सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

यंत्रण ४०५० यकरोना म० PO यत्रण - सज्ञा पुं० [ म० यन्त्रण ] १ रक्षा करना। २ बाँधना । ३. या वद कर दिया हो। रोका या वंद वित्या हुया। २ ताला नियम मे रखना। नियम के अनुसार चलाना । नियत्रण। लगा हुया । ताले में दद। गत्रणा - सच्चा स्रो॰ [ स० यन्त्रणा ] १ वलेश । यातना। तकलीफ । यत्री-सा पुं० [ स० यन्त्रिन् ] १ यन मय करनेवाला । तात्रिक । २ दर्द । वदना । पीडा। २ बाजा बजानेवाला। उ०-मूरदाम स्वामी के चलिब ज्या यत्रणी -तज्ञा ली० [ स० यन्त्रणी ] पत्नी की छोटी वहन । छोटी यत्री बिनु यत्र सकात ।-सूर (शब्द०)। ३ नियत्रण करन साली (को०] । या बांधनेवाला। यत्रधारागृह-सशा पु० [ स० यन्त्रधारागृह ] फुहारे से युक्त घर । यत्रोपल-सशा पुं० [स० यन्त्रोपल] चक्की | चक्की का पत्थर किं०] । स्नानगृह (को०)। यद-सा पुं० [सं० इन्द्र ] स्वामी । (डिं० ) । यत्रनाल- संज्ञा पुं॰ [ म० यन्त्रनाल ] वह नल जिसके द्वारा कुएं श्रादि य - सग पु० [ ] १ यश । २ योग। ३ यान । सवारी। ४ से जल निकाला जाता है। सयम । ५ छद शास्त्र में यगण का सक्षिप्त रूप । दे० 'यगण'। यत्रपुत्रक-सज्ञा पु० [ स० यन्त्रपुत्रक ] [ मी० यन्त्रपुत्रिका ] यत्र से ६ यव | जौ। ७ यम । ८ त्याग । प्रकाश । चलने या हिलने डोलनेवाला पुतला । यत्रचालित खिलौना । यक-वि० [फा०] दे० 'एक' । यत्रपेपणो-मशा सी० [ यन्त्रपेपणी ] चक्की। विशेप-इस शब्द से बननवाले यौगिक शब्दो के लिये देखिए यत्रमत्र- संज्ञा पुं० [ म० यन्त्रमन्न ] जादू । टोना । टोटका । 'एक' शन्द से बने यौगिक शब्द । यत्रमातृका-नज्ञा स्त्री॰ [ स० यन्त्रमातृका ] चौंसठ कलाग्रो मे से एक यकअगी'-वि० [हिं० एक+गी ] १. एक अगवाला। • एक कला, जिसमे अनेक प्रकार के यत्र या कलें आदि बनाना और ( पत्नी या पति ) के साथ रहनेवाला (या वाली)। उ०- उससे काम लेना ममिलित है। बहुरगी जित तितहिं मुख यकग्रगो कर प्रत । जिमि गणिका चत्रमार्ग - सज्ञा पु० [ स० यन्त्रमाग] नहर । जतप्रणाली (को०] । निधरक रहति दहति सती विनु कत ।-विश्राम (शब्द॰) । ३ एक ही के आश्रित । एक हो पर रहनेवाला । एकनिष्ठ । यत्रराज-मज्ञा पु० [ स० यन्त्रराज ] ज्योतिष में एक यन जिससे ४ दे० 'एकागी'। ग्रहो श्रीर तारो की गति जानी जाती है। यकअगी - सज्ञा स्त्री० दे० 'एकागी'। यत्रविद्या-सज्ञा सी० [ स० यन्त्रविद्या ] कलो के चलाने और बनाने यककलम - क्रि० वि० [फा० यफ्फलम ] १ एक ही बार कलम की विद्या। चलाकर । एक ही बार लिखकर । २ एक बारगी। एकाएक । यत्रविधि-सज्ञा पु० [ स० यन्त्रविधि ] शल्य-क्रिया-प्रयुक्त अस्रो के जैसे,—वह यहाँ से यककलम वरखास्त कर दिया गया। निर्माण का विज्ञान । शल्य अस्त्रो का विज्ञान कि०] । यकजा-वि० [फा० ] समिलित । जुमला । इकट्ठा किो०] । यत्रशाला-सज्ञा ली० [सं० यन्त्रशाला ] १ वेधशाला । २ वह यकतरफा-वि० [फा०] एकपक्षीय । एक ओर का । दे० 'एकतरफा'। स्थान जहाँ अनेक प्रकार के यत्रादि हो । यकता-वि० [फा०] जो अपनी विद्या या विषय मे एक ही हो। यत्रसद्म-मज्ञा पु० [ स० यन्त्रसम ] नेल की मिल (को०] । जिसके मुकाबले का और कोई न हो । अद्वितीय । यकताई - सज्ञा सी० [फा०] एकता या अद्वितीय होने का भाव । यत्रसूत्र-सञ्ज्ञा पु० [ स० यन्त्रसूत्र ] वह सून जिसकी सहायता से अद्वितीयता। कठपुतली नचाई जाती है। यत्रपीड़-सज्ञा पु० [२० यन्त्रापीड ] एक प्रकार यकतार@-वि० [हिं० एक+तार ] एक सा । यक सा । समरस । का सन्निपात ज्वर जिसके कारण शरीर मे बहुत अधिक पीडा होती यकतार'-वि० [फा० ] किंचित् । ईपत् ।को०] । है और रोगी का लहू पीले रंग का हो जाता है। यकपरा-सञ्ज्ञा पुं० [फा० एक+पर+श्रा (प्रत्य॰)] एक प्रकार का कबूतर जिसका सारा शरीर सफेद होता है, केवल डेंना यत्रालय-मशा पु० [ म० यन्त्रालय ] १ वह स्थान जहाँ कल या पर दो एक काली चित्तियाँ होती है । यत्रादि हो। २ छापाखाना । प्रेस । यत्राश-सा पु० [ स० यन्नाश ] एक राग जो हनुमत के मत से यकफर्दी, यफफसली-वि० [ फा० ] जिममें एक फसल हो। एक- फर्दा (को०] । हिंडोल राग का पुत्र है। यकवग्गा-वि० [फा०] जो एक ही लगाम को मानता हो। एक यत्रिका'-तज्ञा स्त्री॰ [ स० यन्त्रिका ] स्त्री की छोटी बहन । छोटी तरफ ही चलनेवाला । एकबगा। यकबयक-क्रि० वि० [फा०] एकवारगी। यकायक । एक दम से । यत्रिका-सज्ञा ली छोटा ताला। यकबारगी-क्रि० वि० [फा० ] यकवयक । अचानक ।- एकाएक । यत्रिणी-सञ्चा स्त्री॰ [ स० यन्त्रिणी ] दे० 'यत्रिका', 'यत्रिणी'। सहसा । दे० 'एकबारगी'। यत्रित-वि० [ स० यन्त्रित [ १ जो यत्र प्रादि की सहायता से वाँधा यकरोजा-वि० [फा० यकरोज़हू] एकदिवसीय । एक दिन का [को०] । 1 साली।