पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५६५

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स० लोटना ४३२४ लोथ, लोथि (२) मर जाना। जैसे, -एक ही बार मे पाच कबूतर लोट होना। दरकार होना । उ०—(क) तिमो घडी नव्याव मे गए। कर जोरि वखाना। जेहा जिमनू लोडिया नेहा फुरमाना। ४ विश्राम करना । लेटना। ( 'कलपाना' शुद्ध पाठ)-मूदन (शब्द॰) । (ख) अमी हाल मुहा०-लोट पोट करना = लेटना । विश्राम करना । एहा हुया राख्यो निजु साया। जेहा जिसन लोडिए तेहा ५ मुग्ध होना। चकित होना । उ०-मुनि गए नारद लोटि फल पावा।-मूदन (शब्द०)। तामे देखि प्रभु बोलत भये ।-रघुनाय (शब्द०)। लोढ़कना -क्रि० अ० [ सं० लुठन '] दे० 'लुढकना' । लोटना -सी० स्त्री० [सं०] दाक्षिण्य । सौजन्य । शिष्टता । शालीनता लोढना-क्रि० स० [ लुण्ठन] १ चुनना । नोडना । जैसे,—फूल (को०)। लोढना । उ०-कुमुम लोढन हम जाइव हो रामा ।-गीत लोटपटा-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० लोटना+पाटा ] १ विवाह के समय (शब्द०)। २ प्रोटना। जैस,-कपास लोढना। पीढा या स्थान बदलने की रीति | इसमे वर के स्थान पर लोढना-क्रि० अ० [सं० लुण्ठन ] जमीन पर लोटना या वधू और वधू के स्थान पर वर बैठाया जाता है। फेरपटा घमिटना को०] । या पटाफेर। लोढ़ा-सा पुं० [ सं० लोष्ठ ] [ स्त्री० अल्पा० लोढिया ] १ पत्थर विशेप-फेरपटा की रस्म हो जाने के बाद द्विरागमन या गौने का वह गोन लबोतरा टुकडा जिससे सिल पर किमी चीज को की रस्म आवश्यक नही मानी जाती और कन्या बेरोक टोक रखकर पीसते है । बट्टा । उ०-फोरहिं मिल लोढा सदन लागे ससुराल आने जाने लगती है। अकि पहार | कायर फर कपूत कलि घर घर सहर हार ।- २ वाजो का उलट फेर । दाँव का इधर से उधर हो जाना । तुलमी (शब्द०)। उलटफेर । उ०-कीज कहा विधि को विधि को दियो दावन मुहा०-लोढा डालना = बराबर करना । उ० -घूमि चहु दिति लोटपटा करिवे को-माकर (शब्द०)। भूमि रहे घन वूदन ते छिति दारत लाढे ।-रघुनाथ लोटपोट-सज्ञा स्त्री० [हिं० नोटना+पोटना ( = फैल जाना) ] १ (शब्द०)। लोढाढाल = चौपट । सत्यानाश । उ०-विष्णु लेटने या शयन करने की क्रिया। २ हंसी श्रादि के कारण कलोहल रव कहिं कोप कियो विकराल। झटकि पटकि झट लुढकना । ३ मुग्व होना। लटकि कास कोन्ही लोढाढाल |-(शब्द०)। क्रि० प्र०—करना । —होना । २ बुदेलसड के वरावर नामक हल का एक अंश । लोटा-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० लोटना ] [ स्त्री० अल्पा० लुटिया ] धातु विशप-यह हल मोटी लकडी का होता है । इसमे दतुया या लोहे का एक पात्र जो प्राय, गोल होता है और पानी रखने के की कीलें लगी होती हैं, जिनमे पाम लगाया जाता है । काम मे आता है। यह कलसे से छोटा होता है। कभी कभी लोढिया-सा सी० [हिं० लोढ़ा + इया (प्रत्य॰)] छोटा लोढा । इसमें टाटी भी लगाई जाती है, और ऐसे लोटे को टोटीदार बट्टा । जैसे,- सिल लोढिया ले पामो। लोटा कहते हैं लोण' -तज्ञा पुं॰ [सं० ] लोनी साग । मुहा:-लोटा या लुटिया डुबोना = (१) तलक लगाना । (२) २-सशा पु० [सं० ] दे० 'लोन' । सब काम चौपट करना । सर्वनाश करना। लोणक - सञ्चा पु० [ स०] नमक । लवण (को०] । लोटा-मना स्त्री॰ [ स० ] अमलोनी का शाक । [को०] । लोटिका-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] अमलोनी का शाक [को०] । लोणा, लोणाम्ला-मशा स्त्री॰ [सं० ] लोनी । क्षुद्राम्लिका [को०] । लोटिया-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० लोटा + इया (प्रत्य॰)] छोटा गोल जल- लोणार-सशा पुं० [सं० ] एक प्रकार का क्षारविशेप । नमक [को०] । पात्र जो लाटे के आकार का हो। छोटा लोटा । लोणका-सज्ञा पुं० [सं० ] अमलोनी साग | लोणाम्ला । लोटी-सञ्ज्ञा सी० [हिं० लोटा + ई (प्रत्य॰)] १ छोटा लोटा । लोणी-सशा खो स०] क्षुद्राम्लिका । अमलोनी (को०] । २ वह वर्तन जिससे तमोली पान सीचते है। लोत-मचा पुं० [स०] १ पासू । लोर । २ चिह। निशा । ३. लोट-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] जमीन पर लोटना या लुढकना (को०] । सूट का माल वा धन । ४ नमक [को०) । यौ०-लोटभू = स्थान जहां घोडे लोटते हैं । लोत्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ नेत्रजल । घाँसू । लोर । २ चोरी का लोठन-सज्ञा पुं० [म०] शिर हिलाना [को०)। धन | लूट का माल (को०) । लोठारी नगर-सञ्चा पुं० [हिं० लोठारी+लगर ] एक प्रकार का लोथ, लोथि–तशा स्त्री० [ स० लोष्ठ या लोठ ] किसी प्राणी का मृत लगर जो जहाजी या बडे लंगर से छोटा और केज लगर से शरीर | लाश । शव। उ०—(क) लोथिन्ह ते लहू के प्रवाह बडा होता है । (लश०)। चले जहां तहां, मानहु गिरिन गेरु झरना झरत है। तुलसी लोडन-सञ्ज्ञा पुं० [स०] विलोडन । हिलाना डुलाना। क्षुभित (शब्द॰) । (ख) गृध शृगाल कूकर आपस मे लड लड लोये संच करना। मथन [को॰] । बैंच लाते । - लल्लू (शब्द॰) । (ग) तव कस को लाय का घसीट लोहना-क्रि० स० [५० लोड (= अावश्यकता) ] आवश्यकता जमुना तीर पाए । लल्लू (शब्द०)। (घ) भूपन वखाने लोण- ।