पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२६५

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मैनमय ४०२४ मैनमय-वि० [सं० मदन, हिं० मैन+मय ] कामातुर । कामेच्छा ने एक मैनिफेस्टो निकाला है, जिसमे सरकार की वर्तमान से युक्त । उ-नैन सुख दैन, मन मैनमय लेखियो, केशव दमन नीति की निंदा की गई है, और लोगो से कहा गया है (शब्द०)। कि वे इसके विरुद्ध जोरो का आदोलन करें। मैनरां -सज्ञा पु० [हिं० मैनफर ] दे० 'मैनफल' । मैनेजर-सज्ञा पुं० [अ० ] प्रबधक । व्यवस्थापक । उ०-मैनेजर और मैनशिल-संशा पुं० [ स० मन शिला ] दे० 'मनसिल' । वडे माहव को सलूट देते हैं । -फूलो०, पृ. २४ । मैनसिल-सज्ञा पुं॰ [ स० मन शिला ] एक प्रकार की धातु जो मिट्टी मैमत+-वि० [ स० मदमत्त ] १ मदोन्मत्त । मतवाला । उ०- की तरह पीली होती है और जो नेपाल के पहाडो में बहुतायत कुभ लमत दोउ गज मैमत ।-(शब्द०)। २ सहकारी। से होती है। अभिमानी। उ०-(क) बारि बस गई प्रीति न जानी। तरुन विशेष-वैद्यक मे इसे शोधकर अनेक प्रकार के रोगो पर काम मे भई ममंत भुलानी । —जायसी (शब्द॰) । (ख) अरी ग्वारि लाते हैं और इसे गुरु, वर्णकर, सारक, उष्णवीर्य, कटु, तिक्त, मैमत बचन बोलत जो अनेरो।—सूर (शब्द०)। स्निग्य और विप, श्वाम, कुष्ठ, ज्वर, पाहु, कफ तथा रक्तदोप- मैमत'–वि० [ स० मदमत्त ] दे० 'ममंत' । नाशक मानते है। मैमत@-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० ममत्व ] ममता । पर्वा०-मनोशा । नागजिह्वा । नेपाली । शिला। फल्याणिका । मैया-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० मातृका, प्रा० मातृप्रा, माइया ] माता। रोगशिला । गोना । दिव्यौपधी । कुनटी | मनोगुप्ता । मां । उ०—कहन लागे मोहन मैया मैया ।—सूर (शब्द०)। मैनस्त्रिप्ट-सञ्चा पुं० [अं० ] वह पुस्तक या कागज जो हाथ या कलम से लिखा हुआ हो, छपा हुअा न हो। हस्तलिखित मैयार '-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० मटियार ] एक प्रकार की मटियार जमीन प्रति । पाडुलिपि । मूल हस्तलेख । हस्तलेख । जो बहुत खराब होती है। मैना'- सज्ञा स्त्री० [सं० मदना, प्रा० मयणा] काले रंग का एक प्रसिद्ध मैयार -सज्ञा पुं० [अ० पाठ्यक्रम । कोर्म। पक्षी जिसकी चोच पीली या नारगी रग की होती है और जो मैर-सज्ञा पुं॰ [देश०] सोनारो की एक जाति । सिखाने से मनुष्य की सी वोली बोलने लगती है। यह इसी मैर-सचा सी० [सं० मृदर, प्रा० मिनर (= क्षणिक) ] सांप के विप वोली के लिये प्रसिद्ध है। मदनशलाका । सारिका । सारी । की लहर । उ०—तोहिं बजे विप जाइ चढि पाइ जात मन मैना–संज्ञा स्त्री॰ [ सं० मेनका ] पार्वती जी की माता, मेनका । मैर। वसी तेरे वैर को घर घर सुनियत घर।- रसनिधि मैना'-सज्ञा पुं० [देश॰] १ एक जाति जो राजपूताने मे पाई जाती (शब्द०)। (ख) खेलि के फागु भली विधि सो तन सो दृग है और 'मीना' कहलाती है। उ०-(क) कुच उतग गिरिवर देखिए मर मढी सो।-(शब्द॰) । गही मैना मैन मवास ।--विहारी (शब्द॰) । (ख) सुकवि मैरा-सचा पुं० [स० मयर, प्रा० मयड़ ] खेतो में वह छाया हुआ गुलाव कहै अधिक उपाधिकारी मैना मारि मारि करे अखिल मचान जिसपर बैठकर किसान लोग अपने खेतो की रक्षा अभूत काज ।-गुलाब (शब्द॰) । करते हैं । मैनाक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ पुराणानुसार एक पर्वत का नाम जो मैरीन-सज्ञा पुं॰ [अं०] १ वह सैनिक जो लडाऊ जहाज पर काम हिमालय का पुत्र माना जाता है। कहते हैं, इद्र से डरकर करता हो। २ किसी देश या राष्ट्र की समस्त नौसेना। नौ- यह ममुद्र में जा छिपा था, इस कारण यह अब तक सपक्ष सेना। जलसेना। जैसे, रायल मैरीन । ३ किसी देश के है। लफा जाते समय समुद्र की आज्ञा से इसने हनुमान जी समस्त जहाज । फो प्राश्रय देना चाहा था। उ०—सिंघु वचन सुनि कान तुरत मैरीन—वि० समुद्र मववी। जल सबंधी । नामेना सवधी। जैसे, उठ्यो मनाक तब |-तुलसी (शब्द॰) । मैरीन कोर्ट। पर्या०-हिरण्यनाम । सुनाभ । हिमवत् सुत । मैरेय-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ मदिरा। शराव । २ गुड और धौ के २ हिमालय की एक ऊंची चोटी का नाम । ३ एक दानव । फूल की बनी हुई एक प्रकार की प्राचीन काल की मादरा । मैनाकस्वसा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ मै० मैनाकस्वस् ] पार्वती [को०] । ३ एक मे मिला हुआ पासव और मद्य ।जसमे ऊपर म शद मैनाल-सञ्ज्ञा पुं० [ ] मछुवा (को०] । भी मिला दिया गया हो। मैनावली-सा सी० [स० ] एक वर्णवृत्त जिसका प्रत्येक चरण मैलद-सज्ञा पु० [ स० मलिन्द, प्रा. मलद ] भ्रमर । भौरा । चार तगण का होता है। मैला-वि० [सं० मलिन, प्रा० मइल ] मलिन । मैला । विशेष मैनिक-मा पु० [सं० ] दे० 'मैनाल (को०] । दे० 'मला'। मैनिफेस्टो-सा पुं० [अं॰] किसी व्यक्ति, सस्था या सरकार का मेल'-सचा पुं० १ गर्द, धूल, किट्ट आदि जिसके पडने या जमने से किमी सार्वजनिक विषय, नीति अथवा कार्य पर अभिमत वक्तव्य किसी वस्तु की शोभा या चमक दमक नष्ट हो जाती है । मलिन या घोषणा। वक्तव्य । जैसे,-देश के कितने ही प्रमुख नेतायो करनेवाली वस्तु । मल। गदगी। जैसे,—(क) घडी के पुरजो पर्वत HO 1 ।