पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/८८

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महाप्रसाद ३८४७ महाभरा मख्या का नाम । 10 महाप्रल को जन वल ल गिरि पर बरस्यो हरि ।-नद० ग्र०, शिव के एक अनुचर का नाम । ६ एक नाग का नाम । ७. पृ० ३८ । ठोम बाँम यो०)। ८. मकर । नक्र (को०)। ६ तान वृत्त महाप्रसाद-सज्ञा पुं० [सं०] १ ईश्वर या देवतागो का प्रसाद । (को०) । १०. मीमा । उ०—सो अब ताई महाप्रमाद लियो नाही है ।-दो मौ महाबला-सशा मी० [ मं० J१ सहदेवी नाम की जटी। पीली बावन०, भा॰ २, पृ० ६५। २ जगन्नाथ जी का चढा हुआ महदेइया । २ पिप्पली । पीपल | ३ चौ। ४ नील का पौधा । भात । ३ मास (देवी का प्रमाद) (व्यग्य ) । ४ अखाद्य पदार्थ ५ कात्तिकेय की एक मातृका का नाम । ६ एक बहुत बढी ( व्यग्य )। महाप्रसूत-सज्ञा पुं० [ स० ] एक बहुत बडी संख्या का नाम । महावलाधिकृत - ससा पु० [ म० महाबला+अधिकृत ] नपने बडा महाप्रस्थान-सज्ञा पुं० [स० ] १. शरीर त्यागने को कामना से सेनाधिकारी। प्रधान मनापति । उ०-क्या । महापलाधित हिमालय की ओर जाना । मरण-दीक्षा-पूर्वक उत्तर की घोर अब नहीं हैं । शोक ।-कद०, पृ०४। अभिगमन । २ मरण । देहात । महावलि-मशा पुं० [ महाप्राज्ञ-वि० [सं० ] अत्यत विद्वान् । महानानी । ] १. अाकाश । २ गुफा । ३ मन । महाप्राण' - मज्ञा पु० [ स० ] व्याकरण के अनुसार वह वर्ण जिमके महावलेश्वर-नशा पु० [म०] एक शिवलिंग जा उडीसा मे अाधुनिक उच्चारण मे प्राणवायु का विशेष व्यवहार करना पड़ता है । महाबलेश्वर के निकट है [को०] । विशेप-वर्णमाला मे प्रत्येक वर्ग का दूसरा तथा चौथा अक्षर महावाहु' वि० [ म० ] १. लबी भुजावाला । २ वनो । बलवान् । तथा हिंदी की कुछ अन्य ध्वनियां महाप्राण हैं । जैसे, महावाहु २-सज्ञा पु० १ धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । २ एक राक्षस कवर्ग का-ख, घ । का नाम । ३ विष्णु का नाम । ववर्ग का-छ, झ। महायुद्ध - मना पु० [ म० ] एक प्रकार के बुद्ध जो भाधारण बुद्रो ने चवर्ग का-ठ, ढ, ढ। श्रेष्ठ माने जाते है। तवर्ग का-थ, ध। पवर्ग का-फ, भ । तथा श, प, स और ह तथा न्ह, म्ह महाबुद्धि-पि० [ म० ] १ बहुत बुद्धिमान् । २. धूर्त । ल्ह आदि । महाबृहती-सज्ञा पुं॰ [ म० ] एक वैदिक छद जो तीन पाद का होता है और जिसके प्रत्येक पाद मे १२ वर्ण हाते है। २ वह तीन या महाप्राण श्वास जो महाप्राण वणों के उच्चारण मे लेनी पडती है (को०) । ३ काला कौना (को०)। महावेधका-सज्ञा पुं० [ स० महा + वेधक ] महायुद्ध । उ०- महाप्राण -वि० अत्यधिक मत्वयुक्त । वाजिया वेढक महावेवक, मार सावल सोडा ।-रा० रू०, महाफल'-वि० [ स० ) १ बहुत अधिक फल देनेवाला। २ बहुत पृ० २८० । अधिक पुरस्कार देनेवाला [को०) । महाबोधि-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ बुद्धदेव । २ बौद्ध भिक्षु (फो०) । महाफल -सशा पुं० वेल का पेड [को०) । महाव्राह्मण-सञ्चा पुं० [ म०] १ वह ब्राह्मण जो मृतक कृत्य का महाफला सशा सी० [सं०] १ तितलौकी । २ महाकोशातकी । ३ दान लेता हो । कट्टहा। (माधारणत लोक मे ऐसा नाह्मण राज जवू । ४ इ द्रवारुणी । ५ एक प्रकार का भाला [को०] । निदित माना जाता है)।२ निष्ट ब्राह्मण । ३ जानी, पठिन महाफा, महाफो-मज्ञा स्त्री० [अ० महाह, फा० मुहाफह, ] बडी और विद्वान् विप्र (को०)। पर्देदार होली। सवारी। पालको। उ०—मेरी पौरत महाफी मे विठाकर, ले जाया कर जबर्दस्ती सरासर । - दक्खनी, महाब्धि-सज्ञा पुं० [ म० ] महासागर । उ०-घन के मान के बाँच को जर्जर कर, महाब्धि ज्ञान का बहा जी भर गर्जन साहित्यिक पृ० ३१५ । स्बर ।-अनामिका पृ० १८ | महावन - सज्ञा पुं० [सं०] १ बहुत धना और विशाल वन । उ.- फिरेउ महाबन परेउ भुलाई । —मानस, १११५७। २. वृदावन महाभद्र-मशा पु० [ म० ] १ पुराणानुमार एक पर्वत का नाम । के एक वन का नाम । २ पुगणानुमार मेरु पर्वत के उत्तर के एक सरोवर का नाम । महाबल-वि० [ ] अयत बलवान् । बहुत वडा ताकतवर । महाभद्रा-मा पु० [सं०] १ गगा । २ काश्मरी। उ०-( क ) भोपम कहत मेरे अनुमान हनुमान मारिखो निकाल न ग्रिलोक महाबल भो।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) महाभय-मजा पुं० [सं०] महाभारत के अनुसार अधर्म के एफ पुत्र का नाम जो निति के गर्भ ने उत्पन्न हुअा था । मत मति जय जय धारि विपृथु भट चल्यो महावल |-गोपाल (शन्द०) । (ग) मेघनाथ से पुत्र महावल कुभकरण मे भाई। महाभया~गमा म्ग [ स० ] पुगणानुसार एक नदी का नाम । -मूर (शन्द)। महाभर पु-वि० [ म० महाभट ] वीर योद्धा । ३०-सामि धर्म महावल - मजा पुं० १ पितरो के एक गण का नाम । २. बुद्ध। ३ उर घरह रहह, मम मत्य महाभर ।-प० रामो, पृ० १६१ । तामम चौर रोज्य मन्वतर के इद्र का नाम । ४. वायु। ५. महाभरा-नग सी. [सं०] कुजन । पान को जट। ८-१०