पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३९०

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राजकर्ना ४१४१ राजजामुन राजका-संरा पुं० [म० राजन] जो पुरुष दूसरे को राजसिंहासन पर बैठाता है। किसी वो गजगदी पर यथेच्छ बैठाने पौर उतारने की शक्ति ग्रानेवाला पुष्प । राजयला- ज्ञा ली० [न०] चद्रमा भी नोलह कागानो मे से एक पला GO . का नाम। राजलि-सा पु० [स.] गुट राजा । बूरा मो०] । राजकल्प-वि० [स०] ३० 'राजदेशीय'। गजक्शेर-सज्ञा पुं० [स०] भद्रमोथा । नागरमोगा। राजकीय-वि० [म.] राजा या राज्य से सवध रखनेवाला। राज्य मवधी । जैसे,—राजपीय घोपणा। गजउँअर-सा पुं० [न० राजकुमार ] [को० राजयुनरि, राजकु पारी] रागयुगार | 5०-लग्यो मुद्रा यह रान्यासी। राजयुपर कियो भेन उदासी ।-सूर (शब्द॰) । राजकुमार-पु० [म०] [स्त्री० राजकुमारी राजा का पुत्र । राजकुल-सा पुं० [सं०] १ राजानो का खानदान । गजवश । उo-गृगराज राजा यलग कह बालक वृद्ध न जानिए - कोशव (गन्द०)। २ राजसभा। राजदरबार । ३ न्यायसभा । न्यायालय (यो०) । ४ राजमहल । प्रासाद । गौच । राजमदन (को०)। ५ राजा का सेवक । शाही नीकर (को०) । ६ स्वामी । मालिक (को०)। राजकुलक-देश० पुं० [सं०] परवल की लता। राजकुमाड-राग ५० [म० राजकुष्माण्ड] बैंगन । राजकोलस पुं० [सं०] वा वेर । राजकोलाहल-मशा पुं० [स०] संगीत मे ताल के साठ मुख्य भेदो मे राजगोगे- [f रागीर (ना.) र TI कार्य वा पद। राजगृह-ज्ञा पुं० [ 12 जाना मल । एक प्राचीन म्याग गाजोनिमें पहने है। विणप-नेपाचीन में गिरि | TT अनुनार यगोनी जी, जिनके गाग घी गगाना- पायाचना था। महामात गरमी रामारी की। महाभारत मे उन पार पता का नाम पारा, उपभ, पगिरि ग्रोवन्यजनिया: । वायपुगण मी पाचा नाम पंगा, गिरिद्रज, राट, नानदार पुिल निता है । गौरिग में यालगिरने उत्तर, जो माभाग्न र समय चन्यक पहले ये, रस्वती नापननी में पूर्वी नीन राजगह बनाया था। गाती पर रामगि पहले। यह शाणिक महावोर तीर वाला Bा उनका प्रया भक्त वा । महात्मा बुदयमय में य. निती राज- धानी थी। इन पाल पर सपने में मातीर चोर गौतम ने नाम श्रीर उपदेश दिया जानना दौरा का प्रयग नघ यही पर घटिता ना, कीपर महासतम्बर न निपिटा का प्रथम मह किया । बता नासा जोर नियों के अनेक मदिर, स्तूप भार ने यादि है। चीन नगर के भग्नावशेष इसमे सव तक देने जात है। यहां अनेक प्राचीन प्रगिलस भी मिले हैं। पर म्यान त्रोता, तो बार हिमा का प्रधान तीर्थस्थान है। राजगोपालाचारी-सरा पु० [ मं० ] प्रथम भारतीय गवर्नर इनस्त (सन् १६४८५०). राजग्रीव-सरा पुं० [सं० ] एक प्रकार की मरनी। राजघ' - वि० [सं०] राजा गो माग्न्याना । गला त्या करनेवाला। राजर'-वि० ताण । नेज । राजचपक-स. पु० [सं० राजय प; ] पुराना से एक। चा। राजकोपातक-मजा पुं० [स०] [स्त्री० राजकोपातली] एक प्रकार का ननुया जो बहुत बड़ा होता है । घीया । तरोई। राजक्रोशक मग पुं० [सं०] राजा को गाली देने या कोननेवाला । राजा की अनुचित शन्दो मे पालोचना करनेवाला। विशेप-वोटिल्य ने इसके न्यि जीभ उखाउने का दर लिसा है। राजक्षवक-सा पुं० [सं०] राई । गजसर्जुरी 1-सरा सी[म० ] पिउ खजूर । गजगदी-स[हिं० राज+गद्दी ] १ राजगिटागन । राजा के बैठने का प्रासन । २. राज्याभिषा । राप्यारोगा। ३. राज्या- विकार । उ०-जा गयाति पगार हो बोला नि तेरे कुल मे राजगद्दी -हेगी। नन्नू (T०) । राजगवी- पी० [ 10 ] गाय की गति गा एक पशु । राजगिरि - सा पुं० [सं०] १ मगय देश एर पर्यन मा नाम । २ । ३२० 'राजगह' । गजगी- रा ० [To राजा+गी (प्रत्य०) ] गजा रा पर। राजगीर- Y० [ मुं० राज+ गृ] पान बनाीवाना कार | गा। पर्छ। राजचित-17 ० [२०] ' 'त्र, पर, पारिजाई विह। २ गजादा । गवाद। राजचिठक- ० [ 10 ] नि । गजचूडामणि-तणा ए० [ ० रामामगि ] गाने पर भी में से एक । (गीत)। राजजयू-१ . [ मे] १ । परें। राजजमा-पु. [ 73] TETRY T'liol ! गजजामुन-5 [P ETF-1 मा TITTी, दाय धीर नाग "मा।