पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/६३

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म० 1 ] शेड को०] । गान करना। रह रहकर गाना। मल्लिकाक्ष' ३८२२ मवाजी ४ एक वाद्य का नाम (को०) । ५ दीपट (फो०) ६ एक लात चलाती है। इसके लिये दुहनेवाले उन्हे नुगकारते पुचकारते प्रकार का मिट्टी का बर्तन (को०) । है जिसमे वे शात हो और दुहने दें। इसीलिये 'मन्द' शब्द ने, जिमका अर्थ गोस्तन है, माहराना, मन्दाना, महाग्ना आदि मल्लिकाक्ष-मझा पु० [स० १ एक प्रकार का घोडा जिमको आँख पर सफेद धब्बे होते हैं। २ घोडे की अाँख पर के मफेद क्रियाएं नुमकारने के अर्थ मे बनी है। चव्बे । ३ एक प्रकार के हस का नाम । मल्हाना-क्रि० म. [म० मन्द (= गोन्तन ) ] नुमकारना । मल्लिकान-वि० सफेद आँसवाला । कजा। पुचकारना । मन्हराना । उ० - ( क ) यगोवा हरि पाननहि झुलावै । हगवं दुल गई मन्हावं जोइ माई कटु गार्य।- मल्लिकाक्षी 1- मज्ञा स्त्री॰ [म०] अाँख पर सफेद धब्बेवाली कुतिया (को०] । गूर ( शब्द०)। (स ) बछर छत्रीले यौना वगन गगन में मल्लिकाख्य-मञ्ज्ञा पुं॰ [ म० ] दे० 'मल्लिकाक्ष' [को०] । कहति मल्हाइ मल्हाई। मानुज हिय हुनमति, तुगी के प्रभू को मल्लिकाख्या-मज्ञा ली॰ [ स० ] मलिकापुष्प (को०) । ललित ललित तरिकाई।-तुलसी (शब्द०)। (ग) कति मल्लिकामोद-सज्ञा पु० [ ] ताल के माठ मुख्य भेदा मे मे एक मल्हार मल्हाइ उर छिन छिन गन छपीले चाटे या । मोद भेद का नाम जिसमे चार विराम होते है। कद कुल कुमुद चद मेरे गमचद्र रघुरैया -तुतमी (प्रब्द )। मल्लिकाछद-स्ज्ञा पुं॰ [ स० ] दोपक का प्राच्छादन । ( अ ) लेप मल्हानाल-क्रि० प्र० (अप० माह ] गुचकारना । रिमो का चरित्र- उ.-करण देम त मल्जिकापुष्प-मझा पुं० [म०] १ मल्लिका का फूल । २ कुटजवृक्ष । प्राविया, किहा तुम्हारउ वाम । कुग ढोल उ, कुंग्ग मारुवि, गति मन्हाया जाम ।-ढोला०, दू०, १९५ । मल्लिकार्जुन- मज्ञा पु० [ म० ] एफ शिवलिंग का नाम जो श्रीशल पर है । यह द्वादश ज्योतिलिंग मे से एक है। मल्हावेल-मशा पी० [ श०] मौला नाम की न जो प्राय वृक्षों -- मशा पुं० [ स० मल्लिगन्धि ] अगर । पर चढ़कर उन्हें बहुत अधिक हानि पहुचाती है। विशेष मल्लिगघि दे० 'मौला'। मल्लिनाथ-मया पु० [ म० ] ' मैनियो के उन्नीसवें तीर्थकर का नाम । २ सस्कृत काव्यों ( रमुनश, कुमारसभव, किरातार्जुनीय, मल्हार-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० ] दे० 'मलार' । भिशपालनथ, नैषधचरित, मेघदूत आदि ) के प्रसिद्ध टीकाकार मल्हारना-क्रि० स० [हिं० ] द० 'मल्हाना' । जिनका समय १४वीं १४ी मतान्दी के लगभग है। इनका मवक्किल-सझा पुं० [० मुवक्किल ] | ग्ने० मपिक्किला (क्व०) ] पूरा नाम मल्लिनार सूरि भा। १ अपनी ओर से वकील या प्रतिनिधि नियत करनेवाला मल्लिपत्र- महा पु० [ म० ] छत्राक । कुकुरमुत्ता किो०] । पुरुप। मुकदमे मे अपनी मोर से कचहरी या न्यायालय मे मल्ली-मशा स्त्री॰ [ म०] १ मल्निका । उ० - लपटत इव माधविका काम करने के लिये अधिकारी प्रतिनिधि नियत करनेवाला सुबाम । फूती मल्ली मिनि करि उजाम । - भारतेंदु ग्र०, पुरुष । २ किनी को अपना काम मुपुर्द करनेवाला । अमामी । भा॰ २, पृ० ३११ । २ मुदगे वृत्ति का एक नाम । मवनो'-वि० [ स० मौन ] दे० 'मौन' । उ०-साउता मवन काऊ मल्लु-सशा पुं० [ सं०] १ भालू । २ वदर । नगन विचार है। -भासा० श०, पृ० ५५ । मल्लू-सज्ञा पुं० [सं०] ८० 'मल्लु' । मवन-वि० [हिं० मापना ] १ मापित । मापा या नापा हुआ । मल्हनो-मज्ञा सी० [ श०] एक प्रकार को नाव जिसका अगला भाग २ विचारित । उ०--मवन मत नुक्को न मोइ वर मत अधिक चौडा होता है। विचारी।-पृ० रा०, २७ । २३ । मल्हपना@t-क्रि० अ० [प्रा० मन्ह ] लीना करना। लीला के माथ धीरे धीरे चलना। उ० -सही समारणी साथि करि, मवनी-वि० [ म० मौनी ] ८० 'मौनी' । उ० -- पेम पियाला पीवे मवनी।-कबीर रे०, पृ० २। मदिर · मल्टपत ।-ढोला०, दू०६८ । मवर-सज्ञा पुं॰ [ म० ] बौद्ध मतानुमार एक बहुत बडी सम्या । मल्हम- सज्ञा पुं० [फा० मरहम ] दे० 'मलहम' । उ०—हाय हाय मुख तें कई परे इस्क के घाव । मल्हम यहि महि जानियो मवरिखा-वि० [अ० ] लिखित । मोहन दरस दिखाव ।-ब्रज, ग्र०, पृ० ३५ । मवसर --सञ्ज्ञा पुं० [अ० मुयस्सर ] मौसर । दर्शन का अवसर । मल्हराना -क्रि० स० [ सं० मल्ह (= गोस्तन ) ] चुप करना । उ०-मवसर तिका कुसुम फल मजर | साख प्रसाख सरूप पुचकारना। मल्हाना । उ०- रुचिर सेज ले गई मोहन को मुरतर । -रा० रू०, पृ० ३५३ । मुजा उछग सुवावति है । सूरदाम प्रभु सोई कन्हैया हलरावति मवाजिव -सज्ञा पुं० [अ० ] नियमित माया मे नियमित समय पर मल्हरावति है ।—सूर (शब्द॰) । मिलनेवाला पदार्थ । भृति । जमे, वेतन, महमूल आदि । उ०- विशेष-गोनो को दुह्ते समय जब दुहनेवाला उनके स्तन फकीरो के मवाजिब बद हो गए। -शिवप्रसाद ( शब्द०)। से दूध निकालता है, तब नई गौएं बहुत उछलती कूदती और मवाजी-वि० [अ० मवाजी ] अनुमान किया हुआ। अनुमानित | )