ट-सज्ञा पुं० [सं० मुकुट ] दे० 'मुकुट' । उ०-मुकुट्टय मयूर वर । ४ मनोनुकूल । इच्छानुसार । चद्र सीसय मुलप्पय ।—पृ० रा०, २१३२८ । मुश्राफिक्त-सशा सी० [अ० मुशाफ़िकत ] १ अनुरूपता। २ मुकत-सञ्चा सी० [ से मुक्ता] द० 'मुक्ता' । उ०—कचन माल, अनुकूलता । ३ मिग्रता। दोस्ती। मुकत को माल । झिलमिलात छवि छती विनान ।-नद० यौ०-मेल मुशाफिफत । ग्र०, पृ०२२२। वि० [ कोल करार । - बान। साठी धान ।