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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२६७

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LO ~ मोअजिज ४०२६ मोक्षदात्री व्रजभाषा मे 'मैं' का वह रूप जो उसे कर्ताकारक के अतिरिक्त मोका २--मज्ञा पु० १ ० 'मोखा'। २.८० 'मौका'। और किसी कारक का चिह्न लगने के पहले प्राप्त होता है । मोकामा 1-सज्ञा पुं० [फा० मुकाम ] २० 'मुकाम' । उ०-दरगाह जैसे, मोकों, मोमो, इत्यादि । मे पीर मोकाम सदा, एक मग रहो छोटो दिल दाई।-कबीर० मोजिज-वि० [अ० मुअज्जिज़ ] प्रतिष्ठित । इजतदार । उ०- रे०, पृ० ४१ । मोअजिज हुए खाक खाकी हुए। -कवीर म०, पृ० १३० । मोक्ष--सा पुं० [ ] १ किमी प्रकार के चयन में टूट जाना। मोई -सज्ञा स्त्री० [हिं० मोना ] घी मे सना हुआ आटा जो छोट मोचन । छुटकारा । २ शाम्रो और पुराणो के अनुमार जीव की छपाई के लिये काला रग बनाने मे कमीस और घी के का जन्म और मरण के वचन से छूट जाना । आवागमन से फूलो के काढ़े मे डाला जाता है। रहित हो जाना । मुक्ति । नजात । मोई-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की जडी जो मारवाढ देश मे विशेष-हमारे यहाँ दर्शनो मे कहा गया है कि जीव प्रमान के होती है । कही कही इसे 'ग्वालिया' भी कहते हैं। कारण ही बार बार जन्म लेता और मरता है। इस जन्ममरण मोक-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] केंचुल (को०)। के बधन से छूट जाने का ही नाम मोक्ष है। जब मनुष्य मोच मोकार-सज्ञा पु० [सं० मोक्ष, प्रा० मोक्ख] मुक्ति । छूटना । उ०- प्राप्त कर लेता है, तब फिर उसे इम मसार मे प्राकर उन्म ताकहं कहा मोक हम जाना । जो शरीर के रूप भुलाना । लेने की आवश्यकता नहीं होती। शासकारो ने जीवन के -इद्रा०, पृ० १५६ । चार उद्देश्य बतलाए हैं -धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष । मोकदमा - -सञ्ज्ञा पु० [अ० मुकदमह, ] दे० 'मुकदमा' । इनमे मे मोक्ष परम अभीष्ट अथवा परम पुरुषार्थ कहा गया है । मोकना - क्रि० स० [सं० मुक्त, हिं० मुकना] १ छोडना । परित्याग मोक्ष की प्राप्ति का उपाय प्रात्मतत्व या ब्रह्मतत्व का मानात करना । उ०-कपित स्वास पास अति मोकति ज्यो मृग केहरि करना बतलाया गया है। न्यायदर्शन के अनुसार दुख का कोर । —सूर (शब्द०)। २. क्षिप्त करना। फेंकना। उ०- आत्यंतिक नाश हो मुक्ति या मोक्ष है। सास्य के मत से तीनों ठाढयौ तहां एक बाल विलोक्यो। रोक्यो नही जोर नाराच प्रकार के तापो का समूल नाश ही मुक्ति या मोक्ष है। मोक्यो। केशव (शब्द०)। वेदात मे पूर्ण पात्मज्ञान द्वारा मायामवय से रहित होकर मोकल-वि० [सं० मुक्त, हिं० मुकना ] छूटा हुआ । जो बंधा न हो। अपने शुद्ध ब्रह्मस्वरूप का बोध प्राप्त करना मोक्ष है । तात्पर्य आजाद । स्वच्छंद । उ०—(क) जोवन जरव महा रूप के यह है कि सव प्रकार के मुख दुख और मोह आदि का छूट गरव गति मदन के मद मदमोकल मतग की । मतिराम जाना ही मोक्ष है। मोक्ष की कल्पना स्वर्ग नरक आदि की (शब्द॰) । (ख) गोकुल मे मोकल फिर गली गली गज प्रेम । कल्पना स पीछे की और उसकी अपेक्षा विशेप सस्कृत तथा ऊधो ह्या ते जाउ ले तुम अपनो सब नेम । रसनिधि परिमार्जित है। स्वग' की कल्पना मे यह आवश्यक है कि (शब्द०)। मनुष्य अपने किए हुए पुण्य वा शुभ कर्म का फल भागने के मोकलनाg+-क्रि० स० [स० मुक्त, हिं० मुकना] छोडना । भेजना । उपरांत फिर इस ससार में प्राकर जन्म ले, इसमे उने फिर उ०-चिहुं दिसि मौता मोकल्या, पड पड रा प्राविया राई । अनेक प्रकार के कष्ट भोगने पडेंगे । पर मोक्ष की कल्पना में बी० रासो, पृ० १०। यह बात नही है। मोक्ष मिल जाने पर जीव सदा के लिये मोकला-वि० [स० मुक्त, हिं० मोकल] १ अधिक चौडा । कुशादा सब प्रकार के बधनो और कष्टो आदि से छूट जाता है। २ खुला हुआ। छुटा हुआ। स्वच्छद । उ०—कविरा सोई ३ मृत्यु । मौत । ४. पतन । गिरना। ५. पांडर का वृक्ष। ६. सूरमा जिन पांचो राखे चूर । जिनके पांचो मोकले तिनसू साहेब छोडना । फेकना । जैसे, वाणमोक्ष (को०)। ७ ढोला या दूर । —कबीर (शब्द०)। वधनमुक्त करना । जैसे, वेणीमोक्ष, नीवीमोक्ष (को॰) । मोकला - सच्चा पु० अधिकता। बहुतायत । ज्यादती। जैसे,—वहाँ ८ नीचे गिराना या वहाना । जैसे, बाप्पमोक्ष, अश्रुमोक्ष तो पशुओं के लिये चारे पानी का बडा मोकला है। (को०)। मोका' सञ्चा पु० [देश॰] मदरास, मध्य भारत और कुमायूं के जगलो मोक्षक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ मोखा नामक वृक्ष । २. मोक्ष करने या देनेवाला । वह जो मोक्ष करता हो। में होनेवाला एक प्रकार का वृक्ष । गेठा । मोक्षण-सञ्ज्ञा पुं० [०] [वि० मोक्षणीय मोक्षित, मोक्ष्य ] १. विशेष—इस वृक्ष के पत्ते प्रतिवर्ष झह जाते हैं। इसकी लकडी मोक्ष देने की क्रिया। २. छोडना । मुक्त करना। ३. क्षेपण कही और सफेदी लिए भूरे रंग की होती है और पारायशी (को०)। ४. गिराना (को०)। सामान बनाने के काम आती है। खरादने पर इसकी लकडी मोक्षद-वि० सज्ञा पुं० [सं०] मोक्ष देनेवाला । मोक्षदाता । बहुत चिकनी निकलती है और इसके ऊपर रग और रोगन अधिक खिलता है। इसकी लकडी न तो फटती है, न टेढी मोक्षदा-सचा स्त्री॰ [सं०] १ अगहन सुदी एकादशी तिथि । होती है। यह वृक्ष वर्षा ऋतु मे वीजों से उगता है । इसे गेठा मोक्षदा २-वि० सी० मोक्ष देनेवाली। भी कहते हैं । मोक्षदात्री–वि० सी० [सं० ] मोक्ष देनेवाली ।