पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३१

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HO मनोग्राह्य ३७८८ मनोमय कोश मनोग्राह्य-वि० [ 10 ] जो मन या चित्त द्वारा ग्रहण हो सके । मनोदुष्ट-वि० [ मं० ] जिमका मन दूपित हो। जो मन ही मे पापी मन द्वारा ग्रहण के योग्य को०) । हो। जिमका अत करण कनुपित हो । दुष्ट या खराव मनोज-सज्ञा पुं० [म.] कामदेव । मदन । उ०-जय सच्चिदानद जग हृदयवाला। पावन । अस कहि चलेउ मनोज नसावन । –तुलमी (शब्द॰) । मनोटि-सशा मी० [ म० मन + दृष्टि ) प्रातरिक दृष्टि । मानसिक यौ०--मनोज पचमी = माघ शुक्ल पचमी । वमत पचमी । उ०- दृष्टि । उ०-- मौदर्य उसको मनोदृष्टि का एक व्यापार मात्र ग्राजु मनोज पचमी मुभ दिन र ग वर्दए हिलमिलि पानदघन है। स० दर्शन, पृ० ६६ । बरसए ।-घनानद, पृ० ३६२ । मनोदेवता-सज्ञा पुं० [ मै० ] अतरात्मा। निवेक । मनोजन्मा-सझा पु० [ मै० मनोजन्मन् ] १० 'मनोज' [को०)। मनोध्यान -नशा पुं० [सं० ] मपूर्ण जाति का एक राग जिसमे सब मनोजव'-वि. ( स० मनोजवम् ] [ वि० स्त्री० मनोजवा ] १ मन के शुद्ध म्बर लगते हैं। समान वेगवान् । अन्यत वगवान् । २ पितृतुल्य । मनोनयन - मशा पुं० [सं० । चुनाव । चुनना । पमद करना । मनोजव–मचा पुं० १ विगु । २ अनिल या वायु के एक पुत्र का मनोनिग्रह-मशा पुं० [ म० ] चित्त की वृत्तियो का निरोप । मन का नाम जो उमकी शिवा नाम को पत्नी से उत्पन्न हुअा था। निग्रह । मन का वश मे रखना । मनोगुप्ति । ३ रुद्र के एक पुत्र का नाम । ४ एक तीर्थ का नाम । ५ मनोनियोग-मज्ञा पु० [सं० मनम् + नियोग ] एकाग्रता । उ०- छठे मन्वतर में होनेवाले इद्र का नाम । हम दोनो एक दूमरे के आखेट हैं और अनिवार्य, अटल मनो- मनोजवस-वि० [सं०] +0 'मनोजव" को०) । नियोग से एक दूसरे का पीछा कर रहे है।-चिंता, मनोजवा-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ कलिहारी। करियारी। २ पृ०५६ । मार्कडेय पुराणानुसार अग्नि की एक जिह्वा का नाम । ३ मनोनिवेश-सझा पुं॰ [ मे० मन + निवेश ] एकाग्रता। मनोयोग । स्कद की माता का नाम । ४ क्रौच द्वीप की एक नदी उ०-उमने देखा कि महामत्री वडे कुतूहल और मनोनिवेश मे का नाम। कुलपुत्रो का परिचय मुन रहा है ।--इद्र०, पृ० १३१ । मनोजवी- वि० [ म० मनोजविन् ] मनोजव । अति वंगवान् । बहुत मनोनीत-वि० [ ] १ जो मन के अनुकूल हो । पमद । २ तेज चलनेवाला। चुना हुमा। मनोजवृद्धि-मञ्ज्ञा स्त्री॰ [ म० ] कामवृद्धि नामक क्षुप । इसे कट मनोवल-मज्ञा पुं० [ F० मन + यल ] यात्मिक शक्ति । मानसिक मे कामज कहते हैं। शक्ति या बल । उ०—-लिच्छिवी कुमारी में इतना मनोवल कहां मनोजीवी-वि० [ स० मनस् + जीपी ] बुद्धिजीवी । उ०-वनजीवी, कि वह यो मठ जाती। -प्रजात०, पृ० ३३ । पशुजीवी मनुज, मनोजीवी तव नही बना था।-युगपथ, मनोभग-सशा पुं० [ स० मनोभग ] १ नंगश्य । २ उदासी । पृ० १२४ । मनोज्ञ-वि० [सं० 1 [विस्त्री० मनोज्ञा ] मनोहर । सुदर । मनोभव-सज्ञा पुं० [ स० ] कामदेव । उ०—जाग मनोभव मुण्डं मन बन मुभगता न परं कही।-मानस, १२८६ । मनोज्ञ-सञ्ज्ञा ५० १ कुद नामक फूल । २ एक गधर्व का नाम (को०)। ३ सरल का वृक्ष (को०)। मनोभाव-सचा पुं० [ मं०] १ मन की स्थिति । मनोवृत्ति । २ मन मनोज्ञता-मज्ञा स्त्री० [ ] सुदरता। मनोहरता । खूबसूरती। का भाव । हार्दिक अभिप्राय । उ०-जीगो मनोरमा के मनोमावो को जानती थी। उसने सोचा इस अवला को कितना मनोज्ञा-सशा स्त्री॰ [ म० ] १ कलौंजी । मंगरला । २ जावित्री। दुख है ।-काया०, पृ० २५६ । ३ मदिरा। शराब । ४ वांझ ककोडा । प्रावर्तकी । ५ मन शिला । मैनसिल (को॰) । मनोभावना-सचा पुं० [१० मनो+भावना] २० 'मनाभाव' । उ०- ६ राजपुत्री। कुमारी (को०)। उनके नाटको मे घटनामो के प्राकर्षण की अपेक्षा चरित्रो को विविधता और उनकी मनोभावनायो का उन्मेप और प्रदर्शन मनोदड-मज्ञा पु० [ स० मनोदयड ] मन की वृत्तियो का निरोध । चित्त को चचलता से रोककर एकाग्र करना। मन का निग्रह । अधिक है।-नया०, पृ० १५७ । मनोदत्त-वि० [ म० ] १ मन द्वारा दिया हुआ वा मकल्पित । २ मनोभिराम-वि० ] मनोज्ञ । मु दर । दत्तचित्त । विचारमग्न (को॰) । मनोभिलाप-सज्ञा पुं० [ ] मन की इच्छा । मनोकामना [को॰] । मनोदाह-मश पु० [ म० ] मनस्ताप । मानसिक जलन । प्रातरिक मनोभू-सशा पुं० [सं० ] कामदेव । मदन । कष्ट। उ०—जीवन तृष्णा, प्राण क्षुधा प्रो मनोदाह से मनोभूत-मज्ञा पुं० [ सं० ] चद्रमा। उ०--मनोभूत कोटिप्रभा श्री क्षुब्ध, दग्ध, जर्जर जनगण चीत्कार कर रहे । -युगपय, शरीरम् । —तुलसी (शब्द०)। मनोमथन-सशा बी० [सं०] कामदेव । मनोदाही-वि० [ म० मनोदाहिन् ] [वि॰ स्त्री० मनोदाहिनी ] मन मनोमय-वि० [स० ] मनोरूप । मानसिक । को जलानेवाली । हृदयदाही । मनोमय कोश-सञ्ज्ञा पु० [ म०] वेदात शास्त्रानुसार पाँच कोशो 1 म० 1 म० 89 पृ० १२० ।