पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/१८८

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( १४३ } सझर्मक-बालिकया पुस्तकं पठितम्- लड़की ने पुस्तक पढी । बालिकाभिः पुस्तकं पठितम्---लड़कियों ने पुस्तक पढ़ी अस्माभिः पुस्तके पठितम्----हम ने पुस्तक पढ़ी युष्माभिः पुस्तकं पठितम्- तुम ने पुस्तक पढ़ी। केवल ने’ ‘सर्वत्र' । परन्तु गत्यर्थक धातुओं में - बालकः काशी गतः-लड़का काशी गया बालिका वृन्दावनं गता-लड़की वृन्दावन गई ३’ विभक्ति नहीं है। संस्कृत में भी तृतीया विभक्ति नहीं है । न बाल कैन’ और न लड़के ने । पूरी समता है । यदि क्रिया प्रेरणात्मक हो, तब भी प्रयोजक ‘क’ उपर्युक्त स्थलों में निर्विभक्तिक ही रहेगा--- मा बच्चे को दूध पिलाती है । वर्तमान ) । मा बच्चे को दूध पिलाएगी { भविष्यत् काल } सा बच्चे को दूध पिलाए ( विधि या आज्ञा } सालिक नौकर से काम करता है ( वर्तमान ) मालिक नौकर से काम कराएबई ( भविष्यत् काल ) मालिक नौकई ये काम झकाइ ६ विधि-झाझा )। भूतकाल में अकर्मक क्रियाएँ भी प्रेरणा भै सकर्मक हो जाती हैं--- मा बच्चे को सुलती है ( बर्तमान ) मा बच्चे को सुलाए । भविष्यत् ) मा बच्चे को सुलाए । विधि-आज्ञा ) भूतकाल की प्रेरणा में अकर्मक क्रिया न मिलेरी । तब उसका निर्वि- भक्तिक प्रयोग भी न होगा, ‘ने लगेगी-- मा ने बच्चे को सुलाया ( भूतकाल ) बच्चे ने मा को उठाया ( भूतकाल ) सकर्मक क्रिया के ( प्रेरणा में ) मुख्य तथा गौण, दो कम हो जाते हैं । तब भी विभक्तियों के ( कर्ता कारक में ) लगने के नियम में ही रहते हैं।