पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/८२

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स० स० सव HO महाकालेय महागुद के अनुसार सोलह विद्या देवियो मे से एक जो अवसर्पिणी के चाहिए अथवा उसमै अपराधियो, राजद्रोहियो, प्रमादियो आदि पाँचवें अर्हत् की देवी है। को भेज देना चाहिए। महाकालेय-मज्ञा पु० [ ] एक प्रकार का साम । महातीर-सज्ञा पुं० [० ] ईख । ऊख । महाकाव्य-सज्ञा पु० [ स० ) दे० 'काव्य'-१ । महक्षीरा सज्ञा स्त्री॰ [स०] बहुत दूध देनेवाली भैस । महिपी [को०] । महाकाश सञ्ज्ञा पुं० [ ] एक पर्वत का नाम । महाक्षेत्र - सञ्चा पु० [सं० ] कालिका पुराण के अनुसार एक तीर्थ महाकाश-सज्ञा पु० [ स० महा + श्राकाश ] अनवच्छिन्न आकाश । जो सुमदना नदी के पूर्व ब्रह्माक्षेत्र के पश्चिम मे है। पूर्ण अाकाश । उ०.- महाकाश माँहि सब घट मठ देपियत, महाक्षौभ्य-सज्ञा पु० [ ] वौद्धो के अनुसार एक बहुत बडी वाहिर भीतर एक गगन ममायौ है ।-सुदर० प्र०, भा० २, सख्या। पृ० ६०८। महाखर्व -सञ्ज्ञा पुं॰ [ म० | एक बहुत बडी संख्या जो सौ खर्व की महाकीर्तन-सज्ञा पुं० [ स० ] मकान । गृह [को०] । होती है। महाकुड - सज्ञा पुं॰ [ स० रहाकुण्ड ] शिव के एक अनुचर का नाम | महागगा-सज्ञा स्त्री० [ म० महागङ्गा ] महाभारत के अनुसार एक नदी का नाम । महाकुमार-सज्ञा पुं॰ [ स० ] राजा का सबसे बडा पुत्र । युवराज । महाकुमुदा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० ] गभारी। महागध'-सञ्ज्ञा पुं० [ स० महागन्ध ] १. कुटज । २ जलवेत । ३ चदन । मलयज । महाकुल-सञ्ज्ञा पु० [ ] १ उच्च कुल । श्रेष्ठ कुल | २ वह जो महागध-वि० अत्यत सुगधित । तीव्र गधवाला [को०] । बहुत उत्तम कुल मे उत्पन्न हुआ हो। कुलीन । महाकुल-वि० उच्च कुल मे उत्पन्न । खानदानी (को०] । महागधा-सज्ञा स्त्री॰ [ स० महागन्धा ] १. नागवाला। २ केवडा । केतकी । ३ चामुडा का एक नाम । महाकुलीन-वि० [सं० दे० 'महाकुल' [को०] । महागज-सञ्चा पु० [ मं० ] दिग्गज । महाकुष्ट-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] कुष्ट के अठारह भेदो मे से वह जिसमे हाथ पैर की उंगलियां गलकर गिर जाती हैं । गलित कुष्ट । महागण-सज्ञा पु० [सं०] १ महासमुद । २ बहुत से लोगो का समूह । मजमा । भीड। महाकुट्ट-सज्ञा पु० [ Jएक परोपजीवी कीटभेद [को०] । महागणपति-सञ्ज्ञा पु० [ स०] १ शिव के एक अनुचर का नाम । महाकूट-मज्ञा पुं० [ स० ] पुराणानुसार एक देश का नाम । २ गणपति । गणेश । महाकृच्छ-सञ्ज्ञा पु० [ म०] १. विष्णु का एक नाम । २ कठोर महागति--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० ] बौद्धो के अनुसार एक बडी संख्या । तपस्या । महान् तप । महागद-सञ्ज्ञा पु० [ स०] १. ज्वर । वुखार । २. वह रोग जो महाकृष्ण-सचा पु० [ स०] १ मुश्रु त के अनुसार एक प्रकार का कठिनता से अच्छा हो। जैसे, प्रमेह, कोढ, भगदर, बवासीर वहुत जहरीला सांप । २ एक प्रकार का चूहा । आदि । ३ एक प्रकार की प्रौपच जो सोठ, पीपल और गोल महाकेतु-सञ्ज्ञा पुं० [ ] शिव । मिर्च आदि से बनती है। महाकेश-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] दे॰ 'महाकोश' को०] । महागत-सज्ञा पुं॰ [ स०] १ विष्णु । २ शिव (को॰) । महाकोश-सञ्चा पु० [सं०] १ शिव । २ बहुत बडा पिधान, महागर्दभगधिका-सज्ञा स्त्री॰ [ स० महागर्दभगन्धिका ] भारगी आच्छादन या प्राधार (को०) । नामक वनस्पति [को०] । महाकोशल-सशा पुं० [ स० ] अाधुनिक मध्य प्रदेश का एक भाग । महागर्भ-सज्ञा पुं॰ [सं०] १. विष्णु। २. शिव । ३. एकदानव महाकोशा-सञ्ज्ञा सी० [सं० ] एक नदी का नाम । का नाम । महाकोशातकी-संज्ञा स्त्री॰ [ स० ] ननुआं या घीया तरोई नाम की महागल-वि० [ सं०] जिसकी गर्दन लवी हो [को॰] । तरकारी। महागव-सञ्ज्ञा पु० [ सं० ] गवय । नील गाय [को०] । महाक्रतु-सज्ञा पुं० [स०] महान यज्ञ । बहुत बडा यज्ञ । जैसे राजसूय, महागिरि-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] १ वडा पहाड । २ कुवेर के पाठ पुत्रो अश्वमेध प्रादि। महाक्रम-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] विष्णु का एक नाम । विशेष-पिता के शिवपूजन के लिये यह सूंघकर कमलपुष्प लाया महाक्रोध-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] शिव । था। इसी दोप पर कुवेर में शाप पाकर यह कस का भाई हुआ महाक्लीतन-सञ्ज्ञा पु० [ स० ] शालिपरणों। था और कृष्ण के हाथो मारा गया था। महाक्ष-सञ्ज्ञा पु० [ म०] १. शिव । २ विष्णु । महागीत-सञ्ज्ञा पु० [सं० ] शिव । महाक्षयव्यय निवेश-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वह उपनिवेश या भूमि महागुण- वि० [ स० ] अत्यत लाभदायक । जैसे, पीपध । जिसके रखने में बहुत खर्च हो । महागुद-सज्ञा पुं॰ [सं० ] महर्षि चरक के अनुसार एक प्रकार के विशेष-कौटिल्य का मत है कि ऐसे प्रदेश को या तो वेच देना काड़े जो कफ से उत्पन्न होते हैं । (चरक) । eo म से एक।