पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४४७

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छुट्टा (को० । रेगुलेशन ४९०६ रेट पेयर्स रेगुलेशन-सज्ञा पुं॰ [अं०] १ वे नियम या कायदे जो राजपुरुप मुहा०—रेज करना = (१) नवरा करना। इतराना। (२) अपने अधीन देश के सुशासन के लिये बनाते है । विधि । विधान । अकडना । (३) घोडे का एक ही स्थान पर उदाना, कूदना । कानून । जैसे, - वगाल के तीसरे रेगुलेशन के अनुसार कितने ही रेज–रारा पु० [ मै० रेज् ] अग्नि । युवक निर्वासित किए गए। २ वे नियम या कायदे जो किसी रेजगारी -मशा सी० [फा०] रुपए का फुटकर अग । रेजगी। वरीज । विभाग या सस्था के सचालन और नियत्रण के लिये बनाए जाते हैं । नियम । कायदे । रेजगी-सच्चा स्त्री॰ [फा०] दे० 'रेजगारी' । रेग्यूलेटर-सञ्ज्ञा पुं० [ अ.] किसी मशीन या कल का वह हिस्सा या रेजस-मज्ञा पुं० [फा० रेजिस ] घोडो का जुकाम । पुर्जा जो उसकी गति का नियत्रण करता है । यत्रनियामक । रेजसछामा-सा पुं० [फा० रेजिस ] २० जम' । रेघना'-क्रि० . [ स० रिङ्गण, हिं० रेंगना ] धीरे धीरे चलना या गमन करना। उ०—प्रेम पहार स्वर्ग ते ऊंचा। बिनु रेघे रेजा-सक्षा पुं० [फा० रेजह ] १. विमी वस्तु का बहुत छोटा कोउ तहँ न पहूंचा ।-चित्रा०, पृ०४० । टुकडा । सूक्ष्म सड । उ०—(क) रेजा जा करि तीपे नैनन की कोरन सो काकरेजा वारी मो करेजा कादि ले गई।-रघुनाथ रेघना २- क्रि० अ० [ हिं• रेंकना ] १ देर तक एक ही बात को फेटते रहना । २ एक ही सुर मे रोना । मिमियाना । (बच्चो (शब्द०) । (ख) परिघ, परराणु नेजे मेघनाद के जे भेजे, तिन्है का) । ३ चिल्लाना । पुकारना । के के रेजे रोजे महावीर भायो है ।-रघुराज (शब्द॰) । २ मजदूर लडका जो बडे राजगीरो के माध काम करता रेचक-वि० [सं०] [वि॰ स्त्री० रेचिका ] १ जिसके खाने से दस्त आवे । कोष्ठशुद्धि करनेवाला । दस्तावर । है। ३ अंगिया। मीनाबद। (बुंदेलखी ) । ४ सुनारो का एक औजार जिसमे गला हुमा मोना या चांदी डालकर रेचक-सञ्ज्ञा पुं० १ पिचकारी। २ जवाखार । ३ जमालगोटा । पमि के आकार का बना लेते हैं। यह लोहे की बनी नाली ४ प्राणायाम की तीसरी क्रिया, जिसमे खोचे हुए सांस को के प्राकार का होता है। इसे 'परधनी' भी कहते हैं। ५ विधिपूर्वक बाहर निकालना होता है। उ०—(क) पूरक कुभक नग। थान । अदद । ६ महान कपडा । महीन काम किया रेचक करई। उलटि ध्यान त्रिकुटी को घरई।-विश्राम हुआ रेशमी वस्त्र प्रादि । उ०-ज्यो कोरी रेजा बुन, नियरा (शब्द॰) । (ख) सब प्रासन रेचक अरु पूरक कु भक सीखे पाइ । आवै छार ।-कवीर सा०, पृ० ७७ । बिन गुरु निकट संदेसन कैसे यह अवगाह्यो जाइ । —सूर (शब्द०)। रेचन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ दस्त लाना। कोठशुद्धि करना। पेट रेजिस-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ फ़ा० रेज़िश ] जुकाम | मल निकालना। २ वह प्रौपध जो मल निकालकर कोठा साफ रेजीडेट-सचा पु० [अ० रेज़िडेंट ] वह अगजी गजकर्मचारी जो किसी देशी राज्य में प्रतिनिधि के रूप मे रहता है। करे । जुल्लाब। विशेष-सुश्रुत ने छह प्रकार के रेचन द्रव्य कहे हैं-फल, मूल, रेजोमेट-सञ्ज्ञा सी० [अ० ] सेना का एक भाग । रिजमिट । छाल, तेल, रस और पेडो के दूध । रेजू-सशा पुं० [फा० ] एक प्रकार का रेशा जो ब्रा ( पडा, रेचनक-सज्ञा पु० [सं० ] कपिल्लक । कमीला । आदि साफ करने की कूची ) बनाने के लिये कलकते मे विलायत मे पाता है। रेचना'-क्रि० स० [सं० रेचन ] वायु या मल को बाहर निका- लना । उ०-प्रथम सूरज भेदिनी पूरै पिंगल वात । रेच वावें रेज्योल्यूशन-सज्ञा पुं० [अ०] १ वह निमित वाकायदा प्रस्ताव जो किसी व्यवस्थापिका सभा या य य किमी सभा सस्था रोक कछु हर वायु रुज गात ।-विश्राम (शब्द॰) । के अधिवेशन मे विचार और स्वीकृति के लिये उपस्थित किया रेचना-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० ] का पल्ल वृक्ष । कर्मला । जाय । प्रस्ताव । तजवीज । जसे, वे परिषद के आगामी रेचनी-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ कमीला। दतो। ३ कालाजली । अधिवेशन मे राजनीतिक कैदियो को छोड देने के सबध में एक ४ वटपत्री। रेज्योल्यूशन उपस्थित करनेवाले हैं। २ किसी व्यवस्थापिका रेचित'- सज्ञा पुं० [सं०] १ घोडो की एक चाल । २ नाचने मे सभा या अन्य किसी सभा सस्था का किसी विपय पर निश्चय हाथ हिलाने का एक ढग । जो एकमत या बहुमत से हुपा है। निणय । मतन्य । जैसे,- रेचित-वि० साफ किया हुआ । जिससे मल आदि बाहर किया गया इस स-घ मे काग्रेम और मुम लम लीग के रेज्योल्यूशनो हो [को०] । मे विरोध नहीं है । (ख) पु लस की शरून रिपोट पर जो रेच्य-सज्ञा पुं॰ [सं० ] प्राणायाम मे बाहर छोडी हुई वायु । २ सरकारी रेज्याल्यूशन निकला है उसमे पुलिस की प्रशमा की भेदक । जुल्लाव। गई है और कहा गया है कि गत वर्प जो राजनीतिक अपराध रेज यु-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० रिस, रेस अथवा सं०/रेज (= चमकना; नही हुए उमका कारण पुल को तत्परता और सावधानता है। हिलना, काँपना) ] लाग हाट । प्रतिस्पर्धा। उ०-महल रेट-सक्षा पुं० [ प्र०] १ भाव । निख । २ चाल । गति । महमही महक मग मनघर मैन मजेज । सोति सुहागहि रेज रेट पेयर्स-सज्ञा पुं० [अ० ] वह जो किसी म्युनिसोपलिटी को टैक्स करि साजी सु दर मेज।-स० सप्तक, पृ० ३८६ । या कर देता हो । करदाता । जैसे,—ट पेयर्स एसोसिएशन ।