पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३७९

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रमेश्वर दश० रसिया ४१३० रसित सुनि रुचिर मोर जोरी जनु नाचति ।-तुलगी (ग-द०)। रसीला---० [हिं० रस + ईला (अ.प.)] [ffi० गोला ] २ अगूर को शराव । द्राक्षासव । १ रग मे भामा । गा। २ पाटि। मदार । ३ समाना। माना गया। ४ नाग पिलाम रामी। रसिया-सस पुं० [सं० रसिक, या रस + ज्या (हिं० प्रत्य॰)] १ र लेने ना । रसिक । २ एक प्रातः का गाना जो नागुन या। ५ रोला । मुर। मौसिम में व्रज और वु देलवड श्रादि म गाया जाता है। रसीलापन- पु । कि रसीला - पन (प्रत्य॰)] riला हा पानावया । रसियाव-श पुं० [हिं० रस + इयाय (प्रत्य०) रमित्रार । गन्न के रम मे पका हुआ चावल । बसीर । ग्सुम- ५० [1. रमोन ] 7TTITI रसि रसि-क्रि० वि० [हिं० रस रस) ० 'गरम' | 26- गवर-2700 [प्र.] १ प्रण । न । रमाई। रसि रसि सचे ब्रह्म कियारी।-पाण, पृ । 1 TTT 1 1770771 रसी' '-उशा सी० ] एक प्रकार पो मन्जी जा विहार यी ल, गो मार मारपन तासी या सनम सयुक्त प्रात मे बनती है। 177 17.177, JO 9071 गमूम- Y० [प्र. ] 2 T का न २ नियम । कानून । रसी-सशा [हिं० रस + ई (प्रत्य॰)] २० 'रसिक' । ३ वजा ना प्यार पार दिया रसील-तज्ञा स्त्री० [हिं० रस्सा) रनी'। उ.--गिरा। जETITIग। ४ नमन जो गावी पोईवान पाम भागीरथी गोभा देत जाली चार तार मा] का I 71 में सीमा पर दिया गाया ।। है।-भारतेंदु ग्र०, भा० १, पृ० २८१ । या-ममरानत । रसी-वि० [स० रसिन्] [सी० रसिनो] ? रगगुणा सार। ५ रन जोमोगारोना फीमा में नजगने या भेंट २. रागान्वित । अनुरक्त । राहदय । ३ रा। चादा पादिपमेशा जाता। रुचिकर (को०)। रखूमानदालत-- 107 ई० [अ० र पन रोपालत न पोई रसीद-सक्षा सी० [फा० । अ० रिसीट] १ किसी पीज के पान या मुमा यादि पावर पग्न के समय कानून के अनुसार हारी प्राप्त होने की ग्रिन्या । प्राप्ति । पहुंच। जैसे,-पारसन मेजा व्यय केप दिया जाता है। सर्ट फीस । म्याप । है, उसकी रमीद की इतला दीजिएगा। विशेष-मित गिना या मुरमा की नालियत के लिये पन मुहा०—रसीए करना=3 = (१) लगाना ( थप्पर, गुला पादि)। पायानन द्वारा निरित होती है, और गुरुदमा जडना। मारना। जैसे,-थप्पर रसीद कगा, सीधा हो दायर बाल पा 31वाका सरकारी कागन या स्टा सरीपना पदमा? तपा पागज पर अपना दावा दायर जाएगा। २. प्रविष्ट करना । घुनेउना । (बाजार)। पारना होता है।गा या दानपा प्रादि निपने के लिये नी २ वह जिसपर व्योरेवार यह निखा हो कि अप वस्तु या सी प्रकार गम पदालत लगता है। द्रव्य अगुक व्यक्ति से अमुक कार्य के लिये प्रगत मगध पर पाया। किसी चीज के पहुंचने या मिलने के प्रमाण रूप में रसूल--मजा पुं० [अ० जो प्रमोभापती ईसर या दूत कहता हो मार साधारण में माना जाता हो । पंगधर । जैसे,- लिखा हुआ पत्र । प्राप्ति का प्रमाणपा। मुहम्मद तात्य मुदा के रसून थे । विशेप-प्राय जब किमी का कोई चीज या धन का मे, रतली'-- • [१० रमल + ६ (प्रत्य॰)] १. एक प्रकार का ऋण चुकाने के लिये अथवा और किगी मामले के मवच में गए । २ एक प्रकार का जो । ३ एक प्रकार को काली मिट्टी। दिया जाता तव पानेवाला एक प्रमाणपत्र लिखकर देनेवाले को देता है, जिसमें यदि पानेवाला पभी उस चीज या धन की रसूलो- वि० रमूल गयी । रन का । प्राप्ति से इनकार करे, तो उसके विरुद्ध प्रमाण के रप में वही रसेद्र- पुं० [ ३० रपेन्द्र ] १ पारद। पारा । २ राजमाप । रसीद उपस्थित की जाय । लोरिया । ३ एक प्रकार की गौपच जो जीरा, पनियां, पीपल, मुहा०- रसीद काटना = किमी को रसीद लिखकर देना। माहद, प्रिकुट योर रसनिंदर के योग से बनती है । ४ चिंता- मरिण । “पर्शमणि । पारस पत्थर जिसके स्पर्श से लोहा गोने मे क्रि० प्र०—देना ।-पाना।लिखना ।-लिसाना, प्रादि । परिवर्तित हो जाता है। ३ पता । खवर । (क्व०) । जैसे,--तुम तो किसी बात की रसीद यो०-रगेंदवेज, रसदसजाव = दे० 'रसेंद्रवधफ' । ही नहीं देते। रसेद्रवेधक-सा पुं० [सं० रसेन्द्रवेवफ ] सोना । रसीदा-वि० [फा० रसीदह ] पहुंचा हुआ । रसेश्वर-तज्ञा पुं॰ [स०] १ पारा । २ एक दर्शन का नाम जो रसील-वि० [हिं० रसोला ] दे० 'रसीला'। उ०-मन रसील के छह दर्शनी में नहीं है। सुधा स्वल्पा। ग्रामय पीन हीन रस भूपा।-रघुराज विशेप-इस दर्शन मे पारे को शिव का वीर्य और गधक को पार्वती (शब्द०)। का रज माना है। इनके १८ सस्कार लिखे हैं और इनके