पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२०३

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४-५ में, ५: ये हैं तथा ‘पर' विभक्तियाँ अधिक कार्क में लगी हैं : भीतर कई चीज हो, तब में 7 प्रो-बड़े में पानी है। ऊपर ई चीज , इस पर-घ पर श्री ३ आता है । यह पश्लेषिक' २९ । ‘अ’ का - * ॐ तथा ‘औ से उपले हैं। वैषयिक किर भी ना ३० ‘ने अन ६ में है। वैराग्य’ को ‘भन' से इप-बन्छ नहीं हैं. इ-दिपक मन है । होरा अभिव्यक ॐ बताए हैं, इन्दु व करइ क *श्लेदिक ही हैं- 'डार में : ३' औः *लिंई में तेल है'। इन अन्दर है कि यहाँ ६ व्युइक्र है, जहाँ सब । “ ॐ तित हैं एश्लेषि अधिकर, हुन्छ कि निकले हुए तेल में तिल प हौं । तिनतः हे तिल सेल' के आधार है, अधिकार है। इस हर दूध मिझा हैं श्री ‘इली में खांस है अम्।ि दुध था इस सिं -स्त्र के आधार ही हैं, ६ प्रकार ॐ । मुझे हैं दिल्ली में कह दुला लो’ धान्य में दिल्ली डेझर है और उन से १ कोई जगह } “इ” है, पहुँचने की जाई ।। थिइ के नये : ४ ॐ ॐ अनन्तर दूसरी क्रिया हो, तब अथ क्रियः-शब्द् के दस रूप विभाजित गती हैं---

| १–ी तरह का चुनें एक ही बढ्गः ३-३ ॐ ॐ जान कर ! छिंन्द ? गया म वाक्य में सोने का तथा 'चलने का कुर्ता एक ही है, द्वितीय में कोई चला गया है, तब कोई तुला सो ? है ! संस्कृत के 'रामे वे गोविन्दः सु' की तरह सुझए । अ इ है कि इन गये पर' ( था ‘ज पर ) थी 'न इगः । यद्यपि त दो ही छाया हिन्दी में-- ३. रामः तः २-: काव्यं पति १२ शा २००८ ३ ६ पड़ा । । म , दर 7 ' २६ मे फायै हिं' के हँग . प.--- = ” इ २४ के कपड़े ” अब हिंदी में वीकार च) किं, ६ । राम के बार' तथा ' के कर पढ़ लेने पर जैसे लि दक्ष- य य ई; च “ था ‘ए’ भी हिन्दी की

झूद है क्रियाएँ हैं. इन 4 लिए-च- दाम-शब्द झी तरह चलते-