महाविद्येश्वरी ३८५४ महाशतावरी TO 39 TO ] गर्भ से उत्पन्न हुए महाविद्यश्वरी - संज्ञा सी० [ सं० ] दुर्गा की एक मूर्ति का नाम । महाविभूत-मज्ञा सी० [सं० एक बहुत बडी संख्या का नाम । महाविभूति -मज्ञा पुं॰ [ स० ) विष्णु। महाविरति-मज्ञा पुं॰ [ 10 ] शिव को०] । महाविल-सा पुं० [सं०] १ आकाश । २ अत करणा । महाविप सज्ञा पुं० [स०] १ वह सांप जिसके काटते ही तुरत मृत्यु हो जाय । २ दो मुंहवाला सार (को॰) । महाविपुव ब-सज्ञा पुं० [ 10 ] वह समय जब मूर्य मीन से मेप राशि मे जाता है और दिन रात दोनो समान होते है। इस दिन को गणना पुण्यतिथियो मे होती है। मेप मानि । चैत की मक्राति । महाबीचि-मज्ञा पुं० [सं०] मनु के अनुसार एक नरक का नाम । महावीत-मक्षा पुं० । स० ] पुराणानुसार पुष्कर द्वीप के एक पर्वत का नाम । महावीर'-सञ्ज्ञा पुं० स०] १ हनुमान जी। २. गौतम बुद्ध वा एक नाम । ३ गरुड । ४ देवता । ५ सिंह । ६ मनु के पुत्र मरवानल का एक नाम । ७ वज। ८ सफेद घोडा। बाज पक्षी । १० कोयल (को०) । ११ विगु था एक नाम (को०) । १२ यज्ञ की अग्नि (को०)। १३ यज्ञ मे प्रयुक्त पार (को०) । १४ नियों के चौबीमवें और अतिम जिन या तीर्थकर जो महापराक्रमी राजा सिद्धार्थ के वीर्य में उनकी रानी मिशला के ये विशेप-कहते हैं, त्रिशला ने एक दिन मोलह शुभ स्वप्न देये थे जिनके प्रभाव मे वह गर्भवती हो गई थी। जब इनका जन्म हुप्रा तव इद्र इन्हे ऐरावत पर बैठाकर मदराचल पर ले गए ये और वहां इनका पूजन करके फिर इन्हें माता की गोद मे पहुंचा गए थे इनका नाम वर्षमान पदा था। ये बहुत ही शुद्ध और शांत प्रकृति के थे और भोगविलास को पोर इनकी नहीं होती थी। कहते है, तीस वर्ष की अवस्था मे कोई बुद्ध या अर्हत् पाकर इनमे मान का मचार कर गए थे। मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी को ये अपना राज्य पौर सारा वैभव छोडकर वन मे चले गए और बारह वर्ष तक इन्होंने वहां घोर तपस्या की। इसके उपरात ये इधर से उधर घूमकर उपदश देने लगे। एक बार इन्होने भोजन त्याग दिया, जिससे वंशाख कृण दशमी को इन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था। इन्होने मौन धारण करके राजगृह मे रहना प्रारभ किया। वहां देवतायो ने इनके लिये एक रत्नजटित प्रामाद बनाया था। वहाँ इद्र के भेजे हुए बहुत से देवता प्रादि इनके पाम भाए, जिन्हे इन्होन अनेक उपदेश दिए और जैन धर्म का प्रचार प्रारभ किया। कहते है कि इनके जीवनकाल मे ही सारे मगध देश मे जैन धर्म का प्रचार हो गया था। जैनियो के अनुसार ईसा से ५२७ वर्ष पूर्व महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था, और तभी मे 'वीर सवत्' चला है । महावीर'-वि० बहुत वडा वीर । बहुत बड़ा वहादुर । महावीरा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं० ] क्षीरकाकोली । महावीर्य'-गज्ञा पुं० [ मं०] १ ब्रह्मा । २ क युद्ध का नाम । ३ जनो के एक अर्हत् का नाम । ४ तामम शोच्य मन्बतर के एक इद्र का नाम ।" वराहीकर । महावीर्य '-वि० अत्यत वीर्यवान किो०) । महावीर्या-सशा ] १ मूर्य को पत्नी गज्ञा का एक नाग । २ वनकपास । ३ महाशतावरी । महावृक्ष मज्ञा पुं० [ मं०] १ मेहुट । थूहर । २ बहुत बटा पेट । ३ करज । ४ ताट । " महापौनु । महावृप-T पुं० [सं०] १ पुराणानुसार एक तीर्य जो मुरम्य पर्वन क पास है। २ वटा गाँट (०) । महावेग'-सा पु० [ म• ] ? मिव । २ गरट । ३ तीन गति । तेज बान (को०)। ४ कपि । मर्कट (को०)। महावेग-रि अन्यत वेगवान् (के०] । महावेगा-ना पी० [ 10 ] स्कद की अनुचरी एक मातृका का नाम । महावेल-वि० [ 10 ] तरगयुक्न । लहरीला [को०] । महाव्याधि - मा पी० [ 70 'महारोग'। महाव्याहति-मज्ञा स्त्री। स०] १. पुगणानुगार ऊपरवाले सात लाको मे न पहले तीन लोको का नमूह । भू भुव और स्व ये तोन लोक । २. मत महाव्याहृतियो में प्रारभ को तीन व्याहृतियां जिनका म्प प्रण व से युक्त कहा गया है।-ॐ भू , ॐ भुव, ॐ स्व । महाव्यूह -मज्ञा पुं॰ [सं० ) एन प्रकार का समाधि । महाबण-सज्ञा पुं० । ] द० 'दुष्टपण'। महात्रत'-मा पुं० [ 10 ] १ वेद फी फ फना का नाम । २ वह व्रत जो बारह वो तक चलता रहे। : पाश्विन को दुर्गापूजा । ४ माघ माम मे भग्णोदय के नमय स्नान करना (को०) 11 बहुत क ठन यत । महाव्रत-वि० महावत करने या नेनेवाला (को०] । महाव्रती-सज्ञा पुं० [ म० महान तेन् ] १ वह जिमने कोई महाव्रत धारण किया हा। २ शिव । महाशख-मज्ञा पुं॰ [ मं० महाशह ] ? सनाट। २ कनपटी को हड्डी । ३ मनुष्य की ठठरी। ४ नौ निधियो मे से एक । ५ वडा शस। ६ एक प्रकार का सर्प। ७ एक बहुत बढी संख्या का नाम । ८ एक प्रकार का वृक्ष । महाशक्ति'-मज्ञा पुं० [ ] १ कार्तिकेय । २ शिव । ३ पुराणा- नुमार कृष्ण के एक पुत्र का नाम । महाशक्ति - सशा लो. [ सं०] दुर्गा। उ०-उतरी पा महाशक्ति रावण से प्रामत्रण।-अपरा, पृ० ४६ । महाशठ-सज्ञा पुं० [सं०] १ पीला धतूरा। राजधतूरा। २ प्रत्यत शठ, मूर्ख वा छली व्यक्ति । महाशता-सशा सी० [सं०] महाशतावरी । बडी शतावरी। महाशतावरी-सज्ञा स्त्री० [सं०] वडी शतावरी। विशेप दे० 'सतावर' HO 0
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/९५
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