मोहनि ४०३६ मोहराना मोहनि --वि० [ स० मोहनी ] दे॰ 'मोहिनी'। उ०—(क) मोहनि पता या चिह्न प्रादि जिसे कागज वा कपडे पर छाप सकें। मूरति श्याम की यौँ घट रही समाय । -विहारी (शब्द॰) । अक्षर, चिह्न प्रादि दवाकर अकित करने का ठप्पा । उ०—इस (ख) जव हरि रगनि भरे मोहनि मूरति साँवरे ।-नद० ग्र०, मोहर की अंगूठी से आपको विश्वास हो जाएगा। (अंगूठी देता पृ०३६५ है)।-हरिश्चद्र (शब्द०)। मोहनाख-सज्ञा पुं० [ स० ] प्राचीन काल का एक प्रकार का अस्त्र । क्रि० प्र०—करना ।-छापना ।—देना ।—लगाना । कहते हैं, इसके प्रभाव से शत्रु मूर्छित हो जाता था। २ उपर्युक्त वस्तु की छाप जो कागज वा कपडे आदि पर ली गई मोहनिद्रा -सझा स्रो० [स०] मोह को निद्रा। अज्ञान मे पडा हो। स्याही लगे हुए ठप्पे को दवाने से बने हुए चिह्न या रहना [को॰] । अक्षर । उ०-मोहर मे अपना नाम वा चिह्न होता है जिसमे मोहनिशा-सशा स्त्री॰ [स०] मोह की निशा । दे० 'मोहरात्रि' । पत्र पर लगी हुई मोहर देखते ही उस पत्र के पढने के प्रथम मोहनी' ---सञ्ज्ञा सी० [सं०] १ वैशाख सुदी एकादशी । २ एक लवा परिज्ञान हो जाता है कि यह पत्र अमुक का है। -मुरारिदान सूत सा कीडा जो हल्दी के खेतो मे पाया जाता है। इसे पाकर (शब्द०) । ३ स्वर्णमुद्रा । अशरफी । उ० – (क) करि प्रणाम तात्रिक लोग वशीकरण या बनाते हैं। ३ एक वर्णवृत्त मोहर बहु दीन्हो । दिनो असीस यतीश न लीन्हो ।- रघुराज जिसके प्रत्येक चरण मे सगण, भगण, तगण, यगण और (शब्द॰) । (ख) जो कुजाति नहिं माने बाता। गगरा खोदि सगण होते है। दे० 'मोहिनी'-६ । ४. भगवान् का वह स्त्री- दिखायौ ताता । गाडे बीच अजिर के माही। मोहर भरे नृप रूम जो उन्होने समुद्रमथन के उपरात अमृत बांटते समय धारण मानत नाही ।- रघुनाथदास (शब्द॰) । किया था। ५ एक प्रकार को मिठाई। ६ वशीकरण मोहरा - सचा पुं० [हिं० मुह+रा (प्रत्य॰)] [स्त्री० मोहरी ] १ का मत्र । लुभाने का प्रभाव । उ०—(क) जिन निज रूप किसी वर्तन का मुंह या खुला भाग । २. किसो पदार्थ का ऊपरी मोहनी हारी। कीन्हे स्वबस सकल नर नारी । तुलसी या अगला भाग । ३ एक प्रकार की जाली जो बैल, गाय, (शब्द॰) । (ख) निरखि लखन राम जाने रितु पति काम मोहि भैस इत्यादि का मुंह कसकर गिरांव के साथ बांधने के लिये मानो मदन मोहनी मूंड नाई है । - (शब्द॰) । होती है । यह मुंह पर वाँधकर कस दी जाती है, जिससे पशु मुहा०-मोहनी ढालना वा क्षाना= ऐसा प्रभाव डालना कि कोई खाने पीने की चीजो पर मुंह नही चला सकता। ४, सेना की एकदम मोहित हो जाय । माया के वश करना। जादू करना । अगली पक्ति जो आक्रमण करने और शत्रु को हटाने के लिये उ०—नागरि मन गई अरुझाइ । अति विरह तनु भई व्याकुल तैयार हो। ५. फौज की चढाई का रुख । सेना की गति । घर न नेकु सुहाइ । श्याम सु दर मदनमोहन मोहनी सी उ.-मही के महीपन को मोरयो कैसे मोहरा ।-रघुराज लाइ !-सूर (शब्द०)। मोहनी लगना = जादू लगने के (शब्द०)। कारण मोहित होना । मोहित होना । लुभाना। उ०—ाजु मुहा०-मोहरा लेना = (१) सेना का मुकाबला करना । (२) गई हौं नदभवन में कहा कहीं ग्रह चनु री । वोलि लई नव बधू भिड जाना । प्रतिद्वद्विता करना। जानि के खेलत जहां कंधाई री । मुख देखत मोहनी सी लागत ६ कोई छेद वा द्वार जिससे कोई वस्तु बाहर निकले । रूप न बरन्यो जाई री ।—सूर (शब्द०)। आदि की तनी या वद । उ-कचुकी सूही कसे मोहरा अति ७ माया। पोई का साग । फैलि चली तिगुनी परभासी। मानिक के भुजवद चुरी माठी मोहनी - वि० स्त्री० [सं०] मोहित करनेवाली । चित्त को लुभाने वचन ककन प्रोप प्रकासी।-गुमान (शब्द०)। वालो । अत्यत मु दरो। मोहरा' -सज्ञा पुं० [फा० मोहर ] १ शतरज की कोई गोटी। २ मोहनीय-वि० [ स० ] मोहित करने के योग्य । मोह लेने के योग्य । मिट्टी का माँचा जिसमे कडा, पछुप्रा इत्यादि ढालते हैं। ३ मोहपास-सञ्ज्ञा ० [सं० मोहपाश ] मोह का जाल | माया का रेशमी वस्त्र घोटने का घोटना जा प्राय बिल्लीर का बनता बधन । है। ४ सिगिया विष । ५ सोने, चाँदी पर नक्काशी करनेवालो मोहफिल-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० महफिल ] 70 'महफिल' । का वह अौजार जिससे रगडकर नक्काशी को चमकाते हैं। मोहब्बत-सच्चा श्री० [अ० मुहब्वत] दे॰ 'मुहळुवत' । उ०—हमको दुप्राली। ६ जहरमोहरा। उ०-बडे भाग से सतगुरु मिलिगे अपना श्राप दे, इश्क मोहब्बत दर्द । सेज सुहाग सुख प्रेम रस घोरि पियाए जस मोहा। कहै कबीर सुनो भाइ साधो गया मिलि खेलै ला पर्द । - दादू (शब्द॰) । साध नहिं बहुरा।-कवीर श०, भा० ३, पृ० ४८ । मोहमग-सज्ञा पुं० [स० महिम ग ] भ्रातिनिवारण। अज्ञान का मोहरात्रि-सञ्ज्ञा ली० [सं०] १ वह प्रलय जो ब्रह्मा के पचास वर्ष नाश होना। वीतने पर होता है। दैनदिन प्रलय । २ जन्माष्टमी की रात्रि । मोहमत्र- पत्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] मोह मे डालनेवाला मत्र । भाद्रपद कृष्णा अष्टमी। मोहर-संज्ञा स्त्री॰ [फा०] १ किसी ऐसी वस्तु पर लिखा हुआ नाम, मोहराना-सशा पुं० [फा० मुहर+पाना (प्रत्य॰)] वह घन जो ८-३४ ७. चोली
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२८०
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