पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२०७

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‘भेद्य'‘भेदक'भाव

सम्बन्-प्रत्ययों से लेद्य-भेदक भाव विशेषतः प्रकट होता है। राम के चार गौ हैं। यहाँ सम्बन्ध मात्र विदित है । परन्तु “राम का लड़का यह नई है में औद्य-भेदक शव बुख्य है। लड़का भेद्य है और राम का भेद है। देश के अनुसार भेदक रहता है । भेद्य के लिङ्ग-वचन ही सेंदङ्ग में रहे हैं-

तुम्हारा काम

       तेरे काम, तेरी बात

देखने से सच स्पष्ट हो जाएगा | ‘कान' भेदक है एक वचन; इसी लिए

  • तुम्हारा ४ वैन । तुम बहुवचन, उसी का रूप ‘तुम्हारा है । संस्कृत

में भी यहीं पद्धक्षि हैं-युरुदयः पुत्रः-*तुम्हारा लड़का' । प्रकृति में बहुत इंटे पर भी भेद्य के अनुसार रूप हैं-युष्मदीयः-*तुम्हारा । भेद्य (पुत्रः तथा लड़का' ) बहुवचन कर दें, तो ( प्रकृति में एकत्र रहने पर भी ) प्रयोग इदचन होना- लड़के। एक है, तेरे लड़के बहुत है । तुम्हार खेद'-'तुम बहुत हो, तुम्हार खेत एक ही है। राम की लड़की-भ पलिङ ३: प्रर राम की लड? जीलिङ्ग है। इसी लिए राम की। यानी सम्ञन्ध में भेद के अनुसार भेदक रहर हैं। ‘भेदक' इस लिए कहते हैं कि यह भेद करता है । ‘लड़का पढ़ता है' कहने से लड़क' सामान्य प्रयोग है। कुछ पता नहीं लगता कि किसे का लड़का है, जो पढ़ रहा है ! परन्तु

  • ; लफा पढदा है” “तेरे लड़के पढ़ते हैं प्रयोगों में भेदक १ राम

फा' तथा 'हे') ॐ पितृत्व स्पष्ट हो बाल हैं। बहुत साफ थइ कि जैसे विशेष के अनुसार विशेषण इता है, उसी इरई भेद्य के अनुसार भेदक रहा है-- विशेष मा फत, मीठे खरबूजे, मीठी रोटी भेदक- फल, तेरे दरबूजे, तेरी रोटी वो फिर देर लु' आदि में देश को विशेष और 'फल' को विशेष्ठ अौं न आते ? विशेष पने विश्ष्य दूसरों से व्यावृत्ति करता है।