पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१२७

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उल्लिगित सत्व उल्व--सुधा पुं० [सं०] १. वह झिल्ली, जिसमे गर्भस्थ शिशु लिपटा रहता है। २ गभशिय । ३ गुफा । कदरा को] } उल्वण'---सज्ञा पुं० [सं०] नृत्य के समय की हायो की एक मुद्रा । २ गर्भाशय । अदल किये। उवण-वि० १. प्रचुर । पुष्कल । अत्यधिक । २. दृढ़ । शक्तिमान । बलिष्ठ क्वेि) । उल्वण.-क्रि० वि० जोरों से। प्रवल रूप में [को०)। उल्ट्य-पु० सज्ञा [सं०] १ त्रिदोय। वात, पित और कफ में किसी एक का अधिक्य या दोष । २. विपत्ति (को०] । उल्व्य-वि• गर्भाशय में रहनेवाला [को०] । उल्मक-सज्ञा पुं० [सं०] १. अंगार । अंगार। २ लुग्राठ । उल्का । ३ एक यादव का नाम । ४ महाभारत में आया हुआ एक महारथी राजा । उल्लघन--सज्ञा पुं॰ [स० उल्लङ्घन] १. लांघना । डॉकना । अति क्रमण । २ विरुद्ध आचरण । न मानना । पालन न करना । जैसे,- वडो की अाज्ञा का उल्लघन न करना चाहिए। उल्लघन--क्रि०स० [स० उल्लङ्घन] दे० 'उलंघना' । उल्लघित-वि० [सं० उल्लङ्घत] १. लाँधा हुअा। तोड़ा हुआ) २ अतिक्रमण किया हुआ कि०) । उल्लफन--संज्ञा पुं० [स० उल्लम्फन] कूदना । कुदान (को०] । उल्लवित-वि० [सं० उल्लम्बित] खड़ा हुआ। उठा हुआ किो०] । उल्लक--संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार की मदिरा [को०)। उल्लक सन-सज्ञा पु०स०]रोमाच होना । रोएँ खडे हो जान। [को०)। उल्लल-वि० [सं०] १ हिलता हुआ । कपिता हुआ । अस्थिर । २. | रोएँदार । ३ अनेक रोगों से पीडित या ग्रस्त (को०) । उल्ललित--वि० [सं० उत् + ललित] १ कपित । क्षुब्ध किया हु।। २ खडा किया हुया । उठाया हुको॰] । उल्लस-वि० [स० उत् + लस] १ दमकता हुअा। चमकीला । २ प्रसन्न । हेषित । वहिर होता हुआ । प्रकट होता हूँप्रा (०) । उल्लसन-संज्ञा पु० [सं०][वि॰ उल्लसित, उल्लासी]१ हर्ष करना। खुशी करना । २ रोमाच । उल्लसित--वि० [सं०] १ प्रसन्न । हपित । २ चमकता हुपा । ३. बाहर निकाला हुया (खग) । ४ हिलता हुमा । अादोलित । कपित (को॰] । उल्लाघ---वि० [सं०]१ रोग से छुटकारा पात हुआ। २ चतुर । कुशाग्रबुद्ध । कौशली । ३ पवित्र । ४. प्रसन्न । हर्पयुक्त। ५ दुप्ट । ६ काला को॰] । उल्लाघ--सुज्ञा पुं॰ काली मिर्च (को०] । उल्लाघता--संज्ञा स्त्री॰ [सं०] स्वस्थता । स्वास्थ्य (को॰] । उल्लाप--सज्ञा पुं० [म.] १ काकूक्ति । २. अतिंनाद । कराहना । विललाना। ३. दुष्टवाक्य । ४ सके । इशारा (को॰) । ५ आवेग में स्वर का परिवर्तन (को०)। उल्लापक--वि० [स०][दिः ० उल्लापिका]खुशामदी । ठकुरसुहानी करनेवाला । उल्लापन--संज्ञा पुं० [स०][वि० उल्लापफ]खुशामद । ठकुरसुहाती । उपचार । तोपामोद ।। उल्लापिक-- संज्ञा पुं० [सं०] ऊपरी स्तर ] ऊपर की तह (को॰] । उल्लापिक--वि० १ खुशामद करनेवाला । २. बतानेवाला । प्रकट | करनेवाला को उल्लापी--वि०स० उल्लादिन]उल्लाप करनेवाला । खुशामदी [को । उल्लाप्य -संज्ञा पुं० [सं०] १ उपख्यक का एक भेद । यह एक अंक का होती है । २ सात प्रकार के गीतो में एक । जब सामान में मन न लगे तत्र इसके पाठ का विधान है (मिताक्षरा) । उल्लाल-मज्ञा पुं० [सं०] एक मात्रिक अर्धसम छद जिसके पहले और तीसरे चरण मे १५ मात्राएँ और दूसरे और चौथे चरण में १३ मात्राएँ होती हैं। जैसे --यह कवित कहा विन रुचिर मति । मति सो कहा विनही विरति । कह विरतिर लाल गोपाल के । चरननि होय जु प्रीति अति (शब्द०)। उल्लाला--सज्ञा पु० सं० उल्लाल] एक मात्रिक छदै जिसके प्रत्येक चरण में १३ मात्राएँ होती हैं। इसे चद्रमणि भी कहते हैं । जैसे,-- सेवहु हरि सरसिज चरण, गुणगण गावहु प्रेमकर। पावडू मन में भक्ति को, और न इच्छा जानि यह (शब्द॰) । उल्लास--संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ उल्लासक, उल्लासित] १ प्रकाश । चमक । झलक 1 २ हर्ष ! मुम्बु । अनिद। ३ ग्रंथ का एक भागे । पर्व । ४ एक अलकार जिसमें एक के गुण या दोप से दूसरे में गुण या दोप दिख ३।या जाता है इसके चार भेद हैं--(क) गुण से गुण होना । जैसे--न्हा संत प बन करें, गग धरै यह अाश (शब्द॰) । (ख) दोष से दोप होना । जैसे,---जरत निरखि पररपर घसन सो, बस अनल उपजाय । जरत अाप सकुटुव अन, वन हू देत जराय, शब्द०)। (ग) गुण से दोय होना। जैसे-करन ताल मदवश करी, उडवत अलि अबलीन । ते अलि विचरहि सुमनवन, है करि शोभाहीन (शब्द०) । (घ) दोप से गुण होना। जैसे,—मूघ चुप अरु चाट झट, फेवयों वानर रत्न । चंचलता वश जिन बरयो जेहि फोरन को यत्न (शब्द॰) । विशेप-कोई कोई (क) और (ख) को हेतु अ नकार या सम अलकार और (ग) और (घ) को विचित्र या विषम अलंकार मानते हैं ---उनके मत से यह अलकारातर है । उल्लासक--वि० [सं०] [वि० सी० उल्लास का] गनद करनेवाला । | मानदी । मोजी । उल्लासना५-f० सं० [सं० उल्लासन] १ प्रकाशन करना । प्रकट करना। २. प्रसन्न करना । उ०—(क) प्रवर तेज तिहि जगत जीव रक्षा उल्लासिय मतिराम ग्र ५, पृ० ४१३ । (ब) चंद्र उदय सागर उल्लासा। हाfह सकल म कैर विनासा -शेफरे दिग्विजय (शब्द॰) । उल्लासित-वि० [सं०] १ बुश ! हर्षित । मुदित । प्रसन्न । २. उद्धते । २ स्फुरित । उल्लासी-वि० [सं०जल्लासिन्] [वि० ० उल्लासिनी] ग्रानदी । | सुवी। मौजी ।। उल्लिगित-वि० [स० उल्लिक्षित] प्रख्यात । मशहूर [ये ।