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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४१९

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-मशा व्योरा। रिझौना ४१७८ रिफार्मेंटरी ललिता ललित वजाय रिझावति मधुर बीन कर लीन्हे । —सूर रिपु-सज्ञा पु० [ स० ] १ शत्रु | दुश्मन । बैरी । २ जन्मकुंडली में (शब्द०)। नग्न मे छठा स्थान । ३ पुराणानुमार ध्रुव के पोते और रिझोना-वि० [हि० रीझ + प्रौना (प्रत्य॰)] जिमपर रीझा जाय । श्लिष्टि के पुत्र का नाम । ४ विरुद्ध ग्रह (ज्योतिष) । अपने पर रिझानेवाला । उ०-रूप रिझोंने मुमकि चलति जब रिपुघानो-मज्ञा पुं॰ [ मं० रिघातिन् ] दे० रिपन'। काम अहेरी के टटावक टोने ।-नद. ग्र०, पृ० ३४५ । रिपुन-वि० [सं०] शत्रुनो का नाण करनेवाला । रिटर्निंग अफ पर-सज्ञा पुं० [अ० ] वह अफसर जो निर्वाचन के रिपुना-मना स्त्री० [ स० ) वैर । शत्रुता । दुश्मनी । उ०-जो रिपुता समय वोटो या मतो को गिनता है और कौन अधिक वोट मिलने करि हमको मार्यो। ताको हमहि सपदि महाग्यो। रघुराज से नियमानुसार निर्वाचित हुप्रा, इसको घोपणा करता है। (शब्द०)। रिटायर-वि० [ अ० रिटायर्ड ] जिसने काम मे अवसर ग्रहण कर रिपुदवन-सज्ञा पुं० [ मं० रिपु + दमन ] शत्रुघ्न । उ –पवन मुवन लिया हो। जिमने पेन्शन ली हो । अवसरप्राप्त । रिपुदवन भरत नाल लखन दीन को।–तुलमी ग्र०, पृ० ५७५ । रिटि- सज्ञा स्त्री० [सं०] १ ज्योति फूटना। लपट निकलना । २ रिपुसूदन-सशा पुं० [ मं० ] दे० 'रिपुदवन' । उ०—पिपुसूदन पद- काला नमक । ३ एक वाद्ययत्र । ४ शिव के एक पार्पद का कमल नमामी।-मानस । नाम [को०] । रिपुहन-सज्ञा पुं० [सं० रिपन ] शत्रुन। उ० सुनि रिपुहन लखि रिणवासी-सक्षा पु० [हिं० ] रनिवास । अत पुर । नख सिख खोटो।-मानम, २।१६३ । रित पु-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं० ऋतु ] दे० 'ऋतु' । रिपोर्ट स्त्री० [अ० ] १ किनी घटना का वह रिवना-क्र० अ० [हिं० रीता+ना (पत्य०) ] खाली होना । सविस्तार वर्णन जो किमी को सूचना देने के लिये किया उ०-दीज दादि देखि ना तो बलि मही मोद मगल रितई जाय । २ किमो मस्या प्रादि के कार्या का विस्तृत विवरण । है। –तुलमी ग्र०, पृ० ५२८ । ३ किमी वस्तु या व्यक्ति के सवय की जानने योग्य बातो का रितवती-सज्ञा स्त्री॰ [ सं० ऋतुमती ] द० 'रितुवती' । रितवना-क्रि० स० [हिं० रीता+ना (प्रत्य॰)] खाली करना। रिपोर्टर-मचा पुं० [अ०] १ किसी समाचारपत्र के सपादकीय रिक्त करना । उ०—(क) मजु मनोरथ कलस भरहिं अरु विभाग का वह कार्यकर्ता जिसका काम सब प्रकार के स्थानीय रितवहिं । - तुलसी (शब्द॰) । (ख) चलिवे को घरै न कर मन समाचारो और घटनाओं का संग्रह कर उन्हे लिखकर सपादक नेकु घर फिर फेर भर रितवै ।-देव (शब्द०)। को देना और अपने पत्र के लिये सार्वजनिक सभा, समिति, रिताना-क्रि० स० [सं० रिक्त+करण ] खाली करना। रिक्त उत्सव, मेले आदि का विवरण लिखकर लाना, स्थानातर में करना । उ०—अपने को सोच विचार से तो रिताया ही है। होनेवाली सभा, ममेलन, उत्सव, मेले आदि के अवसर पर जाकर -सुनीता, पृ० २२८ । वहाँ का ब्योरा लिखकर भेजना और प्रसिद्ध प्रसिद्ध व्यक्तियो से रितु-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० ऋतु ] दे० 'ऋतु' । मिलकर महत्व के सार्वजनिक प्रश्नो पर उनका मत जानना रितुराज-सज्ञा पुं० [सं० ऋतुराज ] वसत । उ०-सोह मदन होता है। २ वह जो किसी सभा या समिति का विवरण और मुनि वेप जनु रति रितुराज समेत ।-मानस, २११३३ । व्याख्यान लिखता हो। जैसे, काग्रेम रिपोर्टर । ३ वह जो सर- रितुवता-सञ्ज्ञा स्त्री० [ ऋतुमती ] रजस्वला स्त्री। कार की योर से अदालत या किसी सभा समिति या कासिल की रिद्धि--सञ्चा स्त्री॰ [ सं० ऋद्धि ] दे० 'ऋद्धि' । काररवाई और व्याख्यान लिखता हो । जैसे,—कौसिल रिपोर्टर, सी० आई० डी० रिपोर्टर | रिद्धि सिद्धि-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ऋद्धि सिद्धि] दे॰ 'ऋद्धि सिद्धि'। रिप्र '-सञ्ज्ञा पुं० [म०] १ पातक । २ धूल । गदगो (फो०) । रिधम - सञ्चा पुं० [सं०] १ कामदेव । २ बसत । रिप्र-वि० बुरा । निम्न । नीच (को०] । रिधि-सज्ञा स्त्री॰ [सं० ऋद्धि ] दे० 'ऋद्धि'। यौ०-रि धसिधि = ऋद्धि सिद्धि । रिप्रवाह-सज्ञा पुं० [सं०] वह जिसमें पाप या पातक का नाश होता हो। रिन-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ऋण ] दे॰ 'ऋण' । रिफार्म-सज्ञा पुं० [अ० रिफार्म ] दोषो या श्रुटियो का दूर किया रिनिवधी-सचा पु० [सं० ऋण+बन्ध ] कर्जदार । ऋणी। जाना । किसी सस्था या विभाग में परिवर्तन किया जाना । रिनि-वि० [सं० ऋणिन्] जिसने ऋण लिया हो। ऋणी । कर्ज- दार । उ०-देवे को न कछू रिनि हौं धनिक तु पत्र सुधार । मस्कार । परिवर्तन। लिखाउ ।- तुलसी (शब्द०)। रिफार्मर-सक्षा पुं० [अ० रिफार्मर] वह जो धार्मिक, सामाजिक या राजनीतिक सुधार या उन्नति के लिये प्रयत्न या भादोलन रिनियाँ-वि० [सं० ऋणिन् ] दे० 'रिनिर्मा' । करता हो । सुधारक । सस्कारक । रिनी -वि० [ स० ऋणिन् ] जिसने ऋण लिया हो। ऋणी । रिफार्मेटरी-सञ्ज्ञा पुं० [अ० रिफार्मेटरी] वह सस्था या स्थान जहाँ अप- कर्जदार । राधी कैदी वालक रखे जाते हैं और उन्हें प्रौद्योगिक शिक्षा दी रिप-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ पृथ्वी । २ शत्रु । ३ हिंसा । जाती है जिसमे वे लोग वहां से बाहर निकलकर जोविकानिर्वाह रिपटना-क्रि० प्र० [?] रपटना । फिसलना । विछनाना । कर सकें और भलेमानस वनकर रहें । चरित्रसशोधनालय | eo