पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१२१

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उलटना उलट पुलट विशेप--गद्य में इस ग्रर्य में इस क्रिया का प्रयोग अकेले नहीं होता, या तो ‘पड़ना' के साथ होता है अथवा 'ग्राना' और 'जान' के साथ केवल इन पो मै---‘उलटा जा रहा है, ‘उलटा चला आ रहा है', 'उलटा जा रहा है' और 'उलटा चली जा रहा है।' ४ इधर का उधर होना । अंडवंड होन! 1 ग्रस्त व्यस्त होना । क्रमविरुद्ध होना । जैसे,—यहाँ ती सर्व प्रवंध ही उलट गया है । उ०—जाने प्रात निपट अलसाने भूखन सब उनटाने । करत दिगार परस्पर दोऊ प्रति अालम सिथिलाने ।सूर (शब्द॰) । सयो० क्रि०---जाना ! ५. विपरीत होना । विरुद्ध होना । और का और होना। जैसे-अाजकल जमाना ही उनट गया है । सयो० क्रि०---जाना । ६. फिर पहना । ऋद्ध होना । विरुद्ध होना । जैसे,— मैं तो तुम्हारे भले के लिये कहता था तुम मुझपर व्यर्थ ही उन्नट पड़े। संयो॰ क्रि०—पड़ना । दिशेप-वे वल ‘पडना' के साथ इस अर्थ में यह क्रिया अती है। ७. ध्वस्त होना । उखड़ना पुबडना । बरवाद होना । नष्ट होना। बुरी गति में पहुँचना । जैसे,--एक ही बार ऐसा घाटा ,या कि वे उलट गए। उ०—इसकी बातों से तौ प्राण मुंह को अाते हैं और मालूम होता है कि संसार उलटा जाता है--हरिश्चद्र (शब्द॰) । संयो॰ क्रि०--जाना । विशेष—केवल 'जाना' के साथ इस अर्थ में यह क्रिया आती है। 5 मरना । बेहोश होना। वे मुध होना । जैसे,—(क) वह एक ही इडे में उन्नट गया । (ख) भाँग पीते ही वह उलट गया। संयो॰ क्रि०--जानी ! विशेष--कैवल 'जाना' के साय इस अर्थ में यह क्रिया आती है। ६ गिरना । घरती पर पड जाना । जैसे,—इवा से खेत के वान उलट गए । संयो॰ क्रि—जाना । | १०. घमड करना । इतराना। जैसे,—योडे ही से घन मे इतने उलट गए । विशेप - केवल 'जाना' के चाय इस अयं में यह क्रिया ग्राती है। ११ चौपायों का एक बार जोडा खाकर गर्भ धारण न करना और फिर जोडा खाना । १२ (किसी अग का) मोटा या पष्ट होना । जैसे,—चार ही दिनों की कसूरत में उसका वेदने या उत्तकी रान उलट गई। उलटना-क्रि० स० १ नीचे का भाग ऊपर और ऊपर का भाग। नीचे करना । ग्रौंधा करना । लौटना । पलटना । फेरना। जैन--यह घड़ा उलटकर रख दो । २. श्रौंधा गिराना । ३ । पटकना । दे मारना । गिरा देना । फेंक देना । जैसे,—पहले पहलवान ने दूसरे को हाथ पकडते ही उलट दिया । ४, २-१४, किसी लटकती हुई वस्तु को समेटकर ऊपर चढाना । जैसे,—परदा उलटी दो। ५ इबर का उधर करना । अडबड करना । ग्रस्त व्यस्त करना । घनिमेल करना । जैसे,—तुमने तो हमारा | किया कराया सव उलट दिया। ६ बिपरीत करना । ग्रौर झोर का करना । जैसे,—(क) उसने तो इस पद का सारा अयं उलट दिया । (ख) कलक्टर ने तहसील के इतजाम को इलट दिया । संयो॰ क्रि०——देना । | ७ उत्तर प्रत्युत्तर करना । वात दोहराना । जैसे,—(क) बडो की बात मत उलटा करो। उ०—-श्रावत गारी एक है उलटत होय अनेक । कहै कबीर नहि उल दिए वहीं एक की एक --कवीर (शब्द॰) । ८ खोदकर फेंकना। उखाड़ डानना । खोदना । खोदकर नीचे ऊपर करना । जैसे,--यहाँ की मिट्टी मी फावड़े ने उलट दो। उ०-- बनि देखाउ मूढ न तु ग्रानू । उलट महि नहुँ मगि तव राजू !-—तुलसी (शब्द॰) । संयो० क्रि०—देना । | ९ वीज मारे जाने पर फिर से वोने के लिये बैन को जोतना । १० बमुछ करना । वेहोश करना । जैसे,--ब्राँग ने उन्: दिया है, मुह से बोला नहीं जाता है । संयो॰ क्रि०—देना । ११ कै करना । वमन करना । जैसे,- बाया पीया सर्व उलट दिया । १२ उँडेलना। अच्छी तरह डालना। ऐसा ढालना कि बरतन खानी हो जाय । जैसे,—उमने सब दवा गिलास में उलट दी। सयो क्रि०-देना --लेना। १३ वरवाद करना । नष्ट करना । जैसे,—इकी के ब्याह के खर्च ने उन्हें उलट दिया। १४ रटना । जपना । बार वार कद्वना । जैसे,--१ रात दिन क्यों उमी का नाम उलटती रहती है। विशेप---माला फेरने या जपने को माला उलटना' नी बीनते है, इसी से यह मुहावरा वना है। उलटना पलटना-क्रि० स० [अवलुण्ठन परिलुण्ठन प्रा० उल्लङ पलट्ठ] १ इधर उधर फेरना। नीचे ऊपर करना। जैसे,(क) व अत्तवाच उलट पलट कर देखो, घड़ी मिल जायगी । ३०--उलटा पलटा न उपजे ज्यों खेतन में बीज ।—कबीर (शब्द०)। २ अडबड करना। अस्त व्यस्त करना । २ मौर का अौर करना । वदल डालना । जैसे,—नए राजा ने सब प्रबघ ही उलट पलट दिया। उलटना पलटना कि० अ० इधर उधर पलटा खाना । घूमना फिरना । उ०—(क) आप अपुनपो भेद बिनु उलट पलटि अरुसाइ, गुरु विनु मिटई न दुगडुगी ग्रनबनियत ने नसाइ ।-- कवीर (शब्द॰) । (ख) उलटि पलटि कपि लका जारी - (शब्द॰) । उलट पलट'----सज्ञा पुं० [हिं० उलट +पुलट1 १ हेर फे' | अदल बदल । फेर फार । परिवर्तन ! २ अव्यवस्या | गडवडो।