पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/८७

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महापातकी ३८४६ महाप्रले स० स० २ शैवो उपासना विशेष-कहते हैं, जो लोग ये महापातक करते हैं वे नरक महापुमान्-सचा पु० [सं० ] महाभारत के अनुसार एक पर्वत का भोगने के उपरात भी सात जन्म तक घोर कष्ट भोगते हैं। नाम। महापातकी-सज्ञा पु० [ स० महापातकिन् ] वह जिसने महापातक महापुर-सज्ञा पु० [ स० ] १ वह नगर जो दुर्ग आदि से भली भांति किया हो। रक्षित हो । २ महाभारत के अनुसार एक तोर्थ का नाम । महापातर-मश पुं० [ स० महापात्र ] रे० 'महापात्र' | उ.- महापुराण-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ दे० 'पुराण' । २ अपभ्रश के कवि नाव नहापातर मोहि ते,हक भिखारी ढीठ ।-जायमी ग्र०, स्वयभु कृत एक ग्रथ का नाम । पृ०, ३०२। महापुरी-सञ्ज्ञा स्त्री० । स० ] राजधानी। महापात्र-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ महावा ह्मण या कट्टहा ब्राह्मण जो महापुरुप-मज्ञा पुं० [सं०] १ नारायण । २ श्रेष्ठ पुरुष । मृतक कर्म का दान लेता है । २ महामत्री । प्रधान मत्रो । महात्मा । ३ दुष्ट । पाजी। ( व्यग्य )। महापाद-सज्ञा पुं० [सं०] शिव । महापुष्प-सचा पु० [ J१ कुद का वृक्ष । २ काला मूंग। ३. महापाप-सज्ञा पु० [सं० ] वहुत बडा पा महापातक (को॰] । लाल कनेर । ४ मुश्रुत के अनुसार एक प्रकार का कीडा । महापाप्मा-वि० [ स० महापाप्मन् ] घोर पापी अथवा दुष्ट ।को०] । महापुष्पा-मज्ञा पुं० [ मं० ] अपराजिता । महापाय-सञ्ज्ञा पुं० [ सं० ] महापातक । महापूजा-सज्ञा स्त्री० [ म० ] दुर्गा की वह पूजा जो आश्विन के महापार्श्व- --मज्ञा पुं० [ ] एक दानव का नाम । २ एक राक्षस नवगत्र मे होती है। का नाम। महापृष्ट-मज्ञा पुं॰ [ म० ] १ ऋग्वेद के एक अनुवाक का नाम जो महापाश --सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] पुराणानुसार एक प्रकार का यमदूत | अश्वमेध यज्ञ के सवध मे है । २ ऊंट । महापाशुपत-सज्ञा पुं० । सं०] १ बकुल। मौलसिरी। महापकृति-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ मु० ] पुराणानुसार दुर्गा का एक नाम जो का एक प्राचीन मप्रदाय जिसमे पशुपति की सृष्टि का मूल कारण मानी जाती है। होती थी। महाप्रजापतिः 1-सज्ञा ० [सं०] विष्णु । महापासक- मज्ञा पुं॰ [ सं० ] बौद्ध भिक्षु । श्रमण । महाप्रतिहार-सज्ञा पुं० [ म० ] १ प्राचीन काल का एक उच्च महापितृयज्ञ -सज्ञा पु० [ स० ] प्राचीन काल का एक प्रकार का श्राद्ध कर्मचारी जो प्रतिहारों अथवा नगर या प्रासाद की रक्षा करने- या पितृयज्ञ जो शाकमेव में दूसरे दिन होता था। वाले चौकीदारों का प्रधान होता था। २. नगर मे शाति महापीठ-सा पु० [ मं० ] २० 'पीठ' । रसनेवाला अधिकारी। कोतवाल । महापीलु-सशा पु० [सं० ] एक प्रकार का पीलु वृक्ष । महाप्रधान-मज्ञा पुं० [ 10 ] दे० 'महामात्य' । उ०-परमार महापीलुपति-सज्ञा पु० [ म० महापालु + पति ] हाथी का निरीक्षक । राजा यशोवर्मा के लेख मे 'महाप्रधान' शब्द का प्रयोग मिलता हाथी की देखभाल करनेवाला ।-उ०- सेन लेख मे महापीलु है। गहडवाल ताम्रपत्रों मे महामात्य शब्द आता है ।-पू० पति तथा महाव्यूहपति शब्दो का प्रयोग मिलता है। पहले म० भा०, पृ० १०२। शब्द से हाथी के निरीक्षक का तात्पर्य माना गया है। पु. महाप्रवीन-वि० [सं० महा+प्रवीण ] अत्यत चतुर । उ०- म. भा०, पृ०१०४। जसुमति महा प्रवीन, एक द्विज नारि बुलाई । - नद० ग्र०, महापुडरीक-सशा ० [ स० महापुण्डरीक ] जैनो के अनुसार रुक्मि पृ० १६४। पर्वत पर के बडे जलाशय या झील का नाम । महाप्रभ-वि० [सं० ] अत्यत कातियुक्त । अति दीप्तिमय [को०) । महापुट

- सशा पुं० [सं०] भावप्रकाश के अनुसार रस आदि तैयार महाप्रभा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ ] पुराणनुमार एक नदी का नाम ।

करने का एक प्रकार । महाप्रभु-सज्ञा पुं० [ म० J१ वल्लभाचार्य जी को एक पादरसूचक विशेप - इसमे दो हाथ लवा, दो हाथ चौडा और दो हाथ गहरा पदवी। २ वगाल के प्रसिद्ध वैष्णव आचार्य चैतन्य को एक एक गड्ढा खोदकर उसमें एक हजार उपले रखते हैं, और उन आदरसूचक पदवी। ३ ईश्वर । ४ शिव । ५ इद्र। उपलों पर मिट्टी के बर्तन मे योषधि ग्रादि डालकर उसका मुंह विष्णु । ७ राजा । ८ मन्यासी या साधु । वद करके रख देते हैं, और तव ऊपर से पांच सौ उपले रखकर महाप्रयाण-सञ्ज्ञा पुं० [सं० महा+प्रयाण ] दे० 'महाप्रस्थान' । आग लगा देते हैं। महाप्रलय - सचा पुं० [ स० ] पुराणानुसार वह काल जब सपूर्ण महापुण्य-सज्ञा पु० [म.] १ एक बोधिसत्व का नाम । २ बहुत सृष्टि का विनाश हो जाता है और अनत जल के अतिरिक्त वडा पुण्य । महान पुण्य (को०)। कुछ भी बाकी नही रहता। ऐसा समय प्रत्येक कल्प अयवा महापुण्या-सञ्चा स्त्री॰ [ स० ] पुराणानुमार एक नदी का नाम । वह्मा के दिन के अत मे प्राता है । विशेप-70 'प्रलय' । महापुत्र-मचा पुं० [स०] लडके का पुत्र । पोता। पौत्र । महाप्रलै 3-सचा पुं० [ स० महाप्रलय ] दे॰ 'महाप्रलय' । उ०- स०