पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३७७

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रसाम्ला ४१२६ रसालिका BO रसाम्ला-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ ] पलाशी नाम की लता। रसायनिक-वि० [ स० रामायनिक ] दे० 'रासायनिक' । रसायक-सशा पुं० [सं० ] एक प्रकार की घास । रसायनी'-सज्ञा स्त्री० [सं० ] १ वह औपच जो वुढापे को रोकती रसायन - सज्ञा पु० [सं० १ तक। मठा । २ कटि । कमर । ३ या दूर करती हो। २ गुडुच । ३. मकोय । काकमाचा। विप । जहर । ४ वैद्यक के अनुसार वह प्रौपच जो जरा और ४ महाकर ज । ५ अमृत सजीवनी। गोरखदुद्वी। ६ मास- व्याधि का नाश करनेवाली हो। वह दवा जिसके खाने में रोहिणी । ७ मजीठ । ८. कनफोडा नाम की लता। ६ श्रादमी बुड्ढा या वीमार न हो। कॉछ। १० मफेद निमोय। ११ शवपुष्पी । शखाहुली। विशेप-ऐसी प्रौपधो से शरीर का वल, आँखो की ज्योति और १२ कद गिलोय । १३ नाडी। वीर्य श्रादि बढ़ता है। इनके खाने का विधान युवावस्था के रसायनी-संज्ञा पुं० [ स० रसायन ] रसाइनी। रसायन शास्त्र आरम और अंत मे है। कुछ प्रसिद्ध रसायनो के नाम इस का जाननेवाला। उ०-राम की रजाय ते रमायनी समीर- प्रकार हैं-विडग रसायन, ब्राह्मी रसायन, हरीतकी रसायन, सूनु, उतरि पयोधिपार सोधि सरवाक सो । तुलसी ग्र०, नागवला रसायन, प्रामलक रसायन आदि । प्रत्येक रसायन पृ०१४६। मे कोई एक मुख्य पोषधि होती है, और उसके साथ दूसरी रसार सञ्चा पुं॰, वि० [ स० रमाल ] दे० 'रमाल' । अनेक ओपधिया मिली हुई होती हैं। रसाल'--संज्ञा पुं० [स०] १ आम । २ ख । गन्ना | ३ कटहल । ४ ५. गरुड । ६ वायविडग। ७. विडग पदार्थो के तत्वो का ज्ञान । कुदुर तृण । ५ गोधूम । गेहूँ । ६ अम्नवेन । ७ शिलारस | विशेप दे० 'रसायन शास्त्र' । ८. वह कल्पित योग जिसके द्वारा लोबान । ८ बोल नामक गधद्रव्य । ६ एक प्रकार का मूसा तांवे से सोना बनना माना जाता है। ६, धातु विद्या, जिसमे (को०)। धातुश्रो को भस्म करने या एक धातु को दूसरी धातु मे बदल रसाल'- वि० [ वि० स्त्री० रसाला ] १, मधुर । मीठा । २ रसीला। देने आदि की क्रिया का वर्णन रहता है । ३ मुदर । मनोहर । ४ स्वादिष्ठ । ५. माजित । शुद्ध । ६ रसिया । रसिक । उ-तासो मुदिता कहत हैं, कवि मतिराम रसायनज्ञ-सज्ञा पुं० [सं०] रसायन क्रिया का जाननेवाला। वह जो रसायन विद्या जानता हो। रसाल । -मतिराम (शब्द॰) । रसाल-सञ्ज्ञा पुं० [अ० इरसाल ] कर । राजस्व । खिराज । उ०- रसायनफला-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] हरे । हठ । हरीतकी । श्रीनगर नेपाल जुमिला के छितिपाल भेजत रसाल चौर गठ रसायनवर-सशा पुं० [सं०] लहसुन । कुही बाज की। भूपण (शब्द०)। दे० 'रिसाल' । रसायनवरा-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ कगनी । २. काकजघा । रसालय-सज्ञा पुं० [ स० ] १ आम का पेड। २ वह स्थान जहाँ रसायनविज्ञान-संशा पुं॰ [ सं० रसायन विज्ञान ] दे० 'रसायन' । आमोद प्रमोद किया जाय । ३ वह स्थान जहाँ अनेक प्रकार के रसायन शास्त्र--सचा पु० [सं०] वह शास्त्र जिसमें इस बात का रस आदि बनते हो । रसशाला । विवेचन हो कि पदार्थों मे कौन कौन से तत्व होते हैं और रसालशर्करा-सज्ञा स्त्री० [ स० ] गन्ने या ऊख के रस से बनाई उन तत्वो के परमाणुप्रो मे परिवर्तन होने पर पदार्थों मे किस हुई चीनी। प्रकार का परिवर्तन होता है । रसालस-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० रसाल ] कौतुक । उ०—समुझहि सुमति विशेप- इस शास्त्र का मुख्य सिद्धात यह है कि ससार के सब रसाल रसालस रमा रमन के। हरि प्रेरित वह भाप भाप पदार्थ कुछ मूल द्रव्यो के परमासुमो से बने हैं। वैज्ञानिको नाचत बन बन के ।-तुलसी मुधाकर (शब्द॰) । ने ६४ मूल द्रव्य या मूलभूत माने हैं, जिनमे से धातुएं (जैसे,- रसालसा-सञ्ज्ञा श्री० [ सं०] १ पौढा । गन्ना । २ गेहूं । ३. कु दुर सोना, चांदी, तांबा, लोहा, सीसा, रांगा, पारा आदि ) नाम की घास । ४ शिरा । वमनी (को०)। है, कुछ दूसरे खनिज ( जैसे -गधक, सखिया, सुरमा आदि) रसाला-सचा स्त्री० [सं०] १ दही का बना हुया शरवत । हैं और कुछ वायव्य द्रव्य (जैसे,—प्राक्सिजन, हाइड्रोजन, सिखरन । श्रीखड। २ दही मिला हुआ सत्त । ३ प्राचीन नाइट्रोजन आदि ) हैं। इस शास्त्र के अनुसार यही ६४ मूल काल की एक प्रकार की चटनी, जो दही, घी, मिर्च, शहद मादि द्रव्य सव पदार्थो के मूल उपादान है, जिनके परमाणुप्रो के को मिलाकर बनाई जाती थी। ४ दूब । ५ विदारीकंद । योग से ससार के सब पदार्थ बने हैं। प्रत्येक मूल द्रव्य मे एफ ६ दाख । ७ पौढा । ८ जीभ । ही प्रकार के परमाणु होते हैं, और जब किसी एक प्रकार रसाला'-सञ्ज्ञा पुं० [अ० रिसाल ] दे० 'रिसाला' । के परमाणुप्रो के साथ किमी टसरे प्रकार के परमाणु मिल रसाला-- वि० [ स० रसाल ] रसपूर्ण । मधुर । उ०-लगे कहन जाते हैं, तब उनसे एक नया और तीसरा ही द्रव्य तैयार हरि कथा रसाला ।—मानस, ११६० । हो जाता है। जो शास्त्र हमे यह बतलाता है कि कौन चीज रसालाम्र-सज्ञा पुं० [सं० ] बढिया कलमी ग्राम । किन तत्वो से बनी है और उन तत्वो मे परिवर्तन होन का रसालिमा-वि० स्त्री० [ सं० रसालक ] १ मधुर । मृदु । २ सरस । क्या परिणाम होता है, वही रमायन शास्त्र कहलाता है। उ०-उर लसी सुतुलमी मालिका । हुलसी सुमति रसालिका । रसायनश्रेष्ठ-सज्ञा पुं० [सं० ] पारा । -गिरधर (शब्द०)।