पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४१८

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रिक्वहारी ४१७७ रिझायनो यौ०-रिफ्यग्राह, रिक्यभागी, रिस्यहर = (१) उरागधिकारी । रह नुफने पर छुट्टी पा जाने हैं। जिस पटन में ये भी हाते दायाद । (२) पुत्र । है, जिविस्टा या रक्षित मैनिया मे नाम रहने पर भी ये उम पलटन के ही बने रहते है। केवल दो दो वप पर इन्ह दो दो रिक्यहारीमा पुं० [ सं० रिकवहारिन् ] [ पी० रिफ्यहारिणी ] १ वह जिसे उत्तराधिकार मे धन गपात्त मिले । २. मामा । महान के लिये नौनक शिक्षा प्राप्त करने के वास्ते अपनी पाटन ३. न्यग्रोध बीज या उदु बर का वीज (को॰) । मे जाना पड़ता है । २५ वर्ष को सैनिक नवा बाद इन्द्र पेंशन मिल जाती है। रिक्थो-सज्ञा पुं॰ [ स० रिथिन् ] [ नी० रिथिनी ] १ यह जिम उत्तराधिकार में घन या सपत्ति मिले। दायाद । उतरा रिजल्ट-सा पुं० [प्र०] परीक्षाफल । इम्तहान का नतीजा । जो,- धिकारी। २ वह जो मृत्युलेख लिखता हो। मृत्युलेख इस बार एम० ए० का रिजल्ट बहुत अच्छा हुआ है। लिखनेवाला व्यक्ति (को०)। ३. धनी व्यक्ति । धनवान् क्रि० प्र०-निकलना।-होना । (को०)। मुहा०-रिजल्ट श्राउट होना = परीक्षाफत का प्रत्याशित हाना । रिक्ष - सझा पुं० [सं० ऋक्ष ] दे० 'क्ष' । इम्तहान का नतीजा निकलना। रिक्षपति - संश पुं० [सं० वृक्षपति ] दे० 'क्षपति'। रिजाली 1- सज्ञा सी० [फा० रज़ील (= नीच)] रजोलपन । निर्नज्जना। रिक्षा- मशा स्त्री० [सं० J१ लीक्षा। लीस । जू का प्रस। २ वेहयाई । उ०-काउ माला को प्रोति गम्हाली, स्याम गाली । विमरेगु । प्रसरेणु। मुकवि रिजाली दई वहाली भइ नभ लाली । -- याम (पाद०)। रिक्वा-मना पुं० [सं० रिक्वन् ] तस्कर । चोर [को॰) । रिजु-वि० [स० ऋजु] द 'ऋजु' । रिसभ - सञ्ज्ञा पु° 1 म० प्रपभ ] दे० 'ऋपभ' । रिमकवार-राज्ञा पुं० [हिं० रीझना + वार (प्रत्य॰)] गिगी के रिखि-सज्ञा पुं॰ [ म० ऋपि ] ऋषि । मुनि । गुण पर प्रसन्न हानेवाला। रामनवाला। उ०-रिकावार रिग-सा पुं० [स० ऋक्] दे० 'क्' । दृग देखि के मनमोहन की पोर । भारत मारत रीझ जनु अरत रिचा--सपा स्त्री० [स० ऋचा] दे॰ 'ऋचा' । है न निहार । -रमानाध (शब्द॰) । रिचीक-सञ्ज्ञा पुं० [स० प्रचीक] दे० 'ऋचीक' । रिझवना- क्रि० स० [हिं० रिझाना] प्रसन्न करना । रिझाना । उ०- सो कमला ताज चचलता फरि कोटि कला रिक मुर रिच्चिक-सज्ञा ० [सं० ऋचीक] दे० 'चीक' । उ०-ग्रह्मा सुत भृगु भए, भार्गव भृगु के गेह । अपि रिच्चिक ताक भए, मौरहिं ।-तुलमी ग्र०, पृ० २०४ । तेज पुज तप देह । - ह. रासो, पृ० ७ । रिझवार-राशा पुं० [हिं० रीझना+वार (प्रत्य॰)] [ी० रिझवारि] रिच्छ-समा पुं० [सं० प्रस] भालू । १ किमी वात पर प्रसन्न होनेवान्ना। २ प पर मोहित होनेवाला । उ०- रिछक-सरा पुं० [स० रक्षक रक्षा करनेवाला । रक्षक । उ०- -(क) कपटी जब लौ कपट नहिं नाच नमो परम परमेश सकल कू चूण नुगाए । चौरामो मे रियक बिगुरदा घार | तब लो कैसे मिलंगो प्रमु माचा रिभवार ।- सफल पूर चूख चुगाए।-राम वर्म०, पृ० २२३ । रमनिधि (शब्द॰) । (ख) मोहि भरोमो गेमिही उझकि झाति इक बार । रूप रिझावनहार यह ये नैना रिझार ।-बिहारी रिछछ - सा पुं० [स० प्र.४] भालू । रीछ । उ० - दून यपि रिछ्छ (शब्द॰) । (ग) नदनदन के प पर गेझ रही रिझयारि ।- उत र छगन ही की चमू, उका देत वका गढ़ लका ते कद लगी।-पमाफर ग०, पृ० २०३ । मति० ग्र०, पृ० ३३२ । ३ अनुराग करनेवाला । प्रेमी। 8. गुण पर प्रसन्न होनेवाला । कदरदान । गुरगगाहरू । रिजल -वि० [स० ऋजु] ३० ऋजु' । उद-मन्वउ फेरा रिज नग्रन तरुणी हेरहि वक-कीति०, पृ० ३२ । रिझवैया-सा पुं० [हिं० रोमना+चया (प्रत्य॰)] २० कपार' । रिझाना-कि०म० [सं० रखन] १ किमी को प्रस्ने कपर प्रसन्न कर रिजर-मज्ञा पुं० [अ० रि रोजी । जीविका । जीवनवृत्ति । लेना। किसी को अपने कार सुन करना । उ०---न्दाम प्रभु कि० प्र०-देना। पाना ।-मिलना । विविय भांति करि मन रिभयो हरि पी को।-पूर (72८०)। गुहा०-रिजक मारना = किसी को जीपिका मे वापा डालना । २ अपना प्रेमी बनाना । अनुक्त करना । माहित करना । रोजी मे सलल डालना। लुभाना। रिजर्व-वि० [अ० जिर्व] पिनी विशेष पार्य के लिये निश्चित या रिझायला!-वि० [हिं० गझना+प्रायन (पत्य०)] किमी कार रक्षित किया हुमा । जसे,-रिजर्व पुरसी, रिजर्व गाटी, प्रसन्न होनेवाला । रीनेवाला। 10-पि नाथ नई उर रिजर्व मैना। नाय पिया रति रग तरग रिझायन शोनाथ (२०)। रिजविस्ट-सा पुं० [अ०] वे सैनिक जो भापत्थान के निपै रक्षित रिमाय-० [हिं० रामना । माय (प्रत्य॰)] सिा के कार रखे जाते हैं। क्षन मनिक । प्रसन्न होन या रोहन का भार । विशेष-रिपिस्ट मंनिक गम से कम तीन वर्ष तक लड़ाई पर रिफायना-कि 30 दिल रिझाना] २० रिटाना' | 30-