४२७२ लहका लहर सयो० क्रि०-उठना। लहन --सज्ञा पुं० [ स० लभन ] दे० 'लना' । २ हवा का बहना । हवा का झोके देना। 30-कत बिनु वासर लहनदार-सशा पुं० [हि० लहना+फा० दार ] वह मनुष्य जिसका वसत लागे अतक से तीर ऐसे विविध समीर लागे लहकन । कुछ लहना किसी पर वाकी हो। ऋण देनेवाला महाजन । -देव (शब्द०)। ३ प्राग का इधर उधर लपट छोडना । लपट उ०—जिमने ऋण चुना देने को कभी क्रोधी और फर लहन- का निकलना । दहकना । जैसे,—प्राग लहकना। ४ चाह या दार फी लाल लाल प्राँसें नही देसी हैं। भारतेंदु ग्र०, भा० उत्कठा से आगे बढना। लपकना। ५ चाह से भरना । १, पृ०२८५। उत्कठित होना । ललकना । उ०-अंखियां अधर चूमि हा हा लहना'-'क्र० म० स० लभन, प्रा० लहन] प्राप्त करना। लाम छांडो कहै झूमि छतियां सो लगी लग लगी सी लहकि के । करना । पाना । उ०-नाचत ही नि म दिवस मरची, १ नहि -(शब्द०)। ६ किसी वस्तु का ठीक से न जमने के कारण सुख कबहूँ लायो ।--पूर (शब्द॰) । हिलना या हचकना। लहना--क्रि० स० [सं० लपन ] १. काटना । छेदना । २ खेत की लहका-सशा पुं० [हिं० लहक ] पतला गोटा । लचका । फसल काग्ना । ३ छीलना । तगश करना। कतरना। लहकाना--क्रि० स० [हिं० लहकना ] १ हवा में इधर उधर हिलाना लहना-सशा पुं० [ स० लभन, प्रा० लहन ] १ किनी को दिया हुया हुलाना । झोंका खिलाना। २ आगे बढ़ाना। ३ चाह या धन जो वसूल करना हो। उधर दिया हुमा रपया पैसा । उत्कठा से आगे बढाना । लपकाना । जैस-तुमने लहका दिया, जने,-हमारा सब लहना साफ कर दो। उ०-लहना देना इसी से वह पीछे लगा। ४ उत्साह दिलाकर आगे बढ ना । विधि सौ लिसें । वैठे हाट सराफी मिख-अर्ध०, पृ०६। आगे बढ़ने के लिये उत्साहित करना। किसी भोर अग्रसर यो०-लहना देना= प्राप्य एव देय धन द्रव्य प्रादि । लहना होने के लिये बढ़ावा देना। ५ क्सिी के विरुद्ध कुछ करने के पटवना- उधार चुकाने की क्रिया । लिये भडकाना । ताव दिलाना । बरगलाना। ६ दीप्त करना । मुहा०-लहना चुकाना, पटाना या साफ करना=किमी से प्रज्वलित करना । जैसे, भाग लकाना । लिया हुआ कर्ज अदा करना । लिया हुआ ऋण दे देना। सयो० क्रि०-देना। २ वह धन जो किसी काम के बदले में किसी से मिलनेवाला हो । लहकारना-क्रि० स० [हिं० ललकारना ] किसी के विरुद्ध कुछ रुपया पैसा जो किसी कारण किसी से मिलनेवाला हो। ३ करने के लिये बहकाना। ताव दिलाना। २ उत्साहित करके भाग्य। किस्मत । जैसे,—जिसके लहने का होगा, उमे आगे बढाना | ३ कुत्ते को उत्साहित या क्रुद्ध करके किसी के मिलेगा। लहना बही-सपा पुं० [हिं० लहना+बही ] वह वही जिसमें ऋण लहकौर- सज्ञा स्त्री० [हिं० लहना+ कौर ] दे० 'लहकोरि'। लेनेवालों के नाम और रकमें लिखी जाती हैं, और जिसके लहकोरि-सा स्रो० [हिं० लहना+कौर (= ग्रास)] विवाह की एक अनुसार वसूली होती है। रीति जिसमे दूल्हा और दुलहिन कोहबर मे एक दूसरे के मुह लहनी'-सा स्री० [हिं० लहना ] १ प्राप्ति । २ फलभोग। में कौर (प्रास) डालते हैं। उ०—(क) लहकोरि गौरि सिखाव उ.-लहनी करम के पाछे। दियो मापनो लहे सोई मिल रामहिं सीय सन सारद कहैं । -तुलसी (शब्द॰) । (ख) गोदा नही पाये।—सूर (शब्द०)। रगनाथ मुख माही । मेलति है लहकोरि तहाँ ही।-रघुराज लहनी २-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० लहना (= काटना, छीन्ना) ] वह औजार (शब्द०)। जिससे ठठेरे वरतन छीलते हैं। लहजा'-सज्ञा पुं० [अ० लहजह, ] गाने या वोलने का ढग । स्वर । लहवर-सज्ञा पुं० [हिं० लहर वहर ? ] १ एक प्रकार का बहुत लय । जैसे,—वह बडे अच्छे लहजे से गाता है। लवा और ढीला ढाला पहनावा । चोगा। लवादा । २ एक लहजा-सपा पुं० [अ० लहला ] पल । अल्पकाल । क्षण । प्रकार का तोता जिसकी गरदन वहुत लवी होती है । ३ झडा । निशान । पताका । मुहा०-लहजा भर = क्षण भर | थोडी देर । लहटना-क्रि० प्र० [ दश०] परचना। लहम-सज्ञा पुं० [अ० ] गोश्त । मास (पो०] । लहटाना -क्रि० स० [देश॰] परचाना । लहमा-सा पुं० [अ० लहमह, ] निमेप । पल । क्षण। प्रत्यत अल्प काल । उ०—इक लहमा पकडि के खूब मला !-पलटू०, लहद-सज्ञा स्त्री० [अ० ] कद्र । उ०-हो ढेर अकेला जगल मे तू भा० २, पृ०६॥ खाक लहद की फांकेगा -राम० धर्म०, पृ० ६१ । लहमी-वि० [ अ० ] लहम अर्थात् मास का विक्रेता। मास वेचने कहदि-सज्ञा स्त्री० [हिं० लादी ] दे० 'लादी' । उ०-धोवी घर वाला [को०] । के गदहा ह ही अोदी लहदि लदहो।-क्वीर श०, पृ० २२ । लहर-सञ्ज्ञा ली. [ सं० लहरी] १ हवा के झोंके से एक दूसरे के लहदा-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० लादना या प्रा० लद्द ] दे० 'लादी'। पीछे ऊंची उठती हुई जल की राशि। वडा हिलोरा । मौज । लहन-सञ्ज्ञा पुं० दश० ] कजा नाम की कंटीली झाडी। विशेष उ०-लोल लहर उठि एक एक 4 चलि इमि पावत । दे० 'कजा'। -हरिश्चन्द्र (शब्द०)। पीछे लगाना।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५११
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