योगासन ४०८० योग्य प्रादि की ओर से अपना चित्त हटा लिया हो। वह जिसने चित्तवृत्तियो का निरोध कर लिया हो । योगी। योगासन-सशा पुं० [सं०] योगसाधन के प्रासन, अर्थात् बैठने के टग। & स० योगित-वि० [ ] १ जो इद्रजाल या मत्र प्रादि की सहायता से अपने अधीन कर लिया गया हो अथवा पागल बना दिया गया हो।२ जिसपर इद्रजाल या मत्र आदि का प्रयोग किया गया हो। योगिता-तज्ञा पुं० [सं०] योगी का भाव या धर्म । योगित्व-मज्ञा पुं॰ [ स० ] योगी का भाव या धर्म । योगिदड-सज्ञा पुं॰ [ स० योगिटण्ड ] वेंन । योगिनिद्रा-सशा मी० [सं०] थोडी सी नीद । झपकी । योगिनी-सशा सी० सं०] १ रणपिशाचिनी । २ एक लोक का नाम । ३ प्रापाढ कृष्णा एकादशी। ४. योगयुक्ता नारी। योगाम्यानिनी। तपस्विनी। ५ आवर्ण देवता। ये असख्य हैं जिनमे से चौसठ मुख्य हैं । ६ आठ विशिष्ट देवियाँ जिनके नाम इस प्रकार हैं।-(१) शैलपुत्री, चद्रघटा, (३) स्कदमाता, (४) कालरानि, (५) चडिका (६) कूप्माडी (७) कात्यायनी और (८) महागौरी । ७ ज्योतिप शास्त्रानुसार ये पाठ देवियां-ब्रह्माणी, माहेश्वरी, कौमारी, नारायणी, वाराही, इद्राणी, चामुडा, और महालक्ष्मी । ८. तिथिविशेष मे दिग्विशेपावस्थित योगिनी। ६ तत्काल योगिनी। १०. काली की एक सहचरी का नाम । ११ देवी । योगमाया। योगिनीचक्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ तात्रिको का वह चक्र जिसमें वे योगिनियो का साधन करते हैं। २ ज्योतिपी का वह चक्र जिससे वह इस बात का पता लगाता है कि योगिनी किस दिशा मे हैं। योगिया-सा पु० [सं० योगी+हिं० हया (प्रत्य॰)] १ सपूर्ण जाति का एक राग जिसमे गावार के अतिरिक्त सब कोमल स्वर करना चाहते हो, (३) प्रज्ञाज्योति, जिन्होंने इद्रियो को भली- भांति अपने वश में कर लिया हो और (8) अतिक्रातभावनीय जिन्होने सब सिद्धियां प्राप्त कर ली हो और जिनका केवल चित्तलय वाकी रह गया हो। ३. महादेव । शिव । ४ विष्णु (को०) 1 ५ याज्ञवल्क्य ऋपि (को०)। ६ अर्जुन को०) । ७ एक मिश्र जाति (को०) । योगीकुड -सञ्चा पुं० [स० योगिकुण्ड ] हिमालय के एक तीर्थ का नाम। योगीनाथ-सज्ञा पु० [ स० योगिनाथ ] महादेव । शकर । योगीश-सज्ञा पुं० [सं०] १ योगियो के स्वामी । २ बहुत बड़ा योगी। ३. याज्ञवल्क्य का एक नाम, जिन्हे योगी याज्ञवल्क्य भी कहते हैं। योगीश्वर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ योगियों में श्रेष्ठ । २ याज्ञवल्क्य मुनि का एक नाम । ३ महादेव । योगीश्वरी -सज्ञा स्त्री० 1 दुर्गा । योगेंद्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं० योगेन्द्र] १ बहुत बडा योगी। २ वैद्यक में एक प्रकार का रस । विशेष—यह रससिंदूर से बनाया जाता है और इसमें सोना, काती लोहा, अभ्रक, मोती और बग आदि पडते हैं। यह प्रमेह, मूर्छा, यक्ष्मा, पक्षाघात, उन्माद और भगदर आदि के लिये बहुत उपयोगी माना जाता है। योगेश-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ बहुत बडा योगी। २ योगी याज्ञवल्क्य का एक नाम। योगेश्वर-सज्ञा पुं० [सं०] १ श्रीकृष्ण । परमेश्वर । २ शिव । १. देवहोत्र के एक पुत्र का नाम | ४ याज्ञवल्क्य ऋषि (को॰) । बहुत बड़ा योगी। योगीश्वर । सिद्ध । विशेष-पुराणो मे नौ बहुत वडे योगी अथवा योगेश्वर माने गए है, जिनके नाम इस प्रकार हैं-(१) कवि ( शुक्राचार्य ), (२) हरि ( नारायण ऋपि ), (३) अतरिक्ष, (४) प्रबुद्ध, (५) पिप्प- लायन, (६) आविर्होत्र, (७) द्रुमिल ( दुरमिल ), (८) चमस और (8) करभाजन । ५ एक तीर्थ का नाम । योगेश्वरत्व-सञ्ज्ञा पु० [सं०] योगेश्वर का भाव या धर्म । योगेश्वरी-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ दुर्गा । २ शाक्तो की एक देवी का नाम जो दुर्गा का एक विशेष रूप है । ३ कर्कोटकी । ककोडा। योगेष्ट-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १. सीसा ( घातु ) । २ टिन (को॰] । योगोपनिपद्-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ एक उपनिषद् का नाम । २ कौटिल्य के अनुसार छल, कपट तथा गुप्त रीति से शत्रु को मारने की युक्ति । योग्य-वि० [स०] १ किसी काम मे लगाए जाने (पात्र ) । काबिल । लायक । अधिकारी । जैसे,—वह इस काम के योग्य नहीं है । २ शील, गुण, शक्ति, विद्या प्रादि से युक्त । श्रेष्ट । अच्छा। जैसे,-वे बडे योग्ग प्रादमो है। ३. युक्ति भिडानेवाला। उपाय लगानेवाला। सपायी। । उचित। लगते हैं। स० विशेप-इसके गाने का समय प्रात.काल १ दड से ५ दड तक है। यह करुण रस का राग है। कुछ लोग इसे भैरव राग की गगिनी भी मानते हैं । २ अस्त्रज्ञानी । दे० 'योगी'। योगिराज-सा पुं० [स० ] योगियो मे श्रेष्ठ । बहुत बड़ा योगी। योगीद्र-सजा पुं० [ योगीन्द्र ] वहुत बडा योगी। योगी-सशा पुं० [सं० योगिन् ] १ वह जो भले बुरे और सुख दुख आदि सबको समान समझता हो। वह जिसमे न तो किमी के प्रति अनुराग हो और न विराग | आत्मज्ञानी । २ वह व्यक्ति जिसने योग सिद्ध कर लिया हो। वह जिसने योगाभ्यास करके सिद्धि प्राप्त कर ली हो। विशेप-योगदर्शन मे अवस्था के भेद ने योगी चार प्रकार के कहे गए है-(१) प्रथमकल्पित, जिन्होंने अभी योगाम्यास का केवल प्रारभ किया हो और जिनका ज्ञान अभी तक दृढ न हुमा हो, (२) मधुभूमिक, जो भूतो और इद्रियो पर विजय प्राप्त उपयुक्त । ठीक
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३२१
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