पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१६६

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एक्टिंग एंज एक्ट हृदय में भरा था। इससे रक्त का घूट भीतर ही भीतर कहै दरिया सतगुर पिना जम हाय पिऊना रे ।–० दरिया पिया किए ।—प्रताप० ग्र०, पृ० ६७ । पृ० १६७ । (ख) 'जितने ही एने मिने अच्छा ही है।एक्टिग---सज्ञा स्त्री० [अ०] अभिनय । नकल करना। प्रेमघन, भा० २, पृ० १३८ । एक्यानबे'-वि० [स० एफनयति, प्र० एक्काणउइ] नव्वे एग्जामिनेशन - सज्ञा पुं० [अ०] परीक्षा । इम्तिहान । और एक । एग्ज़िविट - संज्ञा पुं० [अ०] १ प्रदर्शनी ग्रादि में दिखाई जानेवाली ऐक्यानबे..संज्ञा पुं॰ नव्वे शोर एक की मयुक्त मय का जोध कराने वस्तु । २ वह जो अदालत में किसी मामले में प्रमाणवाला अके, जो इस प्रकार लिया जाता है—६१ ।। स्वरूप दिखाई जाय । अदालत में किसी मामले के शपध में एक्यावन'–वि० [ स० एकपञ्चास, प्रा० एक्कावन्न ] पचास प्रमाणस्वरूप उपस्थित की जानेवाली वस्तु । जैसे-'०' ३० और एक । एग्जिबिट एक तेज छुरा था। एक्यविन-संज्ञा पुं० पच्चास और एक की संख्या का बोधक अंक जो एग्जिबिशन--सज्ञा पुं० [सं०] प्रदर्शनी । नुमायज्ञ । जैसे—'एयर | इस प्रकार लिखा जाता है-५१ । एग्जिबिशन'। एक्यासी-वि० [स० एकाति, प्र० एक्कासीइ] अस्सी ग्रौर एक । एजाज-सज्ञा पुं० [अ० ऐजाज चमत्कार । प्रद्मुन कायं । करिश्मा । एक्यासी–सज्ञा पुं० एक और अस्मी की सया का योधक अक जो एजुकेशन-मज्ञा पुं॰ [अ॰] शिक्षा । तालीम। | इस प्रकार लिखा जाता है-८१ ।। यो०-~-एजुकेशन डिपार्टमेंट = शिष्टावि भाग 1 एक्सचेज-सज्ञा पुं० [अ० इक्सचेंज] १ बदला । परिवर्तन । २ एजुकेशनल-वि० [अ०] शिक्षासवव । | वह स्थान जहाँ नगर के व्यापारी मौर महाजन परस्पर लेनदेन एजट--संज्ञा पुं० [अ०] १ वह अदमी जो किसी की अोर से उसका या क्रय विक्रय के लिये इकट्ठे होते हैं । कोई काम करता हो । मुवतार । २ वह अटमी जो किसी एक्सपर्ट —सज्ञा पुं० [अ०] वह जिसे वि स विपर्य का विशेष ज्ञान कोठी, कारखाने या व्यापारी को प्रोर से माल बेचने या हो । किसी विषय में पारगत 1 विशेषज्ञ । खरीदने के लिये नियुक्त हो। ३ वह राज पुरुप पा अफसर जो एक्सपोज-सज्ञा पुं० [अ० एक्सपोज] १ किसी वस्तु को इमलिये (अँगरेज) सरकार (या बड़े नाट) के प्रतिनिधि के रूप में दूसरी वस्तु के सामने या निकट रखना जिसमे उमपर उस दूसरी किसी (दशी) राज्य में रहता हो । ४ दे० एजेंट गवर्नर जनरने । वस्तु का प्रभाव पड़े । २ फोटोग्राफी में प्लेट को कैमरे में लगाकर अक्स लेने के लिये नैस का मुंह खोलना । एजंट गवर्नरजनरल--सा पुं० [अ०] भारत में अमें जी शासन एक्सपोर्ट-सज्ञा पुं० [अ०] दे॰ 'निर्यात' । जैसे---- एक्सपोर्ट ड्यूटी । काल का वह राजपुग या अफसर जो वडे ताट के एजेंट या एक्सप्रेशन- सज्ञा स्त्री० [अ०] भाव नगिमा । अभिव्यक्ति । उ०— प्रतिनिधि रूप से कई देशी राज्यों को राजनीतिक दृष्टि से उनके चेहरे का एक्सप्रेशन देखते नहीं, एक भरपेट भोजन देखभाल करता था। प्राप्त गॅवार की तरह हँस रहे हैं ।-सन्यासी, पृ० १८७ । । एज एजेंडा–सच्चा पुं० [अ० ] किसी से भी का कार्यक्रम । एजेसी-सक्षा स्त्री० [अ०] १ अढत । वह स्थान जहाँ किसी कार एक्सप्लोसिव--संज्ञा पुं०[अ० ]म मक उठनेवाला पदार्य । विस्फोटक खान या कपनी का माल एजेंट के द्वारा विकता हो । २ । पदार्थ । गधक बाल्द अादि । जैसे---एक्सप्लोसिव ऐक्ट । वह स्थान जहाँ एजेंट या गुमाश्ते किसी कपनी या कारखाने एक्सरे-सज्ञा पुं० [अ०] एक विद्य किरण जिसकी सहायता से के लिये माल पोदते हो। ३ वह स्थान जही प्रशासक या शरीर के भीतरी भागो का चित्र लिया जाता है। उ०-~ सरकार या गवर्नर जनरल (बडे लाट) या स्वामी का एजेंट एक्स रे की तरह उसके शरीर के बाह्यावरण को भेदकर या प्रतिनिधि रहता था या जहां उसका कार्यालय है । ४ वह उसके मर्म का अणू अणु देय लेगी --सन्पामी, पृ० ३७५ । प्रात जो राजनीतिक दृष्टि से एजेंट के अधिकारयुक्त था। एक्साइज-सज्ञा पुं० [अ० एक्साइज़ ]वह टैक्स या कर जो नमक और जं से-राजपूताना एजेंसी, मध्य भारत एजेंसी । अविकारी की चीजों पर लगता है । नमक और अापकारी की विशेप--अँग्रेजी के शासनकाल में हिंदुस्तान में पांच रेजिडेचीजों पर लगनेवाला टैक्स या कर। महसूल । चुगी । सियाँ (हैदराबाद, मैसूर, बड़ौदा, काश्मीर और सिरुम में) यौ०- एपमाइज डिपार्टमेंट = अविकारी । विभाग । एक्साइज और चार एजेंसियों (राजपूताना, मध्य भारत, विलोचिस्तान ईप टी = मादक द्रव्यो आदि पर लगनेवाना कर ।। तथा पश्चिमोत्तर सीमाप्रात मे) यी । एक एक एजेंटी के एखनी—सज्ञा स्त्री॰ [फा० यखनी] मास का रमा । मास का शोरया । अतर्गत कई राज्य थे। इन एजेंसियों में सेव मिलाकर कोई | यौ०एसनी पुलाव = बह पुलाव जिममें एम्बुनी डालते हैं। १७५ राज्य या रियासतें थी । प्रत्यक एजेंसी में गवर्नर एगानगी--संज्ञा स्त्री॰ [फा० संगीनगी] १ एका । मेल । २ मित्रता जनरल या बडे लाट का एजेंट या प्रतिनिधि रहता था । इन | मैत्री । हेलमेल । एजेंटो के सहायतार्थ रियासतों में पोलिटिकन अफसर रहते एगाना--वि० [फा० यगान ]जो बेगाना न हो । अपना । अात्मीय । थे। जिस स्थान पर ये लोग रहते वहाँ प्राय अँगरेज सरकार उ०—(क) मातु पिता सुत वाधवा सेम कहत एगाना रे । की छावनी होती थी और कुछ फौज़ रहती थी।