पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२९८

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थत्ते यथारंभ HO स० GO यत्त-वि० [सं०] यतित । चेष्टित । यत्न मे लगा हुअा । मतर्फ (को०] । यथाख्यात-वि० [३०] गंगा पहने हा गया हो (फो०] । यल-सा पु० [१०] १ नैयायिको के अनुनार प अादि २४ गुणो यथाख्यात चरित-7 पुं० [ ] नव पाया (नाम, सोयादि के अतगत एक गुण जो तीन प्रकार का होता है-प्रवृत्ति, पातका ) का जिन माधुग्रो ने क्षय किया हो, उनका चरित । निवृत्ति पीर जीवनयोनि । २ उद्योग। प्रयत्न । कोशिश । (जैन)। ३ उपाय । तदवीर । उ०-पाछे पृथु को रूप हरि लीन्हो यथागत-वि० सं० ] मूर्न । लक (को०] । नाना रस दहि काढे। तापर रचना रची विधाता यह विधि यथाचार-० [ म० ] १ चलन या रिवाज के अनुगार । २ प्राच- यतन वाढ ।- सूर (श द०)। ४ रक्षा का आयोजन । रण के अनुसार [को०] । हिफाजत । जैसे,—ग वस्तु को बडे यान से रसना । ५ रागशाति का उपाय । चिकित्सा । उपचार । यथाजात~सया पुं० [ ] मूर्स । वैवकूफ । नीच। ययाज्येष्ठ-मि० वि० [ पद या वरीयता के क्रमानुगार । यत्नवान् - वि. [ स० यत्नवत् ] [वि० सा० यत्नवती ] यत्न में लगा यथातथ, यथातथ्य-वि० [म. ] जमे का तसा । ज्यो का त्यो। हुप्रा । यत्न करनेवाला। हबहू । जमा हो, वैमा ही । सचमुच । मन्यत. । यत्र'--क्रि० वि० [सं०] जिस जगह । जहाँ । यथाधिकार-वि० [स० ] आधिकारिक रूप रा । अधिकार के अनु यन'-सझा पुं० [सं० सन्न ] सामान्य यज्ञ । रप । को०] । यत्रतत्र-फि० वि० [सं०] १ जहां तहा। इधर उधर । कुछ यहां, कुछ ययाधीत-वि० [स० ] अव्ययन के अनुसार । पाठ के अनुगार (फो०] । वहाँ । २ जगह जगह । कई स्याना में। यथानियम-प्रत्य० [स० नियमानुसार । कायद के मुताविक । यनु-तज्ञा स्त्री० [स०] छाती के कार और गले के नीचे की मउलाकार बाकायदा। हड्डी । हसली। यथानिर्दिष्ट-वि० [स०] पूर्वकथित । पूर्वीवेवृत्त । पूर्वनिर्धारित यथाश-वि० [स०] पानुपातिक । उचित अनुपात मे (को०] । (नियमादि)। यथा-श्रव्य० [सं०] जिस प्रकार । जैम । ज्या । यथानुभूत-वि० [सं०] १ अनुभव के अनुसार । २ पूर्व अभय यो०-यथाकथित = जैसा कहा जा चुका हो। यथोक्त । यथा द्वारा को०)। पतव्य - जैसा करना उचित हा । फर्तव्य के अनुसार । यथानुरूप-वि० [ ] एक दम मिलता हुअा मो०] । यथाकर्म = कार्यों के अनुमार । भाग्यानुसार । यथाकल्प = नियम यथान्याय-अन्य० [सं०] न्याय के अनुसार । जो मुछ न्याय हो, या विधि के अनुसार । यथाकाम = मनोनुकूल । इच्छानुसार । वैसा । यथोचित । यथाकार-मनमाने ढग का । जगा तैसा । यधाकाल = ठोक या यथापण्य-प्रव्य० [ स०] बाजार की दर के अनुसार पिो०] । उचित समय पर । यथात । यथाक्रम । ययागुण = गुण के यथापूर्व- -व्य [10] १ जैसा परत था, नंगा ही। पहनेगी अनुगार । गुण के आर' । यथाज्ञान - प्रने ज्ञान वा गमझ के अनुसार । यथातथ । यथातृप्ति = गतुष्टि के अनुकूल । जो नाई। पूर्ववत् । २. ज्यो का त्या । भरकर । यथादर्शन = जंगा देखा गया। यथादिक यथादिश = यथाप्रदिष्ट-अन्य० [ ] उचित । उपयुक किो०] । समस्त दिशाशी भे। यधापण्य । ययापूर्व। यथाप्रार्थित = याप्रयोग-प्रव्य० [ मे० प्रथा या व्यवहार अनुगार (२०]। प्रार्थना के अनुकूल । यथाप्राण-प्रव्य० [सं० ] शक्ति के अनुसार (के०] । यथाकामी-सा पुं० [म० यथाकामिन् ] अपनी च्छा के अनुसार यथापल-प्रव्य० [सं०] १ सामर्थ्य के अनुमा। २ ना मी काम परनेवाला । स्वेच्छाचारी। शक्ति या गया के अनुसार (०] । यथाकामावध-सा पुं० [सं०] किसी व्यक्ति को यह घोपित परके ययाधुद्धि -अन्य० [सं०] २० 'यनामनि'। घोउ देना कि रने जा चाहे, मार डाले। यथाभाग-प्रव० [ मं] १ भाग के अनुसार निना चाहिए, विशेप-चद्रगुप्त के समय में जो राजकर्मचारी चार बार चोरी या आना । हिस्म के मुताविक । २ ययापा। गांठ कतरने के अपराध मे पाडे जाते थे, जगतो यह दइ पिया ययाभिप्रेत-०ि [सं०] जमा चाहा या शरिया मा । जाता था। मानुपान को०)। यथाकारी-मा पु० [२० यधाकारिन् ] मनभाना म करनेवाला। यथानिमत, यथाभिरुचि, ययाभिलपित-वि० [१०] १० '३५मि. स्वेच्छाचारी। यथाकाल-सरा पुं० [२०] उचित समय । ठी ममय । यथामूनि-व्य० [H० ] युद्धि के अनुसार । मम मुमयिक । यथात- [सं०] जगा से हमारी (पार्य)। नियम या। -म-प [50 ] जमा पारिए, चना अनायो ना। के अनुसार किया गया (21 यथाक्रम-मि० वि० [10 ] तरतीयवार । क्रमन {RS [] पारन में पधार। म० प्रेत' [फो०] । मिद। २