पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१६७

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एटम ६८१ एत एटम–सच्चा पुं० [अ०] अणु । होना। एड़ देना या लगाना=(१) लात मारना । (२) यो०-एटमवर्म= अणवम् । एक महाविध्वसक अायुघ । द्वितीय घोडे को आगे बढ़ाने के लिये एड से मारना । (घोडे को) महायुद्ध के आखिरी वर्ष अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और अगै वढाना । (३) उमाडना । उसकाना। उत्त जित करना ।। | नागासाकी शहरों पर इसका पहले पहल प्रयोग किया था। (४) अडंगा लगाना। चलते हुए काम में वांधा डालना । एटर्नी- सच्चा पु० [अ॰] दे॰ 'अटरन' । एड़के-- सज्ञा पुं० [स० एडक] [चौ० एडका] भेडा । मेढा । एड'–वि० [सं०] बहरा [को॰] । एडो–सद्या स्त्री० [म० एडूक = हड्डी या हड्डी की तरह कडा, हिं० एड एड–सुच्चा पु० [सं०] एक प्रकार का मैप (को०] । टखनी के पीछे पैर की गद्दी का निकला हुआ भाग । एड-सज्ञा पु० [अ०] सहायता । मदद । एड़। उ०—-बार वार एडी अलगाय के उचकि लफी, । एडक- सज्ञा पुं० [सं०][स्त्री० एडका]१. मैप। भेडा। २. जगली बकरा । गई लचि बहुरि पयोधर विदेह सो ।-कविता कौ०, एडगज-सच्चा पु० [सं०] चकनँ । चक्रमर्द । भा० २, पृ० ६६ । एडवास–वि० [अ० ऐडबास] अग्रिम । उ०—मैंने तत्काल एडवास . महा०- एडी घिसना या रगडना = (१) एडी को मल मलकर भाड़ा चकाकर रसीद लेकर उसे ठीक कर लिया ।- सन्यासी, धोना । उ०—मुह धोवति एडो घमति, सdि अनेगवति तीर । पृ० १३४ ! बिहारी र०, दो० ६६७ । (२) रीघना । वहुत दिनों से क्लेश एडवोकेट–सद्धा पुं० [अ० ऐडवोकेट ] वह वकील जो साधारण या दुख में पड़ा रहना । कष्ट उठाना । जैसे---'वे महीनो से वकीलों में पद मे वडा हो और जो पुलिस कोर्ट से लेकर चारपाई पर पड़े एडियाँ घिस रहे हैं । (३) खून दौडधू। हाईकोर्ट तक में बहस कर सके । वकील । करना। अगतोड परिश्रम करना । अत्यत यत्न करना । एडवोकेट जनरल--संज्ञा पुं० [अ० ऐडवोकेट जनरल सरकार का जैसे—'व्ययं एडियाँ धिस रहे हो कुछ होने जाने का नही । प्रधान कानूनी परामर्शदाता और उसकी अोर से मामलों की एडी चोटी पर से वारना=(१) सिर और पाँव पर से न्योछावर पैरवी करनेवाला । महाधिवक्ता ! करना। तुच्छ समझना । नाचीज समझना । कुछ कदर न विशेष—भारत में बंगाल, मद्रास और बंबई में एडवोकेट जनरल न करना । (स्त्रियाँ०) • जैसे--ऐसो को तो मैं एड़ी चोटी पर होते थे । इन तीनो में बगाल के एडवोकेट जनरल को पद बडा वार हैं। उ--एड़ी चोटो पे 5ए देव को कुरान करू |-- था। वगाल सरकार के सिवा भारत सरकार भी (कौंसिल ईरस मा (शब्द॰) । एडीदेख = चश्मददूर । तेरी अखि के बाहर) कानूनी मामलों में इनसे सलाह लेती थी। जजो की । मे राई लोन । जब कोई ऐसी बात कहता है जिससे बच्चे को ‘भाँति इन्हे भी सम्राट नियुक्त करते थे । नजर या भूत प्रेत लगने का डर होता है तब स्त्रियाँ यह वाक्य एडिटर-सा पुं० [अ०] संपादक। किसी समाचारपत्र, पत्रिका बोलती हैं)। एड़ी से चोटी तक = सिर से पैर तक । एडी या पुस्तक को ठीक करके उसे प्रकाशित करने योग्य बनानेवाला। चोटी का पसीना एक होना या करना =अति परिश्रम करना। उ०—(क) चूरन खावें एडिटर जात, जिनके पेट पर्च नहि श्रम पहना। वात-भारतेद , भा० १, पृ० ६६३। (ख) 'खास एडोटर--सज्ञा पुं० [अ० दे० एडीटर' । ३० -'इस अखबार के अपने शहर की खधर, और वह भी एडिटर हो के, झूठी छापे । एडीटर को पहले लाला मदनमोहन से अच्छा फायदा हो चुका --प्रताप० ग्र०, पृ० १७९ ।। | था'।--श्रीनिवास ग्र ०, पृ॰ ३८४ । यौ०- एडिटरपोशी= अपने अनुकूल करने के लिये सपाइको का आय. एड्रेस--सच्चा पु० [अ०] दे॰ 'अड़ेस। पोषण । उ०+-दीत पीसी हाय हाय, एडिटरपोशी हाय हाय । ए@r)- वि० [सं० प्रात्य या देशी] बलवान् । वली ।-(०) - मारतेंदु ग्र॰, भा॰ १, पृ० ६७८ ।। एण-सच्चा पं० [सं०] [स्त्री० एणी] १ हिरण की एक जाति जिसके एडिटरी-सच्चा स्त्री॰ [अं० एडिटर + हि० ई (प्रत्य॰)] सपादन। पैर छोटे और आँखें वडो होती हैं। यह काले रंग का होवा पैर छोटे और अखें वडो टोर किसी ग्र थे या पत्र को प्रकाशित करने के लिये ठीक करने का है । कस्तुरीमृग । काम् । उ०—‘पच' की एडिटरी चिरकीन के शागिर्दो का काम यो०- एणतिलक, एणभृत्, एणताछन= चंद्रमा । नही’ - प्रताप, ग्र०, पृ० ६११ ।। एणहक- संज्ञा पुं० [सं०] *क राशि (को॰) । एडीकाग- सा पुं० [अ०]१ वह कर्मचारी जो सेना के प्रधान सेनापति एणी - सच्चा स्त्री० [सं०] हिरणी (को०)। को अाज्ञा का प्रचार करता हो और काम पडने पर उमको योर एणीदा--सच्चा पुं॰ [सं॰] एक प्रकार का ज्वर । एक प्रकार का से पत्रव्यवहार भी करता है। एडीकाग प्रधान शरीरक्षक सन्निपात ।--माधव०, पृ० २१ । का काम भी करता है । २ प्रधान शरीरक्षक। एणीपद-सधा पु० [सं०] एक प्रकार का माप [को०] । एड - संवा स्त्री० [स० एडूक= ही या हड्डी की तरह कंडा,] टखनी के एणीपदो-सज्ञा स्त्री० [सं०] एक जहरीला कीड़ा। पीछे पैर की गद्दी का निकाला हुआ भाग । एडौ । एत -वि० [सं० इयत्] ६० एना' । उ॰—छोरि उदर ते दुम क्रि० प्र०—देना ।—मारना ।—लगाना । दाँवरी डारि कठिन कर वैत । कहि घ री तोहि क्यो कर मुहा०—-एड़ करना=(१) एड लगाना । (२) चल देना। रवाना अव सिसु पर तामस एव ।—सूर० १०॥३४९ ।