पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१६८

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एनडोर्स एत–वि० [सं०] १ मिश्रित रग का | २ चमकता हुआ । ३ मुहा० ----(बि सी का) एतवार उठना = किसी के ऊपर मे लोग, यगित । प्राया ग्रा । ४ गतिशील । गमनशील [को०]] फा विश्वास हटना । (किसी का) अविश्वास होना । जैसे,-- एत--सच्चा पुं० १ हिरन ! मग । मृग की ऊँचाई । ३ मिश्रित 'उनका एतर उठ गया है इससे उन्हे फही उधार भी नहीं | रंग (को॰) । मिलता । एतवार वोन। - अपने ऊपर से जोगा का विश्वासू एतक -वि० [ स० एतावत्, प्र० एतिअ, एत्तिक ] इतनः । हटाना । जैसे,—नुमने झपनी चीन से अपना एतवार घो। एतना । उ०--एतत कष्ट सहा दुख अगा |--कवीर सा०, दिया । एतवार जमाना = विश्वास उत्पन्न होना। पृ० २८२। । एतवारी--वि० [अ०] विश्वसनीय । विश्वास करने योग्य [को०] । एतकादसी पुं० [अ० एतकाद] विश्वास । गरोस । ३० एतमाद--सा पुं० [१०] विश्वम । प्रतीति । भरोचा । उ०---गान , मत रज कर किसी को कि अपने तो एन काद 1 दिन हाय कर तुझ र छ एतमाद नही। जिदगानी को पा भरोसा है । जो कावा बनाया तो क्या इम्रा |--कविता कौ०, --कविना कौ०, ६० ४, १० ४६ } मा० ४, पृ० ६८ । एतराज- • स पुं० [अ०] विरोध । अापत्ति । नुक्ताचीनी । । क्रि० प्र०-~-जमना = दई विश्वास या भरोसा होता। एतली’- वि० [हिं०] दे॰ 'एतना। उ० -त गुणते एतनी, दूर एतत्, एतद्--सर्व० [म०] यह । या दूत ।- ० ६०, पृ० १७७।। विशेष :-- इसका प्रयोग योगि+ या म मस्त पद बनाने ही में अधिक । यक एतवार--सद्मा पु० [सं० अादित्यबार] ६० 'इतबार' । होता है, जैसे -- ए इ शोष, एउद्वि पयके । एतवारी–सा स्त्री० [हिं० इतवार] १ वह दान जो रविवार को एतदनुसार--क्रि० वि० [म० एतद् + अनुसार] इसके अनुसार । इसके दिया जाना है। २ पेमा जो मदरसो के लड़के प्रनि रविवार समान । इसके मुग्राफिक । 'एतदनुसार अाज हमारी को गुरु जी या मानवी माहूदे को देते हैं । ३ एनपार संबधी होली है ।---प्रता1० ग्र०, पृ० ५०२ । चाय या वन्नु । एतदर्थ---क्रि० वि० [स०] १ इम के लिये। इसके हेतु । २ इमलिये। एता --वि० [स० इयत] [पी० एती] इतना । इस मा) का । | इस हेतु । उ०- (क) काहे क एन नि या पारा, यह तन जरि वरि एतदवधि--प्र०प० [म०] इम सीमा तक । अप तक (को॰] । ह्व है छारा 1---फवीर 5 ०, पृ० ११८ । (च) देवि री हुरि एतदाल- महा पुं० [अ०] [वि॰ मुअनादिल] १ बराबरी । समता । के चचल तारे । केमल मीन की कहैं एती छवि वजन है न न कमी न अधिकता । १ फारसी के मुकाम नामक राग जान अनुहारे ।-मूर०, १०५१७९७ ।। का पुत्र । एतादृश-वि०म० एतादृश][f० बी•एताशी]ऐसा । इसके समान । एतद्देशीय--- वि० [सं०] इस देश का। इस देश से तबध रखनेवाला । एतदृस –वि० [सं०] दे॰ 'एनादश' । उ मसरु एतादृस अवध। उ०— अत वे जो वाने नियत कर गए हैं। एतद्देशीय जलवायु निवानुमानस २६८।। एवं प्रकृति के अनुकूल ही नियत कर गए हैं ।---प्रताप० । एतावत्--वि० [स] इतना [को०] । ग्र०, पृ० ६७२ ।। एतावता---क्रि० वि० [सं०] इस कारण । इसf7ये । अत । उ०— एतद्विपयक–वि० [सं०] इस सवध का । इस विषय से स द्ध। ‘एतावता हैं यह नहीं कह सकता कि इन विपय पर उसमें उ0- एतद्वियक कानून बनाने की नौबत आई तर कान खड़े क्या लिखा है ।—हम्मीर० (भू०), पृ० ४ । हुए हैं'–प्रताप ग्र ०, पृ० ४०४ । एतिक –वि० सी० [स० एतावत ५० एत्ति, एतिक (शौ०)] एतन--सच्चा पुं० [सं०] १ श्वाम् । नि प्रवास । २ एक प्रकार की इतनी । उ०- जैतिक सैले मुमेरु घरनि मैं भुजसरि प्रान मछली । मिलाऊँ। सप्त समुद्र देउँ छातीवर, एति के देह वेडाऊ -- एतना -वि० [स ० एतावत] [स्वी० एतनी] ० 'इतना'। उ०— सूर० ६/१०७ । (क) एकता कहत ठीक भइ बाएँ —मानम, १९२ । (ख) एथ)---क्रि० वि० [सं० अत्रे, प्रा० अत्य ] दे० 'या' । उ०~~-लागा एतना वलि कहत मुख, उठी विरह के अगि—जायसी | घर्ध लेणई, मायो गुमले एथे।---7|कोदासे ग ०, भा० ३, पृ० २६ । । एव–सवा पुं० [सं०] इधन । ईंधन [को॰] । एतनिक -वि० [स० एतावत्, प्रा० एप्रि ] ३० 'इतनक' ।। एधसू-सच्ची पुं० [म०] १ ईधन । २ वद्धि । अभ्युदय (को०] । ३०--(क) एतनिक दोस विरचि पिउ ठा। जो पिउ अापन | अपन एधित--वि० [सं०] १ afद्वत । पूर्ण । 'भरा हुअा (को॰] । - कहै सो झूठा !-—जायसी ग्र ० (गुप्त), पृ० १७८ ] एन --संज्ञा पुं० [म० एण] [स्त्री० एनी] दे॰ 'एण' । उ०—(क) एतवार-संज्ञा पुं० [अ०] विश्वास । प्रीति । धाक । साख । ४० - कहै कवि गग कुल एननि को चैनहर नीलपट ओट नैना ऐसे आप जो कुछ करार करते हैं । केहिए हम एतबार करते हैं। दमकत हैं ।-गग०, पृ० १० । (य) एनी की अँचियनि ते –शेर०, भा० १, पृ० १४५ । नीकी अँखियानि |--स० सप्तक, पृ० २५१। । क्रि० प्र०—करना ।—मानना ।—होना । एनडोसं-सृशा पु० [अ० एनडोर्स]१. हु डी अादि की पीठ पर हस्ताक्षर मुख, उ १० १०," एतनि