पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३४१

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। GO रक्ष ४१०० रक्ष्यमाण नाम जिसमे ११ गुरु और १३० लघु मात्राएं प्रथवा ११ गुरु रक्षापाल-सचा पुं० [ स० ] प्रहरी | सतरी [को०] । और १२६ लघु मात्राएं होती हैं। रक्षापुरुप-सज्ञा पुं० [सं० ] पहरेदार । सतरी। रन-सज्ञा पु० [सं० रक्षम ] राक्षस । उ०-रक्ष यक्ष दानव देवन रक्षापेक्षक-सञ्चा पु० [ स० ] १. पहरेदार । सतरी। २ अत पुर में सो, अभय होहिं सब जागा। -रघुराज (शब्द०)। पहरा देनेवाला सतरी । ३ अभिनय करनेवाला । नट । रक्षक-संज्ञा पुं० [म०] १ रक्षा करनेवाला। बचानेवाला । हिफाजत रक्षाप्रदीप - सज्ञा पु० [सं० ] तत्र के अनुसार वह दीपक जो भूत प्रेत करनेवाला। २. पहरेदार । ३. पालन करनेवाला। आदि की वाधा से रक्षा करने के तिये जलाया जाता है। यौ०-रक्षक दल = रक्षा करनेवालो का दल । सिपाहियो का रक्षावधन-सज्ञा पुं० [सं० रक्षा+बन्धन] हिंदुओं का एक त्योहार जत्था। रक्षक पोत = जल की यात्रा में सकट से रक्षा करने- जो श्रावण शुक्ला पूर्णिमा को होता है । सलोनो। वाला जहाज । विशेप-इस दिन वहनें अपने भाइयो के और ब्राह्मण अपने यज- रक्षण-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ रक्षा करना । हिफाजत करना। रखवाली। मानो के दाहिने हाथ की कलाई पर अनेक प्रकार के गडे, जिन्हें २. पालने की क्रिया । पालन पोपण। ३ रक्षक । रखवाला । राखी कहते हैं, बावते हैं। ४. विस्तु का एक नाम (को॰) । रक्षाभूपण - सज्ञा पु० [सं०] वह भूपण या जतर जिसमे किसी प्रकार रक्षणकर्ता-सञ्ज्ञा पु० [ न० दणकर्तृ ] रक्षा करनेवाला । रक्षक । का कवच आदि हो और जो भूतप्रेत या रोग आदि की वाया रक्षणारक-सज्ञा पु० [ स०] मूत्रकृच्छ रोग । से रक्षित रहने के लिये पहना जाय । रक्षणि, रक्षणी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ सं० ] गायमाणा लता । रक्षामगल-झा पुं० [सं० रक्षामङ्गल] वह अनुष्ठान या धार्मिक क्रिया रक्षणीय-वि० [ ] जिसकी रक्षा करना उचित हो। रक्षा आदि जो भूतप्रेत आदि को वाधा से रक्षित रहने के लिये करने योग्य । की जाय। रक्षन-वज्ञा पुं॰ [ सं० रक्षण ] दे० 'रक्षण' । रक्षामणि-सज्ञा पुं० [सं०] वह मणि या रत्न आदि जो किमी ग्रह के प्रकोप से रक्षित रहने के लिये पहना जाय । रक्षना-क्रि० स० [सं० रक्षण ] रक्षा करना । हिफाजत रखना । संभालना । बचाना। रक्षारत्न-सचा पुं० [स०] दे० 'रक्षामणि' । रक्षपाल-सज्ञा पुं० [सं० ] वह जो रक्षा करता हो । रक्षक । रक्षि, रक्षिक-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] १ बचानेवाला । रक्षक । २ पहरेदार । रक्षमाण-वि० [सं० रक्ष्यमाण ] दे० 'रक्ष्यमाण। रक्षस-सञ्ज्ञा पुं० [सं० रक्षस ] असुर । दैत्य । निशाचर । रक्षिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] १ रक्षा । हिफाजत । २ वह स्त्री जो रक्षा के लिये नियुक्त हो । अभिभाविका । रक्षा-सशा स्त्री॰ [स०] १ प्रापत्ति, कष्ट या नाश आदि से बचाना । अनिष्ट से बचाने की क्रिया । रक्षण । वचाव । रक्षित-वि० [सं०] [वि० सी० रक्षिता] १ जिसको रक्षा को गई हो। रक्षा किया हुआ । हिफाजत किया हुआ । जैसे,—मैं आपकी यौ० 0-रसावधन । रक्षासमिति । पुस्तक बहुत रक्षित रखूगा । २, प्रतिपालन | पाला पोसा। २ वह यत्र या सूत्र श्रादि जो प्राय वालको को भूत प्रेत, रोग ३. रखा हुआ। या नजर आदि से बचाने के लिये बांधा जाता है । ३ गोद । रक्षिता'-सज्ञा सी० [सं०] १ रक्षा । हिफाजत । २. एक अप्सरा ४ भस्म । राख । ५ लाक्षा । लाख (को॰) । का नाम। रक्षाइद-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० रक्ष + प्राइद (प्रत्य॰)] राक्षसपन । रक्षिता-मज्ञा पु० [स० रक्षित] १. रक्षा करनेवाला । २ प्रहरी। रक्षागृह-सज्ञा पुं० [ ] १ वह स्थान जहाँ प्रसूता प्रसव करे । पहरुमा। सूतिकागृह । जच्चाखाना । २ युद्ध के समय वमवारी से राह रक्षिता -संशा स्त्री० [सं० रक्षित] विना विवाह किए पली की तरह चलतो को वचने के लिये निर्मित भूगर्भस्य प्राश्रयस्थान । रखी हुई नी । रखेली । सुरैतिन । ३. विश्रामस्थान या कक्ष (को०)। रक्षी-सज्ञा पुं० [स० रक्षस + ई (प्रत्य॰)] राक्षसो के उपासक । रक्षातिक्रम-तचा पुं० [सं०] नियम भग करना । कायदा कानून राक्षस पूजनेवाले । उ०-भूती भूतन यक्षी यक्षन । प्रेतो प्रेतन तोडना । (को०)। रक्षी रक्षन ।—गिरधर (शब्द॰) । रक्षादल-सज्ञा पुं॰ [ सं० ] नागरिको का वह संघटन, जो पुलिस के रक्षी'-सज्ञा पु० [सं० रक्षिन्] १ रक्षा करनेवाला । रक्षक । २ सहायक रूप मे रक्षा का कार्य करता है । होमगार्ड । पहरेदार । चौकीदार। रक्षाधिकृत-सञ्चा पु० [ स० ] प्राचीन काल का किसी नगर का यह रक्षोघ्न-सचा पु० [सं०] १ हीग । २ भिलावे का पेड। ३ सफेद अधिकारी जिसका काम उस नगर की रक्षा तथा शासन करना सरसो । ४ रखकर खट्टा किया हुआ चावल का पानी या मांड़ । होता था। रक्षोनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] वचा । बच । रक्षापति-सचा पुं० [ स०] प्राचीन काल का वह कर्मचारी जिसका रक्ष्य-वि० [सं०] रक्षा करने के योग्य । रक्षणीय । काम नगरनिवासियो को रक्षा करना होता था। रक्ष्यमाण-वि० [सं०] १ जिसकी रक्षा की जा सके । २. जिसकी रक्षापत्र-वज्ञा पुं० [सं०] १ भोजपत्र । २. सफेद सरसो । रक्षा की जा रही हो। सतरी। HO