पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२२

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परदेशी विद्वानों ने विदेशियों और परदेशियों को हिंदी सिखाने के लिये हिंदुस्तानी या हिंदी व्याकरण लिखे। यूरोप निवासी पादरियों और भाषाशास्त्रियों के व्याकरण यूरोपीय भाषा के व्याकरण के नमूने पर लिखे गये थे और उनमें अधिकांश जनता की सामान्य बोलचाल की भाषा को ही आधार माना गया था। | हिंदी व्याकरण के निर्माण का दूसरा दौर विक्रम की बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ से चलता है जब कि हिंदी के विस्तृत भूखंड में जन-शिक्षा का प्रचार होने लया । प्रारंभिक पाठशालाओं में छात्रों को हिंदी भाषा बोलना और लिखना सिखाने के लिये पाठ्यक्रम में व्याकरण की श्रावश्यकता का अनुभव शिक्षा- ‘धिकारियों ने किया। प्रारंभ में पादरी अादिम साइन का व्याकरण ही काम में लाया गया परंतु पीछे देशी पंडितों ने भी छात्रोपयोगी हिंदी व्याकरण की रचना की । प्रारंभिक व्याकरणों में भाषा चंद्रोदय' जिसकी रचना सं० २०१३ ६ १८५६ ई० ) के लगभग बिहार के पं० श्री लाल द्वारा हुई थी और भाषा-तत्व-बोधिनी' अर्थात् हिंदी भाषा का व्याकरण जिसे 'श्रीमान् अति दयावान नारमल पाठशालाध्यक्ष श्री ट्रेशम साहिब की श्रद्धा से रामजसन पंडित ने बनाया और जो बनारस भारमल कालिज में छापी गई सं० १८५८ ई०' में बिशेष प्रसिद्ध हैं । भाषा चंद्रोदय' बिहार की तथा भाषा तत्वबोधिनी तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रदेश ( अाज के उत्तर प्रदेश ) की पाठशालाओं के पाठ्यक्रम में निर्धारित थी। इसी समय उर्दू मार्तण्ड' नाम का भी एक व्याकरण प्रसिद्ध था जिसका उल्लेख नवीनचंद्र राय ने अपने ‘नवीन चंद्रोदय' में किया है। बावू नवीनचंद्र राय एक बंगाली सुजन थे जिन्होंने पंजाब में हिंदी के प्रचार का प्रशंसनीय कार्य किया था। इन्हीं के अथक उद्योग से रंजान विश्वविद्यालय में प्राफिसिएन्शी' और 'हाई प्रोफिसिएन्सी' नाम की दो परीक्षा हिंदी में नियल हुईं। उन्हीं परीक्षात्रों के पाठ्यक्रम के लिये नं ० १६२५ ( १८६८ ई० } में श्री नवीनचंद्र राय ने नवीन चंद्रोदय' नामक व्याकरण ग्रंथ की रचना की । इसकी भूमिका में बाबू साहब ने उर्दू मार्तण्ड’ के संबंध में लिखा है कि उसमें यद्यपि हिंदी शब्दों के रूप सिद्ध हुए हैं, वस्तुतः उसका उद्देश्य उर्दू भाषा के नियम ज्ञापन से है, इसलिए हिंदी के यथार्थ व्याकरणों की गिन्ती में से उसे निकाल देना चाहिए । १ नवीन ३. नवीन चंद्रोदय, १९१५ ई० का सुंस्करण, पंजाब इकनोमिक यंत्रालय लाहौर |' से मुदित ग्रंथकार की उक्ति–'ख' ।