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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४०४

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रापरंगाल ४१६५ रामगिरि रापरगाल-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का नृत्य । उ०-शूल वध्वंक ४ तीन की सख्या । ५ ईश्वर । भगवान् । ६ एक मात्रिक छद पादेन सहेवानुपतेद्य दे। द्वितीयोऽपि तदा रापरगाल तद्विदो जिसमे और ८ के विराम मे प्रत्येक चरण १७ मात्राएं विदु ।-केशव (शब्द०)। होती हैं और प्रत मे यगण होता है। जैसे,—सुनिए हमारी, रापी-सा सी० [हिं० राँपी] चमारो का सुपी नाम का प्रौजार विनय मुरारी। दीजै हमारी, विपत्ति टारी । ७ वरुण | ८. जिससे वे चण्डा साफ करते और काटते हैं। उ०-अस कहि घोडा। अशोक वृक्ष । १० रति । ११ वधुग्रा । एक साग । रापी ताहि की तामे दियो छुवाइ । तुरतै कचन की भई तेहि गुण १२ तेजपत्ता। १३ प्रेम करनेवाला । प्रमी (को०)। १४. दियो दिखाइ।-रघुराज (शब्द०)। अरुण का एक नाम (को०)। १५ रात्रि का अधकार । १६ कुष्ठ । १७ तमालपत्र (को॰) । राव-सज्ञा स्त्री० [पुं० द्रावक (= मोम) ] आँच पर प्रौटाकर खूब गाढा किया हुआ गन्ने का रस जो गुड से पतला और शीरे से राम'-वि० १ मनोज्ञ । सु दर । २ आनददायक । ३ सुफेद । श्वेत । ४ काला । असित [को०] । गाढा होता है । इसी को साफ करके खांड बनाई जाती है। रामअजीर-सज्ञा स्त्री० [हिं० राम + फा• अजीर] पाकर वृक्ष । राव-सशा स्त्री॰ [देश॰] नाव मे वह बडी लकडी जो उसकी पेंदी मे पकरिया। लवाई के बल एक सिरे से दूसरे सिरे तक होती है। पहले यही लकड़ी लगाकर तब उसपर से अहार चढाते है। रामक'-वि० [सं०] श्रानदयुक्त । पानददायक । रावडी-सज्ञा स्त्री० [हिं० राव+डी (प्रत्य०)] प्रौटाकर गाढा रामक-सा पु० मंदिर का एक आकार प्रकार (को०] । किया हुश्रा दूध । वसीधी। रबडी।।२ राजपूताने की ओर गमकजरा-सज्ञा पु० [देश०] एक प्रकार का धान जो प्रगहन मे तैयार का एक विशिष्ट खाद्य। होता है। रावना- क्रि० म० [सं०] खेत मे खाद देने की एक विशेष प्रणाली। रामकपास-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० राम + कपास] देवकपास । नरमा । विशेष दे० 'नरमा। विशेप-इसमे पहले खेत मे खाद, सूखी पत्तियाँ और टहनियां रामकरी, रामकली-सज्ञा स्त्री॰ [म०] एक रागिनी । आदि रखकर जला देते है, फिर उनकी राख समेत जमीन को एक बार जोत देते है। वही राख खेत मे खाद का काम विशेष—यह भैरव राग को स्त्री मानी जाती है। इसके गाने का समय प्रात काल १ दड से ५ दड तक है। यह सपूर्ण जाति की रागिनी है और इसमे ऋपम तथा निपाद कोमल लगते हैं। राम-सज्ञा पुं० [स०] १ मूर्यवंशी महाराज दशरथ के पुत्र जो दस रामकाड-सशा पुं० [सं० रामकाण्ढ] एक प्रकार का बेंत [को०] । अवतारो मे से एक माने जाते है। विशेप दे० 'रामचद्र' । २ रामकॉटा-सज्ञा पुं० [हिं० राम + काटा] एक प्रकार का ववूल । परशुराम जो विशु के अशावतार माने जाते है । विशेष दे० 'परशुराम' | ३ कृष्ण के बड़े भाई बलराम या बलदेव । रामकिरी-सज्ञा स्त्री॰ [स०] दे० 'रामकली' । विशेप दे० 'बलराम'। रामकृत्-सज्ञा पुं० [स०] एक राग का नाम [को०)। मुहा०-राम शरण होना = (१) साधु होना । विरक्त होना । रामकेला-महा ५० [हिं० राम+ केला] १ एक प्रकार का बढ़िया (२) मर जाना। परलोकवासी होना। उ०- राम राम कहि राम सिय राम शरण भए राउ । —तुलसी (शब्द०)। राम विशेष—इसके पेड का तना, फूल प्रादि गहरे लाल रंग के होते हैं। जाने = (१) मुझे नहीं मालूम । ईश्वर जाने । (२) यदि मैं भूठ इसका फल पतला और प्राय. एक बालिश्त लबा होता है। यह कहता होऊं तो उसके साक्षी भगवान है (एक शपथ )। बबई प्रात की ओर अधिकता से होता है और बगाल के केलो राम राम घरना = (१) अभिवादन करना । प्रणाम करना । से आकार प्रकार मे बिलकुल भिन्न होता है। (२) भगवान का नाम जपना । राम नाम सत्य है = एक वाक्य २. एक प्रकार का बढिया पाम जो वगाल और मिथिला मे जिसका प्रयोग कुछ हिंदू जातियो मे मृतक को श्मशान ले जाने होता है। के समय होता है और जिससे ससार की असारता और रामक्री-सञ्ज्ञा स्त्री० [ ] एक राग । दे० 'रामकरी' [को०] । मिथ्यात्व तथा ईश्वर की सत्यता का बोध होता है। राम राम रामक्षेत्र-सज्ञा पुं० [स० ] पुराणानुसार दक्षिण देश का प्राचीन करके = वडी कठिनता से। किसी प्रकार। उ०-राम राम तीर्थ । करके वाममती से पीछा छूटा है, फिर यह विपत कहाँ से रामखड-सक्षा ५० [म. रामरखण्ड पुराणानुसार एक प्राचीन तीर्थ । पाई। अयोध्या (शब्द०)। राम राम होना = भेंट होना । मुलाकात होना । उ०—कैसे हहै दई मेरे आनद की जई राम, रामगगा-सचा स्त्री॰ [ सं० रामगङ्गा ] एक छोटी नदी जो पीलीभीत भई गम राम श्राज नई राम राम सो।-रामकवि (शब्द०)। के निकट से निकलकर कन्नौज के आगे गंगा मे मिलती है। राम राम हो जाना = मर जाना। गत हो जाना। उ०--तो रामगिरि-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] नागपुर जिले की एक पहाडी जिसका लो रहे प्राण दशरथ जू के नीके, पाछे राम नाम लेत राजा वर्णन कालिदास ने अपने मेघदूत मे किया है। आजकल इसे राम राम ह गयो।-रामकवि (शब्द०)। रामटेक कहते हैं। देती है। केला । स०