पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५३९

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हाता है। लिवास ४२११ लिहाज माय व्यवहार करने मे उदार कही जाती है। २ (म्बत प्रता- लिवाना'-त्रि० ग [लेना का प्रेम " ने गा राम दृगर प्राप्ति के पूर्व का) भारत का एक राजनीतिक दल जो बहुत ही मे पगना। ग्रगा गगना । थमाना। उ०प्रदाग सौम्य उपायो मे अपने देश को स्वतन कराा चाहता था। भ पम परनिता गार निवाक +7 10/-गर (२०) । लिवास-मज्ञा पुं० श्र० ] पहनने वा कपा । पाच्छादन । पहनाया। लिवाना-वि० स० [Fि 3 या प्रेरक F] जाने गा पाम पोशाक । उ०- -तुमने यह वुमु म विग लियाम, यया अपने दूपरे में पराना । मे, -- नासा मानाना। सुख से म्य बुना ?- युगात, पृ० ५० । विशेप-ग नि प्रयोग मयाज्य प्रिया जाना' के माय लिविर-मज्ञा पुं० [स० लिविङ्कर ] प्रतिलिपि करनेवाला । लेखा (को०)। सयो० कि०-नाना। लिवि-मज्ञा सी० [सं० ] लिपि । लिगायट । मुहा०-लिया जाना = गाय ले पाता। लिभडन-क्रि० प्र० [हिं० लिबाना ] दे० 'लिपडना' । उ०- लिवाल - 1 jº [170 21+ T141 ) zacal JT151) अपनी छाती पर कत्या चून से लिभड़ी हुई उंगलिया ना पापा लिव-मामी० [10]. 'निपि । लिए हुए पाये पान के शौकीनी यो फिर भी घूर रहे 4- लिया।' '-727 9° 1 170 171 ) 1797071 नई०, पृ० ६६ । लिया - पुं० [१० जाना ] पाला। लिभडना'- वि० म० लथपथ करना । इधर उधर लेप देना। लिप्ट -11 [ 10 ] पुनापान । मानिन । २० । सान देना। लिप्य-11 . [ ] नर्तक । जाननेगता। लिमुवा-सा पुं० [हिं० नीबू, निवुवा ] नीबू । उ०-गोई के अंगना म एक पेः लिमुग, प्रो मारे दाई पछा परत त्य लिसान १०] १ मिका । मना । जीन । २ भाषा । बोरी । जवान (0) वमेर ।-शुकन० अभि० ग्र० ( माहित्य ), पृ० १४३ । लिसोना- ५० [हिं० ग ( = निविपाट) ] नकाल लियाकत-मशा रसी० [अ० लियाकत ] १ योग्यता । पाता। पा एक पेट। काविलियत । २ गुण । हुनर । ३ सामर्थ्य । समाई। होमला। विशेष - इसके पत्ते पर गानाः ।। फन घोटे ४ शील । शिष्टता । भदता। देर के बगवर होन। पौर गुन्दा त उन । पवन पर लियानत-सरा सी० [अ० लियामत, या लग्रनस, ला'नत ] ३० गमे मार गूदा हो जाता है, जो गोद की तरह घिगरता 'लानत' । उ०-वडा काम फरमा जो मुजत गजे, है इस माम है। यर पूग होम लोग मामी में दने हैं। परी बोटी (नबापू ते भोत लियानत मुजे ।- दक्खिनी०, पृ० २८६ । पी)ीप लपेटन। वाम में प्रात है। पान में लिलाटgi-सक्षा पुं० [सं० ल नाट] ० 'नन्नाट'। उ०-जीउ रस्म वटे जाते हैं। अंदर गो जी मजा होती है और काढि भुवरी ललाटू । - जायमी न ० ( गुप्त ), पृ० २८५ । विशी तथा नेता मामान बगाने के काम मी होता है। इनके लिलाना(५ -कि० अ० [हिं०] अनुरोध करना । रिरिया पर बात फूलागणारी योर मन परे पगार भी कम है। इने लग पोर 'निटोग' मी पहि। वरना । मीरा निकालना। उ० - लाभ करन पंहो इत पाइ । तह विधि वस्तु लिलाइ लिलाइ।-नद० ग्र०, पृ० २७३ । पर्या-रल माता । चुना। लिलाम-सज्ञा पुं० [पुर्न० लीलाम ] दे० 'नीलाम'। उ०—विसी लिस्ट-सका सी० [ भ० ] फेहरिस्त । तानिका । फर्द । भाई गा निलाम पर चढा हुअा बैन लेन गे जो पाप है, वहीं लिए'-सधा पुं० [सं० ) चाटना । इस समय तुम्हारी गाय लेने में है।-गोदान, पृ० १० । लिह'-० चाटनेवाला । जी.-प्रमालह । लिलारपु.1-सज्ञा पुं॰ [ म ललाट ] १ भाल । माथा। मस्ता। लिहा- वि० [० नेहा ] वर व्यजन जिसका स्वाद जीभ ने द्वारा उ०-लेखनि लिलार की परेसनि मुरति है।-घनानद, हो। उ०-चारि प्रकार विचित्र गुम्बजन । म, भोज्य, नुन, पृ० २३ । २ कूएं का वह मिरा जहाँ मोट का पानी उलटत है। लिह, मारजन |-नद० ग्र०, पृ० ३०२ । लिलारी -संज्ञा पुं० [हिं० नील, लील+ कार ] नीलगर । रंगरेज । लिहा-नशा री० [ ] वलाल । चाल । वकाला। लिलाही-सज्ञा पुं० [ देश० ] हाथ का वटा हुआ देशी सुत । लिहाज-सज्ञा रसी० [ ५० लिहाज़ ] १ व्यवहार या वरताय से किसी बात का ध्यान । कोई काम करत हुए उसके सवप में लिलोही-वि० [ स० लल ( = चाह करना)] लालची। प्रति पिसी बात का स्याल । जैत,- (क) उसको तदुरुस्ती के लिहाज लोभी। उ०-बूझिवे की जफ लागो है कान्हहि केशव के गच रूप लिलोही । केशव (शब्द०)। से मैंने उसे हला काम दिया । (ख) दरा मे मैंने सासी का लिहाज भी रखा है। लिव@t-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० ] लगन । लौ । कि० प्र०-परना ।- रखना। लिवर-सज्ञा पु० [ ] दे॰ 'लीवर' (को०] । २. घ्पापूर्वक किसी बात का ध्यान । मेहरवानी का खयाल । पा- थ० थक