पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५२३

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लाभालाभ ४२८४ लायलटी लाभालाभ-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० लाभ+अलाभ ] फायदा और नुकसान । किया जाता है। जब कोई इसे घेटता है नब यह उनपर थक हानि और लाभ। देता है, जिमका फुट पिला प्रभाव हाना है। जगली दशा म इमे 'माना' पोर पारतू दशा में 'लामा' पाहते हैं। लोभ्य-वि० [सं०] लाभ के योग्य । प्राप्ति के योग्य [को०] । लाम-सञ्ज्ञा पुं० [फा० लार्म ] १ सेना । फौज । लामा-० [स० लम्य] [वि० सी० लामी] दे० 'या'। उ०—(क) कयो हरि काहे के प्रतर्यामी । प्रजहुँ न प्राइ मिनं हि प्रोगर मुहा०-लाम पर जाना = लडाई पर जाना। मोर्चे पर जाना । लाम बाँधना = चढ़ाई के लिये सेना तैयार करना । अवधि बतायत लामी।-गर (गन्द०) । (स) लामी नूग नमन लपेटि पटकन मट देगो देवो लपन लरनि हनुमान की।- २ बहुत से लोगो का समूह । तुलसी (शब्द०)। मुहा०-लाम बाँधना=(१) बहुत से लोगा को एकत्र करता। लामी-राश पुं० [२०] एक प्रकार का फल जो प्राय बारिश्त टेड (२) बहुत सा सामान जमा करना । वालिश्त लबा होता है और दिल्ली तथा राजपूनाने की प्रार लामार-क्रि० वि० [सं० लम्ब] फासले पर । दूर । पाया जाता है । इगकी तरकारी बनाई जाती है। लाम-सज्ञा पुं० [अ०] अरवी का एक अक्षर । लामें-नि० वि० [हिं० लाम (= दूर)]। प्रनर पर । फागने पर। लामकाफ-सहा पुं० [अ० लाम काफ] गानी गलौज । अपशब्द । उ०-यूटी के तार में मिला कि तोहे से गैनी। नामे लामे उ०-लामकाफ वे कहें इमान को नाहीं डरते ।-पतटू, जे बहुत सान वुझावत वाटऽ । -नेग अली (शब्द०)। पृ०१८ । यो०-लामे लामे = दूर दूर ने । फामले से। लामज-सज्ञा पुं० [स० लामज्जक] एक प्रकार का तृण । लाय पु - सग सी० [स० प्रजात, प्रा० अलाय] १ उपट । ज्याला विशेष-यह तृण उत्तर प्रदेश, पजाव और सिंध मे प्राय बारहो २ भाग । अग्नि । उ०-फीर चित चचल किया चहं दिमि महीने पाया जाता है । यह खस की तरह का और कुछ पीले लागी लाय । हरि गुमिरन हार्धे पडा लीजे वेगि युझाय।- रग का होता है, इसलिये इसे 'पोलावाला' भी कहते ह। इसकी कबीर (शब्द०)। जह के पास का भाग मोटा होता है भौर उमपर रोएं होते हैं । इसका डठल सीधा होता है, जिसपर चिकने, पतले और लये लायक'-० [अ० लायक] १ उचित । ठोक । वाजिर । २ उपयुक्त । पत्त होते हैं। वैद्यक मे इसे उत्तेजक, प्रामवात मे पसीना मुनासिर । जैसे,- लटके के लायक टोपी चाहिए । उ०- लानेवाला, रुधिर को साफ करनेवाला, अजीर्ण, खामी श्रादि देवि निर्वाह सुरतिय मुमुकाही। वर लायक दुलहिनि जग दूर करनेवाला और विसूचिका तथा ज्वर में लाभकारी माना नाही । तुलसी (शब्द॰) । ३ सुयोग्य । गुणवान् । वातो मे अच्छा । जैसे,—(क) उनके घर के सभी लडके बहुत जाता है। लायक है । (स) अब तुम सयाने हुए, गुछ लाया बनो । उ०- लामज्जक-सपा पुं० [स० ] १ लामज नामक तृण । मि० दे० सो हम तो सिर वैठन लायक श्रेष्ठ सदा।-गिरपर (शब्द०)। 'लामज' । २ खस | उशीर । ४ समर्थ । सामर्थ्यवान् । उ०—(क) सय दिन सब लायक लामन -सहा पुं० [सं० लम्बन ] १ लटकना । मूलना। २ लहँगा । ३ स्त्रियो की साड़ी का निचला भाग। भयो गायक रघुनायक गुनगाम को।–तुलमी (शन्द०)। (ख) बहुनायक ही मय लायक हो सर प्यारिन के रस को लहिए।- लामय–सञ्चा पुं० [ दश० ] एक प्रकार की घास जो प्राय असर भूमि मे पाई जाता है। रघुनाथ (शध्द०)। लामा-सञ्ज्ञा पुं॰ [ति०] तिब्बत या मगोलिया के बौद्धो का धर्मा- लायक'-सक्षा ० [म० लाजा ] धान का भूना हुआ नावा । चार्य, जो अनेक प्रशो मे उनका राजनीतिक शासक भी होता लाजक । उ०-~-वरपा फल फूलन लायक को। जनु है तरुनो है । ऐसा धर्माचार्य सदा साधु और विरक्त हुना करता है और रति नायक की। केशव (शब्द०)। मठो में रहता है। लायकी-सशास्त्री० [अ० लायक + ई (प्रत्य॰)] लायक होने का लामा-सञ्ज्ञा पुं० [ पेरू देश की भाषा ] घास खाने और पागुर करने- भाव या धर्म । २ सुयोग्यता । कामिलियत । जमे, यह आपकी वाला एक जतु जो ऊंट की तरह का होता है। लायकी है, जो जाप ऐसा कहते है । विशेप-माकार मे यह जतु ऊंट से कुछ छोटा होता है और लायची-सहा सी[ स० एला ] दे॰ 'इलायची'। इसकी पीठ पर कूबड नहीं होता। यह दक्षिणी अमेरिका मे लायना-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० लगना (= वदले मे देना)] वह वस्तु जो पाया जाता है । यह बहुत चपल, बलवान् गौर शीघ्रगामी होता नगद रुपए लेकर उसके बदले मे किसी के पास रखो या उसे दी है। इसे जब तक हरी घास मिलती है तब तक पानी की कोई जाय । वेची या रेहन रखी हुई चोज । आवश्यकता नहीं होती । इसकी सब उंगलियां अलग अलग होती लायन-सञ्ज्ञा पुं॰ [देश॰] विवाह मे कन्या पक्ष की ओर से वर को हैं और प्रत्येक उंगली मे एक छोटा मजबूत खुर होता है। इसके मिलनेवाला सामान । रोएं बहुत मुलायम होते हैं और इसकी खाल का चरमा बहुत लायल-वि० [अ०] राजभक्त । अच्छा होता है, इसीलिये कुत्तो की सहायता से इसका शिकार लायलटी-सधा स्त्री॰ [भ] राजभक्ति । सव 1