पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१०५

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६ १९ उपायिक पृ० २०० । ५ –वि० [सं०] १ प्राप्त । उ०--इन्हें उपादि कहते हैं क्योकि उपाध्व--सच्ची पु० [स० उपाच्वन्] खेतो में जानेवाली पगइडी । इड़। यह ग्रालय से उपात्त है !-—सपू०, अनि० ग्र०, पृ० ३०१ । मै; (को॰] । २. युक्तियुक्त (को०)। ३ अनुभूत (को०) । ४. समाविष्ट (को०)। उपाध्वा-सज्ञा पुं० [सं० उपाञ्बन्] दे॰ 'उपाध्व' [को०] । ५ अतर्गत (को०) । ६. अतर्गणित (को०) । ७. प्रतिसंहृत उपान-सच्चा स्त्री० [प्रा० उप्पयण = ऊँचा जाना या ऊपर जाना अथवा (को०) । ८. वणित (को०)। हि० ऊपर+प्रन (प्रत्य)] १ इमारत की कुर्सी । ३. १.संज्ञा पुं० भदहीन हाय (०]। खर्भ के नीचे की बहू चौकी जिसपर वेभो बैठाया जाता है। • त्यय---संज्ञा पुं० [सं०] १ प्रचलित रूढ़ि या परपरा का परित्याग । पदस्तल । | २ अशिष्टता । अमद अाचरण [को॰] । उपान त्---संज्ञा पुं० [सं०] १. जूता ! पृनहीं। २ वडाऊँ। दान-संज्ञा पुं० [सं०] [वि॰ उपादेय] १ प्राप्ति । ग्रहण । उपानत-संज्ञा पुं॰ [सं० उपान] दे० 'उपान्त्' । उ०—(क) विरचि स्वीकार । ३ ज्ञान । परिचय । वोध । ३ अपने अपने विषयो उपानत वेचन करई । आधो धन सेतन कहे, भरई ।से इद्रियो की निवृत्ति । ४. वह कारण जो स्वयं कार्य रूप रघुराज (शब्द०)। (ख) लघु लघु लसत उपानत लघु पद में परिणत हो जाये । सामग्री जिससे कोई वस्तु तैयार हो । लघु धनुही कर माही I---रघुराज (शब्द॰) । जैसे, घड़े का उपादान कारण मिट्टी है । वैशेपिक में इसी को उपानद--सच्ची पु० [सं०] हिडोल राग का पुत्र या भेद । समवायिकरण कहते हैं । लाडय के मत से उपादान और कार्य उपानना -क्रि० स० [हिं०] उत्पन्न करना । पैदा करना । एक ही है । ५ माम्य की चार अध्यात्मिक दृष्टियों में से उपान--संज्ञा पुं॰ [सं० उपानह] जूता । पनही । उ०—धोती फटो एक, जिसमे मनुष्य एक ही बात से पूरे फल की प्राश करके सी लटी दुपटी अरु पाय उपानहू को नही सामी (--इतिहास, और प्रयत्न छोड देता है। जैसे, सन्यास लेने से ही विवेक हो जायगा, यह समझकर कोई सन्यास ही लेकर संतोष कर ले र विवेकप्राप्ति के लिये और यत्न न करे । उपाना- क्रि० अ० [सं० उत्पादन, पा० उत्पादन, प्रा० उपायण] उपादि-सज्ञा झी० [सं० उपाधि] दे॰ 'उपाधि' । १. उत्पन्न करना । पैदा करना। उ०—(क) जेहि सृष्टि उपाई उपादेय वि० [सं०] १ ग्रहण करने योग्य । अगीकार करने योग्य। त्रिविध वनाई संग सहाय न दूजा !-—मानस, ११८३ । (ख) | लेने योग्य । २ उत्तम । श्रेष्ठ । अछा । अमृत की अपगा उपाई करतार है ।-यामा, पृ० २६ । उपाधि संज्ञा स्त्री० [सं०] १ र वस्तु को और बतलाने का छल । २ करना । सपादन करना। अ०--(क) तबहिं स्पाम इक कपट । २ वह जिसके संयोग से कोई वस्तु और की और युक्ति उपाई -सूर (शब्द॰) । (ख) धर्मपुत्र जब जज्ञ उपायौ, अथवा किसी विशेप रूप में दिखाई दे । जैसे, आकाश । द्विज मुख हूँ पन लीन्हौं ।--सूर (शब्द०)। अपरिमित और निराकार पदार्थ है, पर घई और कोठरी के उपनिसिज्ञा स्त्री॰ [सं० उत्पन्न, प्रा० उरपण, उत्पन्न उत्पत्ति । भीतर परिमित और जुदी जुदा रूप में जान पड़ता है। सृष्टि। उ०—अलसी चद सूर पुनि चलसी, चलमी सबै उपानी । --- ॐ न झी २r ३ वटा कल रेस पहनी -दादु०, पृ० ५७२ ।। है । वास्तव में है नहीं। इसी प्रकार वेदात में माया के संवध उपाप्ति--संज्ञा स्त्री० [सं०] १ प्राप्नुि । २ पहुँच [को०)। और असवंध से ब्रह्म के दो भेद माने गए हैं----सोपाधि व्रह्म उपवयं--सज्ञा पुं॰ [सं० उपवयं ] दे० 'उपवण्य’ उ०--जहाँ (जीव) और निरुपाधि ब्रह्म । अनादर अनि को उपावन्यं उपमेय । वरनत उहाँ प्रतीप है कोऊ ३. उपद्रव । उत्पात । ४. कर्तव्य का विचार । धर्मचिता । ५. सुकवि अजेय ---मतिराम ग्र०, पृ० ३७३ ।। प्रतिसूचक पद । खिताव ।। उपाय----संज्ञा पुं० [अ०] [वि॰ उपायी, उपेय] १ पाम पहुँचना । उपाधी—वि० [सं० उपाधि (लाक्ष०)][वि० जी० उपाधिन ] उपद्रवी। निकट माना । २ वह जिससे अभीष्ट तक पहुँचे । साधन । । उत्पान करनेवाला ।—जो तू लंगर ढीठ उपाधी ऊधम रूप युक्ति तदवीर। ३ राजनीति में शगू पर विजय पाने की भयो ।—मारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ॰ ३७६ ।। युक्ति । ये चार हैं, साम (मैत्री), भेद (फूट डालना), दड उपाध्या-संज्ञा पुं० [सं० उपाध्याय] दे॰ ‘उपाध्याय' । (अाक्रमण) और दान (कुछ देकर राजी करना) । ४ ऋ गार उपाध्याय-सज्ञा पुं० [स०][ी उपाध्याय, उपाध्यायानी, उपाध्यायी] के दो साधन साम और दान । १ वेद वेदाग का पढ़ानेवाला । २ अध्यापक । शिक्षक । गुरु। उपायन--संज्ञा पुं॰ [सं०] १ 'मॅट । उपहार। नजराना । सौगात । ३ ब्राह्मणों का एक भेद । । २, पास आना (को०)। गुरु के पास जाना । शिष्य होना उपाध्याया-संज्ञा स्त्री० [सं०] अध्यापिका 1 पढ़ानेवाली ।। (को०)। ४. आरभ (को०)। ५. अध्यवसाय (को०)। ६. उपाध्यायानी--संज्ञा स्त्री॰ [१०] उपाध्याय की स्त्री । गुरुपत्नी। । प्रवृत्ति (को॰) । उपाध्यायी-भा सी० [सं०] १ उपाध्याय की स्त्री। गुरुपत्नी । २ उपायक-वि० [सं०] १ उन्नति करनेवाला । २ वढाने या व अध्यापिका । पढ़ानेवाली स्त्री । करनेवाला (वै० । । २-१२