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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/९०

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महामत्स्य ३८४४ महामुद्राध्यक्ष SO 1 महामत्स्य-मज्ञा पु० [ स०] जैनो के एक अनुसार वह बहुत वडी महामानव-सज्ञा पु० [ म० महा+मानव ] अत्यत महान् पुरुष । मछली जो स्वयभूरमण सागर मे थी। देवी पुरुप । ईश्वरीय अवतार । महामद-सज्ञा पुं० [ सं० ] मस्त हाथी। महामानसिका-सा स्त्री० [ स० ] जैनियो की एक देवी का नाम । महामना-वि० [स० महामनस् ] १ उदारचिन । दयालु । २ महामानसी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] जैनियो की एक देवी । महामानमिका । उच्च विद्यारवाला। उच्चमना । जैसे, हिंदू विश्वविद्यालय के महामान्य-वि० [ स० महा + मान्य ] अत्यत समानार्ह। परम मस्थापक, हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान के अनन्य उपासक महामना प्रतिष्ठित । मदनमोहन मालवीय । ३ समर्थ । साहकार [को०] । महामाय'-सञ्ज्ञा पु० [ म०] १, शिव । २ विगु । ३ एक असुर महामना-सञ्ज्ञा पु० पाख्यान वणित एक जतु । शरभ (को०] । का नाम । ४ एक विद्याधर का नाम । महामयूरो - मज्ञा स्त्री॰ [ स० ] बौद्धो की एक देवी का नाम । महामाय-वि० मायावी। महामह-सज्ञा पुं॰ [ स० ] बहुत वडा उत्सव । महोत्सव । महामायण-मञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० महामायी ] २० 'महामाई'। उ०- महामाय, बरदाय, सुमकर तुमरे नायक नद० ग्र०, महामहिम-वि० [ स० महा+महिमा ] १ महान् महिमायुक्त । पृ० २०६। महिमान्वित । उ०-सत्ता का महामहिम रथ जब वैभव के पथ पर चलता है। करते हैं उसका विजयघोष अगाणत अनुचर महामाया'-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ प्रकृति । २ दुर्गा । ३ गगा। अगणित चारण । २ राजा, महाराजा, स्वतत्र भारत के राष्ट्र- ४ शुद्धोदन की पत्नी और बुद्ध की माता का नाम । ५ पति और राज्यपाल आदि के लिये आदरार्थ प्रयुक्त सवोधन । आर्या छद का तेरहवाँ भेद जिममे १५ गुरु और २७ लघु वर्ण होते है। यादरयुक्त सबोधन। महामहोपाध्याय -सञ्ज्ञा पुं० [ ] १ गुरुओ का गुरु । बहुत बडा महामायी-सञ्ज्ञा पु० [ मै० महामायिन् ] विष्णु [को०) । गुरु । २ मस्कृत के मूर्धन्य विद्वानो को शासन से मिलनेवाली महामारी-मशा स्त्री० [ स०] १. वह मक्रामक और भीपण रोग एक प्रकार की उपाधि । जिसमे एक साथ ही बहुत से लोग मरें। ववा। मरी । जैसे, विशेष-स्वतयताप्राप्ति के पूर्व भारत मे सस्कृत के विद्वानो को हैजा, चेचक, प्लेग इत्यादि । २. महाकाली का एक नाम । यह उपाधि ब्रिटिश सरकार की ओर से मिलती रही है। अब महामाल-सचा पु० [ स० ] शिव । यह उपाधि उसी प्रकार विद्वानो को स्वतत्र भारत की सरकार महामालिनी-सज्ञा स्त्री० [ ] नाराच छद का एक नाम । द्वारा प्राप्त होती है। महामाप-सज्ञा पुं० [ स०] राजमाप । बडा उडद । महामाडलिक-सञ्ज्ञा पु० [ स० महा + मण्डलिक ] मंडल या राष्ट्र महामापतैल-सज्ञा पुं॰ [ म० ] वैद्यक मे एक प्रकार का तेल जो का अधिपति । माधारण तिल के तेल मे चने की दाल, दणमूल और बकरी महामास-मचा पु० [म० ] १ गोमास । गौ का गोश्त । उ०- का मास आदि मिलाकर पकाने मे बनता है । जिधर देसिए महामास से भरे टोकरे अधिकता से।-प्रेमघन०, महामुड-मशा पु० [ सं० महामुण्ड ] बोत नामक गधद्रव्य । भा० २, पृ० १६ । २ मनुष्य का मास । महामु डनिका-मन्ना स्त्री॰ [ मे० महामुण्डनिका ] गोरसमुही। विशेष-कुछ लोग मनुष्य, गौ, हाथी, घोडे, भैस, सूअर, ऊंट महामु डी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ म० महामुण्डी ] गारखमुडी (को०) । और सॉप इन पाठ जीवो के मास को महामास मानते हैं। महामुख-मशा पुं० [ सं०] १ कुभीर नामक जनजतु । घडियाल । महामास खाना परम निपिद्ध कहा गया है। २ नदी का मुहाना । वह स्थान जहाँ नदी गिरती है। ३ महामाई-मज्ञा स्त्री॰ [स० महा + हिं० माई ] १. दुर्गा । उ०- महादेव । अये गवरि, ईस्वरि सब लायक । महामाइ वरदाइ मुभायक । महामुद्रा-सचा स्त्री० [ स०] १ योग के अनुसार एक प्रकार की नद० ग्र०, पृ. २६८ । २ काली। मुद्रा या अगो की स्पिति । २ एक बहुत बड़ी संख्या का नाम । ३ राजमुद्रा । राजमुहर । महामात्य-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] राजा का प्रधान या सबसे बडा अमात्य । महामत्री। महामुद्राधिकृत-सशा पु० [सं० महा + मुद्रा + अधिकृत ] प्राचीन काल का एक राजकीय पद जिसका आचकारा विदेशिया को महामात्र'-मक्षा पुं० [ स० ] १ महामात्य। २ महावत। ३. देश मे पाने का अनुमातपन देता था। उ०-महामुद्राव्यक्ष का हाथियो का निरीक्षक । भी एक उपविभाग था जा राज्य में प्रवेश के लिये विदशियो महामात्र'-वि० १ प्रधान । वडा । २ बहुत बढिया । ३. समृद्ध । को अनुमतिपन दताया। लक्ष्मणमन के लख म इस महा- सपन। ४. बनवान् । अमीर । मुद्राधित कहा गया है। यू० म० भा०, पृ० १०६ । महामात्री-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] १. महामात्य की पत्नी। २. आध्या महामुद्राध्यक्ष-नरा पु० [सं० महा + मुद्रा+ अध्यक्ष ] 'महा- त्मिक गुरु को स्त्री (को०] । मुद्राधिकृत' । उ०-२न विभ ग के अंतर्गत महामुद्राध्यक्ष का म०