पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१६५

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६७९ काष्टकं एकाप्टक--सुज्ञा स्त्री० [१०] माध का अग्विाँ दिन (को०] ! ऐकोंटेंट-सज्ञा पुं० [अ० अकाउन्टेन्ट ? 'अकाउटेंट'। उ०.एकप्ठी–सुज्ञा पु० [स०] १ वक वृक्ष। २ मदार । ३ एक बीज किसी एकौंटेंट की जगह खाली है, अाप सिफारिश कर दें | का विनौला (को०] । तो शायद वह जगह मुझे मिल जाय ---काया, प २६८।। पयो—एकाठन ! एकाढला । एकोझा -वि० [स० एक] अकेला । एकाकी। उ०--जो एकाह–वि० [स] एक दिन में पूरा होनेवा । जैसे---- ‘एकाई देवपाल रा3 रन गोजा । मोहि तोहि जूझ एकौझा राजा ।पाठ ! एका यज्ञ' ! जायसी (शब्द॰) । एकाहिक---वि० [सं०] एक दिन का । एक दिन में पूरी होनेवाल' । । " । एकौना-- क्रि० अ० [हिं० एक+पा धान या गेहू में उसे पत्त | का निकलना जिसके गाम में वाल हो । धान आदि का फूटने एकीकरण- संज्ञा पुं० [सं०] एक करना । मिलाकर एक कर ना । पर आना । मरेभाना। | गइडवेड्ड करना । एकीकृत--वि० [सं०] एक किया हुया 1 मिनाया हुआ । एकौस। ---वि० [सं० एक + प्रवास, प्रा० श्रीवास, अप० मोसास] एकीभवन, एकोभाव—संज्ञा पुं॰ [स०] १. मिलना । मिलाव । एक १ अकेला! एक'को । २ एक ही वासवाना । एक ही के प्रति | होना , २ एकत्र होना 1 इकट्ठा होना । रागवाला । उ०-चलौ न दलाइ ले अागे ते एकसे होहु. एकीभूत-वि० [सं०] १ मिला हुआ । मिश्रित । जो मिलाकर एक ताही के सिधारी जाकै निसि वमि ए हौ ।–गंग०, हो गया हो । २ जो इकट्ठा हुँग्रा हो। पृ० ५७ । एकेंद्रिय–सुज्ञा पुं० [छ ० एकेन्द्रिय ] १ साक्ष्य प्रास्त्र के अनुसार एक्का-वि० [सं० एकक] १ एकवाला । एक से सबंध रखनेवाला। उचित और अनुचित दोनों प्रकार के विपयो से इद्रियों को। २ अकेला ।। हटाकर उन्हें अपने मन में तीन करना । २. जैन मतानुसार यौ०- एक्का दुवका = अकेला ! दुकेला । वह जीव जिसके केबल एक ही इद्रिय अर्थत् त्वचा मात्र होती एक्का--सज्ञा पु० १ वह पशु या पक्षी जो झुड छोड़कर अकेला चरता है, जैम जोक, केबुअा अादि ।। या घूमता हो । एकेश्वरवाद---सज्ञा पु० [सं०]जगत् की उत्पत्ति और नियमन करने विशेष—इसका व्यवहार उन पशुग्रो यः पक्षियों के सवध में वाला ईश्वर एक ही है, वह सिद्धति या मन । ३०-'यह अाता है जो स्वभाव से झुड वाँधकर रहते हैं। जैसे, एक्का मामान्य भक्ति मार्ग एकेश्वरवाद का एक अनिश्चित स्वम्प सुअर, एका मुर्ग । लेकर खड़ा हु’ !---इतिहास, पृ० ६६ । एकेश्वरवादी-वि० [मृ० एकेश्वरवादिन] एकेश्वरवाद को मानने २ एक प्रकार की दोपहिया गाडी जिसमें एक बैल या घोडा वाला 1 संसार का सर्जन, स्थिति, संहार करनेवाली शक्ति जोता जाता है । ३ वह सिपाही जो अकेले बड़े बड़े काम कर ईश्वर' एक ही है, इस विचार या मत को माननेवाला। सकता है और जो किसी कठिन समय में भेजा जाता है। उ०—'हमारा धर्म मुख्यत एके श्वरवादी है—वह ज्ञानप्रधान ४ फौज में वह सिपाही जो प्रतिदिन अपने कमान है |--ककलि, पृ० १०५ ।। अफमर के पास नमन (फौज) के लोगों की रिपोर्ट करे। एकोतर--वि० [सं० एकोत्तर)दे० 'एकोत्तर' । उ०--पान एकतर ५ वडा भारी मुगदर जिसे पहलवान दोनो हाथो से उठाते हैं। लैहे जाई । असख्य जन्म का कर्म नशाई -कवीर ६ बाँह पर पहनने का एक गहना जिसमें एक ही नग होता ला०, पृ० ५५२ । है। ७ वह वैठकी या शमादान जिममे एक ही बत्ती जलाई एकोतरस -वि० [स० एकोत्तरशत, अप० एकोत्तरसय] एक सौ जाती है । इक्का। ८ ताग या गंजीफे का वह पत्ता जिसमे एक। उ०-उनकर सुमिरण जो तुम करिहौं । ए कोतरस एक ही वुटी या चिह्न हो । एक । पुरुपा ले तरिही।—कदीर सा०, पृ० ४०० । एवकावान--संज्ञा पु० [हिं० एक्का+वान (प्रत्य॰)] [सज्ञा एक्काएकतरा-सज्ञा पुं० [स० एकोत्तर] एक रुपया सैकड़ा व्याज । वानी] । एक्का हाँकनेवाला । वह पुरुप जो एक्का चलाता हो। एकोतरा--वि० एक दिन अतर देनेवाला । जैसे---‘एकोतरा ज्वर'। . एक्कावानी--संज्ञा स्त्री० [हिं० एक्कावान+ई (प्रत्य॰)] १ एक्का एकोत्तर--वि० [सं०] एक से अधिक कि० । । होकने का काम । २ एका हांकने को मजदुरी । एकोदक-सज्ञा पुं॰ [स०] वह नवधी जो एक ही पितर को जल , | देता हो [को०] । एक्की--संज्ञा स्त्री० [हिं० एक्का+ई (प्रत्य॰)] १ वह वैलगाडी जिसमे एक ही वैल जोता जाय । २ ताश या गजीफे का वह एकोद्दिष्ट (याद)-मज्ञा पुं० [सं०] पह् श्राद्ध जो एक के उद्देश्य से पत्ता जिसमें एक ही बूटी हो । किया जाय। यह प्राय वर्ष में एक बार किया जाता है । एकोह--मवं० [स० एकोहम्] मैं एक हैं। मैं अकेला हूँ। उ०—गा विशेप--यह पत्ता प्रायः सवसे प्रवल माना जाता है और अपने एकोह वहुस्याम ! हर लिए भेद, भव भीति मार।-- रग के सब पत्तो को मार सकता है। युगात, पृ० ५६ । एक्जिविशन--सज्ञी भी० [अं० एग्जीविज्ञान] प्रदर्शनी। नुमाइश ।' यो०- एकोह बहुस्यामि। एक्ट-सज्ञा पुं० [अ० ऐक्ट] नियम । कानून : उ०--‘दुष्ट रेलवे