पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२११

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do - सेंत का। मुनिवार्य ३४७० मुवरी मुनिवीर्य-सशा पुं० [सं० ] स्वर्ग के विश्वेदेवा आदि देवतागो के मुफरद-वि० [अ० मुफरट ] किसी से विना मिला हुआ। अकेला । अतगर्त एक देवता । तनहा [को०] । मुनिवृक्ष-सज्ञा पुं० [ ] वम । पतग । मुफलिस-वि० [अ० मुफलिस ] वनहीन । निर्धन । दरिद्र । गरीव । मुनिवृत्ति--वि० [सं० ] मुनिवत् जीवन व्यतीत करनेवाला [को०] । मुफलिसी-मज्ञा स्त्री० [अ० मुफलिसी ] गरीबी। निर्धनता । दरिद्रता । उ०--मुफलिमी और मिजाज ऐ हातिम । वया कया- मुनिव्रत--सज्ञा पुं॰ [ सं० ] तप । तपस्या [को०] । मत करे जो दौलत हो ।-कविता कौ०, भा० ४, पृ० ४४ । मुनिशन्त्र-सज्ञा पु० [सं०] मफेट कुश । मफेद दाभ । मुफसिद-सज्ञा पु० [अ० मुफसिद ] वह जो फमाद खटा करे । मुनिसत्र-सज्ञा पुं० [ म० ] एक यज्ञ का नाम । झगडा या फसाद करनेवाला आदमी। मुनिसुत--संज्ञा पु० [सं० ] दौना । दमनक । मुफस्सल'--वि० [अ० मुफस्सल ] वह जिसकी तफसील की गई हो । मुगिसुव्रत- सज्ञा पु० [सं० ] जैनियो के एक तीर्थंकर का नाम । व्योरेवार । विस्तृत। मुनिहत-मशा पु० [ सं० ] राजा पुष्यमित्र को एक उपाधि । मुफस्सल-सशा पु० किसी केंद्रस्य नगर के चाम ओर के कुछ दूर के मुनींद्र--मशा पु० [ स० मुनीन्द्र ] १ वह जो मुनियो मे इद्र हो । स्थान । जैसे,-मुफस्मल न कई तरह की खबरें पा रही हैं। महान् वा श्रेष्ठ मुनि । २ शिव का एक नाम (को०)। ३ भरत मुफस्सिल-वि० [अ० मुफस्सल ] मव्याश्या । सविवरण | मुफस्सल । मुनि (को०)। ४. बुद्धदेव का एक नाम । ५ पुराणानुसार उ०—कहूंगा मैं किस्सा मुनो सब इता। कहूंगा मुफस्सिल एक दानव का नाम । कहानी जिता।-दक्खिनी०, पृ० १९८ । मुना'--सज्ञा पु० [ स० मुनि ] दे० 'मुनि' । मुफोद-वि० [अ० मुफीद ] फायदेमद । लाभकारी। लाभदायक । मुनो-मझा स्त्री० [हिं० मुनियाँ ] रायमुनी । रैमुनिया । लाल उ० - मगर ये बात हमारे वास्ते मुफीद है ।-श्रीनिवाम ग्र०, पक्षी की मादा । उ०--नवल वधू गोकुल की मुनी। परस पृ० १२४॥ लाल खिलारी गुनी।--घनानद, पृ० २६२ । मुफ्त-वि० [अ० मुफ्त ] जिसमे कुछ मूल्य न लगे । विना दाम का । मुनीव-रशा पु० [हिं० ] दे॰ 'मुनीम' । मुनीम-सशा पु० [अ० मुनीव (= नायव रसनेवाला )] १. नायव । यौ०-मुफ्तखोर = वह व्यक्ति जो दूसरो के धन पर सुखभोग मददगार । सहायक । २. साहूकारो का हिसाव किताब लिखने करे । मुफ्त का माल खानेवाला। मुहा०-मुफ्त में= (१) चिना दाम के । बिना मूल्य दिए या यौ०--मुनीमखाना = वह स्थान जहां किसी कोठो के हिसाब लिए । जैसे,—यह घडी मुझे मुफ्त मे मिली। (२) व्यर्थ । किताब लिखनेवाले मुनीम बैठफर काम करें । वेफायदा। निष्प्रयोजन । जैसे,—(क) मुफ्त मे उसकी जान मुनीर-वि० [अ० ] दीप्त । प्रकाशमान । चमकदार । उ०--वदर ए मुफ्तखोरी-तचा स्त्री० [फा० मुफ्तखोरी ] विना मेहनत किए, दूसरे गई । (ख) मुफ्त मे क्यो हैरान होते हो। मुनीर वेनजीर सीरो खुसरू में ।--नट०, पृ० ७८ । की कमाई खाना । दूसरो के सिर रहना । मुनीश, मुनीश्वर--सञ्ज्ञा पु० [ सं०] १ मुनियो मे श्रेष्ठ। २ बुद्ध- मुफ्तरी–वि० [अ० मुण्तरी ] १ धूर्त । मक्कार । शरीर । २ झूठा देव का एक नाम । ३. वप्पु। अारोप करनेवाला । असत्य इल्जाम लगानवाला [को०] । मुनुप-सज्ञा पु० [ स० मनुष्य ] मानव । मनुष्य । उ०-मुनुप मुफ्ती-मचा सं० [अ० मुफ्ती ] धर्मशास्त्री। फतवा देनवाला । देह उत्तम करी (सु) हरि वोलो हरि वोल |---सु दर ग्र०, धर्माचार्य । मुसलमानो का वह धमशास्रवेत्ता मौलवी जा धार्मिक भा० १, पृ० ३१५। समस्यायो का समाधान प्रश्नोत्तर रूप मे पूछन पर करता है । मुनौविर-वि० [अ० मुनव्वर ] उज्वल । प्रकाशमान । दीप्त । मुफ्ती-वि० [अ० मुफ्त + ई (प्रत्य॰)] जो बिना दाम दिए मिला मुन्ना -सज्ञा पु० [दश०] १. छोटो के लिये प्रमसूचक शब्द । प्रिय । हो । मुफ्त का। प्यारा । उ० - मुन्ना | मैंने तो यह कहा था कि इस मिट्टी मुवतिला-वि० [अ० मुन्तिला ] पकडा हुअा। फमा हुमा । ग्रस्त । के मोर को देख । लक्ष्मणसिंह (शब्द०)। २. तारकशी के कारसाने के वे दोनो खूटे जिनमे जता लगा रहता है । गृहीत । उ०-पाकवत होवेगा क्या मालुम नही । दिल हुआ है मुन्तिला दीदार का । —कविता को०, भा०-४, पृ०६। मुन्नूँ - सज्ञा पुं० [दय०] दे० 'मुन्ना' । विशेप-इस शब्द का व्यवहार प्राय रोग, विपत्ति आदि के सबध मुन्यन्न सज्ञा पुं॰ [ म० ] मुनियो के खाने का अन्न । जैसे तिन्नी का मे ही होता है । जैसे,—(क) वे कई दिनो से बुखार मे मुवतिला चावल यादि। है । (ख) मैं भी आजकल एक श्राफत मे मुवतिला हो गया हूँ। मुन्ययन-सज्ञा पुं० [सं० ] एक प्रकार का यज्ञ । मुवरी-वि० -वि० [अ० मुयरी ] १ बरी किया हुया । मुक्त । २ पवित्र । मुन्यालय-सञ्ज्ञा पुं० [ ] एक प्राचीन तीर्थ का नाम । ३. पृथक् । अलग। ४ नि सग । विरक्त (को०] । वाला। स०