पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१२४

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लंथों उलॉकपॅ9 उलथा-सया पुं० [हिं० उलटना] १ एक प्रकार का नृत्य । नाचने उलमाय - सज्ञा पुं० [अ० उलम] दे॰ 'उलमा' । उ०—उलमय के समय ताल के अनुसार उछलना । फकीरान की तकरीर में देखो -कवीर म ०, पृ० ५६७ 1 क्रि० प्र०—मारना । उलरना क्रि० अ० [सं० उद्+लर्व= डोलना या उल्ललन, २ कलाबाजी । कलैया। ३ गिरह मारकर कलाबाजी के प्रा० उल्लर ऊपर को चलना] १ कदना । उछलना । ४०साय पानी में कूदना ! उलटा । उद्ध। विनहि लहे फल फल भूल सो उलरत इलसन । मनहूँ पाई रवि क्रि० प्र०- मारना 1-लेना । रतन तारिहैं सो निज कुल सुत (शब्द॰) । २ नीचे ऊपर ४ एक स्थान पर वैठे वेढे इधर उधर अग फेरना ] करवट बदलन। होना । ३ झपटना । उ०—कह गिरिवर कविराय वाज पर क्रि० प्र०--मारना ।—लेना। जैसे,—-मैस पानी में पड़ी पड़ी लरे घुघुकी। समय समय की बात वाज़ कहें घिरव फुदकी । •- गिरिधर (ब्द॰) । उलया मारा करती है । ३८ 'लल्था'। । उलरनाtषु३.--किं० अ० [प्रा० सोल्लरण] पड़ जाना । सो जाना । उलथाना- क्रि० अ० [हिं० उलथना] दे॰ 'उलयना' । उ०— उ०---इक दिन पाँव पसारि उलरना, मुझ देखि निश्च करि मरना ।--सुदर ग्र ०, भा० १, पृ० ३३४ । लहरें उठी समुद उलयना । धूला पथ सरग नियराना |-- जायसी (शब्द॰) । उलअलि-संज्ञा पुं० [हिं० उलरता] वैलगाडी के पीछे लटकती हुई उलदf--सच्चा स्त्री॰ [सं० अव + द्रव (ण) अथवा हि उलटना] एक लकड़ी जिससे गाडी उलार नहीं होती अर्यात पीछे की मोर नही दवती । प्रस्रवण । झड़ी । वर्पण । उ०--देख्यो गुजरेठी ऐसे प्रात ही गली में जात स्वेद भयो गात भात घन की उलद से । घन की उलट उजलना उनलनाडु सी —सहा क्रि० अ० [हिं० उडलना] १ हैरकना । ढलना । -रघुराज (शब्द॰) । २ उलटना। पलटना । इधर उधर होना । उलदना -- क्रि० स० [सं० अवव्रवण अथवा हि० उलटना] १ उलवा -सा पुं० [सं० उलूक, हि० उल्लू] • ‘बल्लू' उ०उहेलना । उझिलना । ढालना । गिराना । बरसाना । उ०— उला मारै काग की काकु सु हुने उलूक । सुदर वैरी परस्पर (क) गाज्यो कपि गाज ज्यो विराज्यों ज्वाले जाल जुत, भाजे सज्जन हुसे कहू क --सुदर अ०, मा० २ पृ० ७६ । धीर वीर अबु लाइ उठ्यो रावनो । घाव घावो घरो सुनि धाए उलवी सच्चा स्त्री० [सं० उद+वी] एक प्रकार की मछली जिसके पूरे जातुधान घारि, वारि घाउलदै जलद ज्यो न सावनो।--नुलसी वा पांख का व्यापार होता है। इसके पर से एक प्रकार की (शब्द०) । (ख) उलदत मद, अनुमद ज्यो जलधि जल, व ल हद सरैस निकलती है। भीम कद काहू के न शाह के ।—“भूपण (शब्द०) । (ग) ले उलसना--क्रि० अ० [सं० उल्लसन] शोभित होना । सोहना । तुवी सरजु जल नी । उलदत मुहरै सब कोइ जानी। उ०-छवि उलसी तुलसी की माल । वनि रही पदरजंत रघुराज (शब्द०) । विशाल ।-नद० ग्र २, पृ॰ २६७ । । उल्दना --क्रि० स० [प्रा० उल्लदिय = लादा हुआ। यो प्राकात] उलहना+0-क्रि० प्र० [सं० उल्लसन] १ उडना । निकलना। लदिनी । ऊपर लादना । उ०--मन ही में लादै उलदै अनत न प्रस्फुटित होना । उ॰—(क) दोप वसत को दीजे कहा जाय। मनहि की पैदा मनहिं मे खाय ।-पलटू०, 'मा० ३, उलही न करील को डारन पाती--पद्माकर (शब्द०)। पृ० ५४।। (ख) उलटे महि अकुर मजु हरे। वगरी तहँ इद्रवधू गन ये ।। उलप-सज्ञा पुं० [सं०] १ कोमल घास का एक प्रकार या भेद । २ विस्तीर्ण लता [को०] । (शब्द०)। २ उमडना । हुल सुना। झू ना 1 उa--(क) उलपराजि, उलपराजिका--सच्चा डी० [सं०] घास की ढेरी [को०] । केलि भवन नव वेलि सी दुलही उलही कर, वैठि रहीं चुप उलपराजी-सच्चा स्त्री० [सं०] दे॰ 'उलपराजि' [को०] । चद लवि तुमहि बुलावत कत, उ०- पाकर (शब्द०)। (ख) उलपा--सच्चा लौ० [सं०] दे॰ 'उलप' [को०] । काजर 'मौनी कामनिधि दीठ तिरीछी पाय भयो । मजरिन तिलक तरु मन रोम उलहाय --हरिश्च (शब्द॰) । उलपी--सा पुं० [स० उलपिन] निशुमार । सूस कि०] । उलहना -क्रि० स० [सं० उपलम्भ, प्रा० अवालभ, उवालेभ] ६० उलप्य’---वि० [सं०] वि० स्त्री० उलुप्या उलप घास सवधा या उलप 'उलाहना' । घास में रहनेवाला [को०] । उलप्य–सञ्चा मुं० [सं०] रुद्र [को॰] । उलहाना-- सच्चा पुं० [स० उल्लसन] उल्लासित करना । वढाना । उलफत–सच्चा औ० [अ० उल्फत] प्रेम । मुहब्बत । प्यार। प्रीति । । उ०--मनो कुलहा रघुवस को चार दुरयो जिय उहलता उल हाव ।--उत्तर०, पृ० १८ । उलमना --क्रि० अ० [म० अवलम्वन न० प० प्रा० श्रोलम्बन = उलहाना –क्रि० प्र० उल्लसित होना । उमडना । बढना ! उ० लटकन] लटकना । झकना । उ॰—अंगुरिन उचि भरु 'मीत दै दुष्ट सुभवि वियोग खिस्याने सग्रह कियो सहाई । सुखी लकी उलमि चितै चख लोल । रुचि सौ दुद्” दुहन के चूमे चारु वायु पाई के चलौ अनि उल हाई ।-भारतें ग्र॰, भा॰ २ कपोल ]-विहारी (शब्द॰) । पृ० ५४२।। उलमा-सया पुं० [अ० प्रालिम का वठ्ठ० ३०] ग्रालिम लोग । उलॉक-:.-मज्ञा पुं० [हिं० लाँघन। म विद्वज्जन । उ०-मजहब के मामले में उलमा के सिवा और चिट्ठी पत्री आने जाने का प्रबंध। डाक । २ पटेला नावे । किसी को दखल देने का मजाज नहीं है।-काया०, पृ० ४७ । उलांकपत्र--सा पु० [हिं० जलाक+स० पत्र]पोस्टकार्ड या चिट्ठी ।