पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/९६

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महाशन ३८५५ महासभा महाएवाम 40 स० महाशन-वि० [सं०] अतिभोजी । पेटू । बहुत खानेवाला [को०] । महाश्रेप्टो~मज्ञा पु० [ #० महाश्रेष्टिन ] बहन बडा मठ। उ०- महाशय'-सज्ञा पुं० [ स०] १, उच्च प्राणयवाला व्यक्ति । महानुभाव । विशासा का विवाह पुण्यरचन मे हया था जो मार्फत के महात्मा । मजन । २ समुद्र । महाश्रेष्ठी मिगार का पुत्र था ।-हिंदु० नभ्यता, पृ० २४४ । महाशय-वि० उच्चात्मा । २ उदारमना । महाश्लक्ष्णा-सजा पी० [स०] मिकता । पालुरा । रस शो०] । महाशय्या-मञ्ज्ञा स्त्री० म० ] राजायो की शय्या या सिंहासन । महाश्वास-मशा पुं० [ म० ] १ एक प्रका वाम रोग । २ वह महाशर-सहा पु० [ ] दे० 'रामशर'। अतिम मास जो मरने के समय चननी है। उ० महाशल्क मशा पु० [सं० ] झिंगा मछली । जिम पुरुष को होय वह तत्काल मरण का प्राप्त होय ।- माधव०, पृ०६५। महाशाखा-सशा स्त्री॰ [ ] नागबला । गंगेरन । महाश्वेता- महाशाल-मज्ञा पु० [ मं० ] वह व्यक्ति जिसका निवाम या गृह 1-सज्ञा स्त्री० [ म०] १ मरस्वती। २ दुर्गा । ३. मफेद विशाल हो । महान् गृहस्थ किो०] । अपराजिता । ४ चीनी । शहंग। महाशालि-सशश पु० [ म० ] एक प्रकार का लवा और खूशबूदार महापाठो-मज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ दुर्गा । २ मरम्बनी 'मो०] । चावल (को० । महाष्टमी-मज्ञा स्त्री० [ म० ] आश्विन मास के शुका पक्ष की अष्टमी । महाशासन-मशा पुं० [म० ] १ राजा की प्राज्ञा । २. राजा का महासक्राति-मशा स्त्री॰ [ न० महासङ्क्रान्ति J 20 'सक्राति'। वह मत्री जो उसकी प्राज्ञामो या दानपत्रो आदि का प्रचार महामख-सज्ञा पु० [म० महाशद्ध] ३. 'महाशय' । उ०-पम्प करता हो । ३ उपनिपदो द्वारा व्याख्यात ब्रह्मज्ञान या परमार्थ शिवदेव महामख पानारमी । दोक मिले अवेब साहिब सेवक एक बोध (को०)। से ।-अर्ध०, पृ० २२ । महाशासन-वि• महान् या श्रेष्ठ शासनवाला (को०] । महासधिविग्रह-मशा पुं० [ म० महासन्धि,वह ] पररात्री का महाशिरा-सज्ञा पुं० [ स० महाशिरस् ] एक प्रकार का सॉप [को०) । कार्यालय जहाँ में मवि और मर्प भी ममस्या हल की महाशिव-सज्ञा पु० [ स० ] महादेव । जाती है। महाशिवरात्र-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [म. jशिवचतुर्दशी । शिवरात्रि (को०] । महासंस्कार-मञा पुं० [सं०] अंत्येष्टि । दाह मस्कार । उ०- आज नरपति का महामत्कार । उमडने दो लोक पारावार । महाशीतवती-सज्ञा स्त्री॰ [ म० ] वौद्धो को पाँच महादेवियो मे मे एक देवी का नाम। माकेत, पृ० १६५। महाशीता-सज्ञा सी० [स०] शतमूली । महासरकारी-मशा पु० [ स० महासस्कारिन् ] एक प्रकार का छद । १७ मात्रामों के छदो की मशा । महाशीप - संज्ञा पुं० [ मं० ] शिव के एक अनुचर का नाम । महासती-सज्ञा मी० [स० ] अन्धत साता एव मचरित महिला । महाशील-सज्ञा पुं० [सं० ] जनमेजय के एक पुत्र का नाम । परम साध्वी स्त्री (को०)। महाशुडी-मज्ञा स्त्री॰ [ स० महाशुण्डो ] हाथीमूड नामक क्षुप । महासत्ता-मज्ञा स्त्री० [स०] जैनो के प्रसार वह विश्वव्यापिनी महाशुक्ति-सझा स्त्री॰ [सं०] मीप । मोती को सीप । सत्ता जिनमे विश्व के समस्त जीवा और पदार्थों को सत्ता महाशुक्र-राज्ञा पुं० [ स०] जैनो के अनुसार दमवें स्वर्ग का नाम । अत(क्त है । सबने नडी और प्रधान मना जो सब प्रकार की मत्तायो का मून आधार है । महाशुक्ला-मज्ञा सी० [ मरस्वती। महाशुभ्र-सा पु० [ ] चांदो। महासत्ति-सशा भी० [ म० महाशक्त ] एक जतु जो शृगात मे भिन्न होता है। महाशूद्र-सञ्ज्ञा पु० [ म०] १ ऊंचे पदवाला शूद्र । उच्च पदस्थ उ०-डॉवी महामत्ति फंकरइ।-धी० रासो, पृ० ६१ । शूद्र । २. पाला। गोप [को०) । महासत्व-मग पुं० [म. ] गोप को स्त्री । ग्वालिन (को०] । ] यमराज । महाशद्री-नशा मी० [ महासत्य-संज्ञा पु6 [ म० महामत्य ] १ कुबेर । २ शास्य मुनि । महाशून्य - सज्ञा पु० [सं० आकाश। ३ एक बोधिसत्व का नाम । ४. विशानकाय पशु । बडे शरीर महाशोण-सगा पु० [ नं० ] मोन नद । का पम् (को०)। महाश्मशान-मश पु० [ स०] कागी नगरी का एक नाम । महासत्य- वि०१ योग्य । महान् । २ अन्यधिर शक्तिपानी। महाश्मा- सज्ञा पुं० [ मं० महाश्मन् ] कीमती पत्थर (को०] । न्यायपूर्ण । न्यायाचित को । महाश्रमण-सज्ञा पुं० [ स० ] भगवान् बुद्ध का एक नाम । महासन-सज्ञा पुं० [ न० मिहामन । महाश्रावणिका-सश ग्मी [ ] गोरखमुंडी। महासभा-सज्ञा पुं॰ [ नं० महासमा ] १ रन पी मभा। महाश्री-मजा मी [ न० ] बुद्ध को एक शक्ति का नाम । विशाल समारोह । २. बहत ब. रघटन । गा7 गम । ३. ८-११ म० HO BO