पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१६४

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एकाचे ६७६ ऐकविली एकाच्-वि० [सं०] एक स्वरवाली (शब्द) (को०] । ‘जन ने श्यामदुलारी चली गई, धामपुर में तहसीलदार का एकाच्छी -वि० [सं० एकाक्षर+हि० ई (प्रत्य०)]दे० 'एकाक्षरी । एकाधिपत्य या - तितली, पृ० १३६ ।। उ०—भापा करि एकान्छी समझी बुद्धि अगाधि ।-पोद्दार एकानन--वि० [न• क + ।नन = मुख] ए वाला । ३०--- अभि० प्र०, पृ० ५४३ ।। एक नन हुम, चतुरानन नु, अत कह उमा र बिशेप ।-- एकात्म - वि० [स० एकात्मन्] एक हृदय। एकप्राण । अभिन्न [को॰] । | कविता को ०, भा॰ २, पृ० १५२ । एकात्मता---संज्ञा स्त्री॰ [स०] १ एकता। अभेद । २ मिल मिलाकर एकान्विति--संज्ञा पु० [स०] एक मे यन्वित ८५ति युक्त होना । | एक होना । एकमय होना। ऐक्य । एकप ! उ०-- उनमें एTIFवति र नबंध की सच एकात्मवाद- संज्ञा पुं० [सं०] वह सिद्धीत जिसमे प्रात्मा और | पूछिए जगह ही नहीं रहती ।--प्राचार्य, पृ० १२८ ! परमात्मा के एकाकार की मान्यता हैं। जीव ब्रह्म के ऐयय का एकाव्दास "नी० [सं०] एक वर्ष २ टि (ले०) । सिद्धात । अद्वैतवाद (चे] । एकायन-वि० [सं०] १ एकाग्र । २ एकमात्र था एव के गहने एकादश-वि० [सं०] ग्यारह । योग्य । जिसको छोड़ अौर किमी पर चने ३६क न हो एकादश-संज्ञा पुं० ग्यारह की सुब्या का बोध करानेवाला अ -११ । | (मार्ग दि)। एकादशाह-संज्ञा पुं० [सं०] मरने के दिन से ग्यारहवाँ दिने । एकायन-मज्ञा पु० १ नतिशास्त्र । विचारों की एक (को॰) । विशेप---उस दिन हिंदू मृतक के लिये वृपोत्सर्ग करते हैं, महा ३ एकमात्र मार्ग (को०) । ४ एकात म्यान (को०)। ब्राह्मण खिनाते हैं तथा शय्यादान इत्यादि देते हैं। एकार';--क्रि० वि० [हिं० एकाकार] एक समान । एक मुद्दा । एकादशी----चज्ञा स्त्री॰ [स०] प्रत्येक चांद्र मास के शुक्न और कृष्ण पल एक ना । उ०--परदल पिण जीपि पदमणी परणे । अाद उनै हुअा एकार ।-वेनि०, ६०, १३८ । की ग्यारहवं तियि ।। एकार--सज्ञा पुं० [न०] 'ए अक्षर तथा उनकी ध्वनि को । विशेप-वैष्णव मत के अनुसार एकादशी के दिन अन्न खाना एकार्गल---सा पु० [सं०] 1जू वैध नामक योग । दोप है। इस दिन लोग अनाहार या फलाहार व्रत करते हैं। व्रत के लिये दशमी विद्धा एकादशी का निषेध है और द्वादशी एकार्णव--संज्ञा पुं० [सं०] जनप्लावन । जनप्रलय [को०] । विद्धा ही ग्राह्य है । वर्ष में चौबीस एकादशी होती हैं जिनके ९ एकार्थ---वि० [सं०] ममान अर्थ जाला । जिनके नाम अलग हैं, जैसे, भीमसेनी, प्रबोधिनी, हरिशयनी, एकार्यक-वि० [न०] समानार्थंक । उत्पन्ना इत्यादि । एकावलो'--सज्ञा बी० [सं०] १ एक अला। जिसमें पूर्व और हा०-- एकादशी मनाना = भूखे रहना । विना भोजन के रहना। पूर्व के प्रति उत्तरोत्तर वस्तु का विपण भाव से मापन उ०—इस महँगो से नित एकादशी मनाते, लड़के वाले सत्र ग्रयदा निषेध दिलाया जाय । | घर में हैं चिल्लाते |--कविता को०, भा॰ २, ३० ३७ ।। विशेप--इम के दो भेद हैं। पहला वह जिसमें पूर्व दित वस्तुणे के प्रति उत्तरोत्तर कापत वस्तु का विशेषण नाव पापन एकादसी- -- सज्ञा स्त्री० [स० एकादशी} दे० 'एकादशी' । उ० किया जाय । जैसे- सुबुद्धि सो जो हिन प्रादुनो नत्र, हिंनो (क) 'भो ऐसे करत वोहीत दिन बीते । तब एक एकादसी आई ।- दो सौ बावन०, भा॰ २, पृ० २७ । (ख) एकादमी वही है परदु व ना जहाँ । परी व अति साधु भाव जो गाल मह प्राव, द्वादसि काम व पोन समावै ।---चित्रा, जहाँ रहें केशव साधुता वही । यही सुवृद्धि के विशेषण ‘हित अपनो लयं और 'हिन' का 'पदुवै ना जहाँ रवा वा पृ० २१६ ।। है। दुमरा वह जिसके पुर्वकथित बस्तु के प्रति उत्तरोत्तर एकाघ- वि० [हिं० एक+धावा कुछ। स्वल्प। वोड़ा । इक्का दुक्का । उ०—(क) 'उत्तर में सिसकियो के साथ एकावे कथित वस्तु का विशेपण नाव से निषेध किया जाय । जैन-- हिचकी ही सुनाई पड़ जाती थ' ।—ाँधी, पृ० ३८ । (ख) शोभित वो न सना जहें वृद्ध न, वृद्ध न ते ३ पढ़े कुछ ‘यार यह तो होता रहेगा, एकाघ तान तो उडे' ।प्रताप नाही । ते न पढे जिन साधु न साधत, दहि दया न दिवं जिन ग्र० पृ० ६। माही। नो न देथा जुन घर्म न सो जहं दान बृया हो । दान न एकाधिक-- वि० [सं०] एक से अधिक । अनेक [को०] । सो जहँ साँच न केशव, माँ च न मो, जु बसे छल दाहीं । एकाविकार---सज्ञा पुं॰ [सं०] एक व्यक्ति या दल का अधिकार । २ एक छद । दे० 'पाजवाटिका ।' ३ मोतियों को एक हाथ एक का प्रभुत्व । उ०—एकाधिकार रखते भी धन पर, लवी माना। एक तार की माना जिसमे मोतियों की सन्या अविचल चित्त । अपरा, पृ० ६३ । नियत न हो। उ०—'अभय कुमार ने एक क्षण में अपने गले से मुक्ता की एकावली निकालकर प्रजन में ले ली ।' एकाधिप-मज्ञा पुं० [सं०] संपूर्ण देश का एकमात्र शामक । एक मात्र इद्र०, पृ० १३४ । स्वामी (को०) ।। विशेप-कौटिल्य के अनुसार यदि इस माला के बीच में मणि एकाधिपति--सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'एकाधिप' [को०] । १ [ २]। होती थी तो इसकी ‘यप्टी' संज्ञा थी । एकाधिपत्य-सज्ञा पुं० [सं०]एकमात्र अधिकार । पूर्ण प्रभुत्व 1 उ०-- एकावली--वि० एक लर का । एकहुरा ।