पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/६२

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मल्लक ३८२१ मल्लिका HO । स० स० से उत्पन्न एक वर्णमकर जाति । ६ पात्र॥ ७ कपोल । ८. मल्लशाला – सज्ञा स्त्री॰ [ म० ] मल्लयुद्ध करने का स्थान । मल्लभूमि । एक प्रकार की मछली। १ एक प्राचीन देश का नाम जो अखाडा। विराट देश के पास था। १०. दीप। उ०-दगदगाति जो मल्ला'–सन्ना स्त्री॰ [ ] १ स्त्री। नारी । २ मल्लिका । चमेली। मल्ल सी अग्नि र शि की काति । सोई मरिण माणिक विपे, ३ एक लता का नाम । पत्रवल्ली । काति रग की भांति । - रत्नपरीक्षा (शब्द॰) । मल्ला-सञ्ज्ञा पु० [ देश०] १. जुलाहो के हत्था नामक औजार का मल्लक-सज्ञा पु० [ स०] १ दांत । २ दीवट । चिरागदान । ३ ऊपरी भाग जिसे पकडकर वह चलाया जाता है। २ एक दीप । दीया। ४ नारियल के छिलके का बना हुया पात्र । ५ प्रकार का लाल रग जो कपडे को लाल या गुलावी रग के माठ बर्तन । पात्र । ६ डव्वे या सपुट का पल्ला । मे बचे हुए रग मे डुवाने से आता है। मल्लकाछ सज्ञा पु० [सं० मल्ल+हिं० काछ ] दे० 'मलकाछ' । मल्लार-मचा पु०[ ] मलार नामक राग । विशेष दे० 'मलार'। उ०-तब तो मोर मुकुट, काछनी, धोती, उपरेना, वागा, पाग, मल्लारि'-सज्ञा पु० [ म० ] १ कृष्ण । २ शिव । फेंटा, कुलही, टिपारो, मल्लकाछ, पिछोरा या प्रकार भांति मल्लारि'—सज्ञा स्त्री० एक रागिनी । दे० 'मल्लारी' । भांति के सिंगार करे।-दो सौ बावन०, भा० २, पृ० ६३ । मल्लारी-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] वसत राग की एक रागिनी का नाम । मल्लक्रीडा-नज्ञा पु० [ मं० मल्लक्रीडा ] मल्लयुद्ध | कुश्ती । विशेष-हलायुध ने इसे मेघ राग की रागिनी और प्रोडव जाति मल्लखंभ स्शा पुं० [म मल्ल + हिं० खभ ] ८० 'मलखम' । की माना है और घ, नि, रि, ग, म, ध, इसका स्वरग्राम मल्लज-सञ्ज्ञा पु० [ स० ] काली मिर्च । बतलाया है। मल्लतरुमका पुं० [ स०] पियाल या पियार का पेड । चिरोंजी। मल्लाह-मशा पु० [अ०] [स्त्री० मल्लाहिम ] एक अत्यज जाति जो मल्लताल-सज्ञा पुं० [म. ] सगीत शास्त्रानुसार एक ताल का नाव चलाकर और मछलियां मारकर अपना निर्वाह करती है। नाम जिसमें पहले चार लघु और फिर दो द्रुत मात्राएं होती केवट | धीवर | माझो । हैं । यह ताल के पाठ मुख्य भेदो मे से एक माना जाता है । मल्लाही'-वि० [फा० ] मल्लाह सबंधी । मल्लाह का । मल्लतूर्य -सञ्ज्ञा पुं० [ ] एक प्रकार का नगाडा जो रस्साकसी मुहा०—मल्लाही कॉटा = लोहे का एक कांटा जिसका सिर चिपटा के समय बजाया जाता था [को०] । करके मोडा या धुमाया होता है । ऐसा कांटा नाव की पटरियो मल्लनाग-सज्ञा पु० [ ] कामसूत्र के रचयिता वात्स्यायन का के जडने में काम पाता है। एक नाम । मल्लाही-मञ्जा सी० मल्लाह का काम, मजदूरी या पद । मल्मपछार--वि० [सं० मल्ल + हिं० पछाड़ना ] पहलवानो को मल्लि'-सज्ञा पुं॰ [ स० ] जैन शास्त्रानुसार चौबीस जिनो में उन्नीसवें पछाडनेवाला। उ०-मदहारी श्री मुकुटधर, मधुपुर मल्ल जिन का नाम | इन्हे मल्लिनाथ कहते हैं। पछार |-दरिया० वानी, पृ० १८ । मल्लि म०] मल्लिका। ] २० 'मरलभूमि' [को॰] । मल्लिक'-सज्ञा पुं० [सं०] १. एक प्रकार का हस जिसके पैर और मल्लभूमि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ ] १ मलद नामक देश । २. कुश्ती लडने चोच काली होती है। २ जोलाहो की ढरकी । ३. माघ का की जगह । अखाडा। महीना। मल्लयुद्ध-ज्ञा पुं० [ मं० ] परस्पर द्व द्वयुद्ध जो बिना शस्त्र के मल्लिकर - सज्ञा पुं० [हिं०] दे॰ 'मलिक' । केवल हाथो से किया जाय । वाहयुद्ध । कुश्ती । मल्लिकर-मचा पु० बगालियो को एक जाति और अल्ल या उपनाम । पर्या. fo-नियुद्ध । याहुयुद्ध । मल्लिका-मज्ञा स्त्री॰ [ म०] १ एक प्रकार का वेला जिसे मोतिया विशेष—यह युद्ध प्राचीन मल्ल जाति के नाम से प्रख्यात है । इस कहते हैं । उ०-दृगजल से सानद, खिलेगा कभी मल्लिकापुंज । जाति के लोग अखाडो मे व्यायाम और युद्ध किया करते थे -झरना, पृ०६। महाभारत काल मे इनकी युद्धप्रणाली को राजा लोग इतना विशेष-वैद्यक में इसका स्वाद कहवा और चरपरा, प्रकृति गरम पसद करते थे कि प्राय सभी राजाओ के दरबार मे मल्ल और गुण हलका, वीर्यवर्धक, वात-पित्त-नाशक, अरुचि और नियुक्त किए जाते थे और उन्हे अखाडो मे लडाया जाता था। विप मे हितकर तथा व्रण भोर कोड का नाशक लिखा है। कितने लोग मल्लो को रखकर उनसे स्वय शिक्षा प्राप्त करते इसका फूल सफेद और गोल तथा गध मनोरम होती है। थे और मल्लयुद्ध मे निपुणता बडे गौरव की बात मानी जाती कुछ लोग भ्रमवश इसे चमेली समझते हैं। थी। जरासध और भीम मल्लयुद्ध के वडे व्यमनी ये। जरासध २ आठ अक्षरो का एक वर्णिक छद जिसके प्रत्येक चरण मे रगण, के यहां मल्लो की एक मेना भी थी। जगण और अत मे एक गुरु और एक लघु होता है। जैसे- मल्लविद्या-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ म० ] कुश्ती की कला या विद्या । मल्लयुद्ध एक काल रामदेव । मोधु वधु करत सेव । शोभिज सवै मो और | मत्रि मित्र ठौर ठौर । ३ सुमुखि वृत्ति का एक नाम । do -सञ्ज्ञा स्त्री० स० मल्लभू- सज्ञा स्त्री॰ [ म० - की विद्या।