पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

स० L स० महालोल ३८५३ महाविद्यालय महालोल-सज्ञा पुं॰ [ स० ] कौप्रा। महावरी एंडी मीडति जाय ।-विहारी ( शब्द०)। (ख) महालोह-सज्ञा पु० स० ] चुंबक [को०] । छैल छवीली का छवा लहि महावरी सग। जानि पर नाइन लग जहि निचोरन रग । -रामसहाय ( शब्द०)। महावश--सज्ञा पुं॰ [स०] एक सुप्रसिद्ध वौद्ध ग्रथ का नाम जो पाली मे ५वी शताब्दी में लिखा गया और जिसमे वौद्ध धर्म और महावरेदार-वि० [हिं० महावरा ] दे० 'मुहावरेदार' । उ०—कमिटी सिहल का इतिहास है को०) । ने सिफारिश की कि नवर १ का तरजमा बहुत महावरेदार देशी भापा में किया जाय । सरस्वती ( शब्द०)। महावक्षा-सञ्ज्ञा पुं० [ स० महावक्षस् ] महादेव । महावरोह-सज्ञा पु० [ ] १ पलाश । २. वरगद (को०) । महावक्षा-वि० विशाल वक्षवाला [को०] । महावल्ली-सञ्ज्ञा स्त्री० सं०] १ माधवी लता । २. बहुत बडी लता । महावट-सा सी० [हिं० माह (= माघ) वट (प्रत्य॰)] पूस माघ की वर्षा। वह वर्पा जो जाडे मे हो। जाडे की झडी। महावस-मज्ञा पुं॰ [ स० ] मगर वा शिशुमार नामक जलजतु । उ०-पैठी हो सरदी रग रग मे और वर्फ पिघलता हो पत्थर । महावसु-सज्ञा पुं॰ [ ] १ इद्रावरुण का एक नाम । २ रजत । झड बाँध महावट पडती हो और तिस पर लहरें ले लेकर । चांदी (को०)। मन्नाटा बाव का चलता हो तव देख बहार जाडे की ।- महावाक्य-सज्ञा पु० [सं०] १ सोह शब्द । २ शकराचार्य जी के नजीर ( शब्द०)। मतानुयायियो के मत से 'अह ब्रह्मास्मि', 'तत्त्वमसि', 'प्रजान महावत-सञ्ज्ञा पु० । स० महामात्र ] हाथी हाँकनवाला। फीलवान । ब्रह्म' और 'अयमात्मा ब्रह्म' इत्यादि उपनिषद् के वाक्य । ३ हाथीवान । उ०—(क) हूलै इत पर मैन महावत लाज के दान आदि के समय पढा जानेवाला सकल्प । प्रादू परे जउ पाइन ।—पद्माकर ( शब्द०)। ( ख ) द्वार महावात-सञ्चा पु० [ स० ] जोर की हवा। आंधी तूफान । कुवलया गज ठढियावा । अयुत नाग वल तासे पावा । कहेसि महावादी-वि० [स० महावादिन् ] शास्त्रार्थ करने मे शक्ति- महावत ते गोहगई। प्रविशत ते डारे चपवाई। विधाम शाली [को०] । ( शब्द०)। महावामदेव्य-सज्ञा पुं० [स०] एक प्रकार का साम जो शाति कार्यों महावतारी-सज्ञा पु० [ २० महावतारिन् ] २५ मात्राओं के छदो के समय पढा जाता है। की सज्ञा। महावायु-सञ्ज्ञा पु० स्त्री॰ [सं० ] तूफान । महावथ-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० महावत ] दे० 'महावत' । उ०—मत्त महावारुणी-सा स्त्री॰ [ स०] गगास्नान का एक योग । महावथ हथ्थ महँ भल्लारी श्रति डील ।-५० रासो, विशेप-यदि चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिपा नक्षत्र हो तो उस पृ० ६१। दिन वारुणी योग होता है। यदि यह योग शनिवार को पडे महावध-सम्रा पु०॥ तो महावारुणी कहलाता है। पुराणो के अनुसार इस योग मे महावन-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] दे॰ 'महावन' [को०] । गगास्नान का बहुत अधिक फल होता है। महावर'-सञ्ज्ञा पुं० [ स० महावर्ण १ ] लाख से बना हुआ एक प्रकार महावााकिनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ सं० ) बनभटा । जगली वैगन | का लाल रग जिमसे सौभाग्यवती स्त्रिया अपने पांवो को चित्रित महावातिक-सञ्ज्ञा पु० [ स०] कात्यायन के वार्तिक का नाम जो कराती हैं । यावक । जावक । उ०—(क पलन पीक अजन पाणिनि के सूत्रो पर है। अधर धरे महावर भाल । अाज मिले सु भली करी भले वने हो महावाहन-सज्ञा पु० [ सं०] एक बहुत बड़ी मख्या का नाम [को०) । लाल ।-विहारी ( शब्द०)। (ख ) आई हो पायं दिवाय महावर कुजन ते करि के सुख सेनी। मतिराम ( शब्द०)। महाविक्रम-सज्ञा पुं॰ [ स०] १ सिंह । २ एक नाग का नाम । (ग ) काहू दियो लाख रस सोई। जासो तुरत महावर महाविड-सज्ञा पुं॰ [स०] बनाया हुआ नमक । कृत्रिम नमक [को॰) । होई ।-लक्ष्मणसिंह ( शब्द०)। महाविदेहा-सज्ञा स्त्री० [ ] योगशास्त्र के अनुसार मन की एक महावरा—वि० [ स० महायल ] दे० 'महावल' । उ०—कुंवरप्पन महाविद्या-सज्ञा स्त्री० [ स० ] १ तत्र मे मानी बहिर्वृत्ति। प्रथिराज तप तेजह सु महावर। मुकल बीजु दिन हुतें कला दस देवियाँ जिनके नाम इस प्रकार है-(१) काली, (२) तारा, (३) षोडशी, दिन चढत कलाकर -पृ० रा०, ५ । २। (४) भुवनेश्वरी, (५) भैरवी, (६) छिन्नमस्ता, (७) धूमावती, महावरा-सज्ञा स्त्री॰ [ म० ] दूव । (८) बगलामुखी, (६) मातगी और (१०) कमलात्मिका। इन्हे महावरा-सज्ञा पुं० [ अ० मुहावरा ] 'मुहावरा'। सिद्ध विद्या भी कहते हैं। कुछ तात्रिको का यह मत है कि महावराह-सड़ा पु० [सं०] भगवान् का वराह अवतार । इन्ही दस महविद्यायो ने दस अवतार धारण किए थे। २ महावरी-सज्ञा पुं० [हिं० महावर ] महावर की बनी हुई गोली या दुर्गा देवी । ३ गगा। टिकिया जिससे स्त्रियो के पैर चित्रित किए जाते हैं । उ०—(क) महाविद्यालय-सञ्ज्ञा पुं॰ [ म० महा + विद्यालय ] वडा विद्यालय | पायं महावर देन को नाइन बैठी प्राय। फिरि फिरि जानि उच्च शिक्षा की मस्था। कालेज । म० ] वच। - स०