co स० स० स० राजभट्टिका ४१५३ राजयोग राजट्टिका-सचा स्त्री० [ ] एक प्रकार का जलपक्षी। गोभटीर । राजमहिपी -सदा स्त्री॰ [सं० ] पटरानी । प्रधान रानी [को०] । पकरीट । हायुत्री। राजमाता-सज्ञा स्त्री॰ [ स० राजमातृ ] वह स्त्री जिमका पुत्र राजा राजभद्रक-सञ्ज्ञा पु० [ स० ] १ फरहद का पेड़। पारिद्रक। २ हो । राजा की माता। उ०-मझनी मां ने क्या समझा था नीम । निव । ३ कुडा । कुष्ठ । ४ कुदस् । ५ मफेद पाक । कि मैं राजमाता हूंगी।-पचवटी, पृ०७ । राजभवन सज्ञा पु० [सं०] १ गजप्रासाद । राजा का महल । राजमात्र-वि० [ न० ] जो नाम मात्र का राजा हो । २ राजवानी में राज्य का वह भवन जहाँ राज्यपाल या उप- राजमान- वि० [ ] दीप्त । चमकता हुअा। गोभित [को०] । राज्यपाल रहते हैं। राजमार्ग-सज्ञा पु० [ ] राजपथ । चीडी सडक । राजभापा-राशा स्त्री० [सं० राज+भापा] वह भाषा जो मरफारी राजमाप-सज्ञा पुं० | सं० ] वडा उरद जो नीले या काले रग का काम काज तथा न्यायालया के लिये स्वीकृत हो । राष्ट्रभाषा। होता है। राजभूय-सज्ञा पुं० [ ] राजत्व । राज्य । विशेप वैद्यक मे इसे रुचिकर, रुक्ष, लघु, वातकारक और वल राजभृत-सज्ञा पु० [ स० ] राजा का सैनिक वा वेतनभोगी भृत्य । तथा शुक्र बढानेवाला लिखा है। विशेष दे० 'उरद' । राजभृत्य-सा पुं० [स०] १ राजसेवक या राजमग्री। २ सरकारी पर्या-नीलमाप । नृपमाप । अथवा जनता का प्रशासक (को०] । राजमाध्य-सज्ञा पु० [सं०] वह खेत जिममे माप बोया जाता राजभोग - सज्ञा पुं० [सं०] १ एक प्रकार का महीन चान जो हो। मसार। अगहन मे होता है । उ० - राजभोग प्रा रानी काजर । भाति राजमुद्ग -सचा पु० [सं०] एक प्रकार का मूंग । यह सुनहले रंग का भाँति के मीझे चावर |-जायमी (शब्द॰) । २ राजा का होता है और खाने मे अधिक स्वादिष्ट होता है। भोजन । राजकीय भोजन (को०) । ३ एक प्रकार का आम । राजमुद्रा-सरा सी० [स०] १. राजा की मुहर । सरकारी गुहर । राजभोग्य-संज्ञा पु० [ स०] १ जावित्री । २ पयार । चिरीजी। २ राजा के नाम स अकित वह अंगूठी जिसे राजा धारण ३ एक प्रकार का धान । राजभोग । करता हो। राजमडल सच्चा पुं० [ स० राजमण्डल ] ऐसे राजापो का राज्य जो राजमुनि-सा पु० [स०] राजपि । किसी राज्य के आस पास हो। किसा राज्य के पास पास राजमृगाक-मज्ञा पु० [स० राजमृगाक] एक मिश्र रस का नाम जो या चारो योर के राज्य । यक्ष्मा रोग मे दिया जाता है। विशेष-नीतिशास्त्र ने बारह प्रकार के राजमडल माने गए हैं विशेष—इनके बनाने की विधि यह है-सोने को उतनी ही चांदी, अरि, मित्र, उदासीन, विजिगीपु, पाणिग्राह, अाक्रद, विजि पौर उससे दूने मैनशिल, गधक, हरताल तथा तिगुने रमसिंदूर गीपु का पुर मर और पश्चाद्वों, पाणिग्रहसार, श्राक्रसार, के साथ मिलाकर एक कौडो मे भर देते है। फिर बकरी के अरिसम, मिनसम और मध्यम । दूध मे मुहागा पीसकर उमसे कौडी का मुंह बंद कर देते है । रोजमफ- -- ससा पुं० [ २० राजमार्क ] एक प्रकार का मेढक जो फिर उसे मिट्टी के बरतन मे भरकर गजपुट से फूंक देते है। बहुत वडा हाता है। ठडा होने पर उसे निकालकर पीस डालते हैं। कुछ लोग चांदी की जगह नया और रससिंदूर की जगह चौगुना पारा डालकर पर्या- महामदक । पीताभ । वर्षांघोप । महोवे । भी यह रस बनाते हैं । यह रन चार रत्ती की मात्रा मे साया राजमत्रधर-सा पुं० [सं० राजमन्नधर ] दे० 'राजमश्री' (को०] । जाता है । इसका अनुपान घा, मधु या पीपल और मिर्च है। राजमत्री-संज्ञा पुं० [सं० राज न्त्रन् ] राजा का मत्री । अमात्य । राजयक्ष्मा-सरा पु० [स० राजयक्ष्मन् क्षयी। यदमा। क्षय रोग । तपेदिक । विशेप दे० 'क्षय' । राजमदिर-सञ्ज्ञा पु. [ म० राजमन्दिर ] राजमहल । प्रामाद | राजयक्ष्मा-वि० [सं० राजयदिमन्] जिसे राजयक्ष्मा रोग हुना हा । उ०-तेाहे पर ससि जो कचपचिन्ह भरा । राजमंदिर सोने नग क्षय रोग से पीडित । जरा।-जायसी ग्र० (गुप्त), पृ० २ ६। राजयान-संशा पु० [सं०] १ पालकी । २ वह ननारी जो राजा के राजमराल-सज्ञा पुं० [सं० ] राजहन । लिये हो। ३ राजा की सवारी का निकलना। राजा का जलूस । राजमहल-सज्ञा पुं० [हिं० राजा+ महल ] १ राजा का महल । राजप्रासाद। २ एक पर्वत का नाम जो बंगाल मे सघाल राजयोग-तज्ञा पु० [मं०] १ वह प्राचीन योग जिमका उपदेश परगने के पास है। पतजाल ने योगशास्त्र में किया है। विशेष-यह पर्वतमाला समुद्र से दो हजार फुट मची है। यहां विशप-इसमें यम, नियम, धामन, प्राणायाम, प्रत्याहार, पारणा, मुगल साम्राज्य काल के वन अनेक प्रासाद, मसजिदें, भवन ध्यान धार समाधि नामक भष्टांग का यथाक्रम सन्यास रिन्या भादि विद्यमान है। जाता है । इस प्रप्टाग योग भी कहते है। विशेष २० 'योग'। सचिव [को ।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३९४
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