पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२६८

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३ २२३ } १-ये पुस्तकें मुझे अच्छी लगी ३---वे पुस्तकें अच्छी नहीं हैं। दोनो जगह विधेय-विशेषण' हैं । १---थे पुस्तके मैं अच्छी तरह समझता हूँ। ३---इन पुस्तकों को मैं अच्छा समझता हूँ यहाँ दोनों जगह क्रिय-विशेश हैं-समझने की विशेषतः स्पष्ट हैं। इन पुस्तकों को मैं सभइतः ॐ ऐसा निर्विशे प्रश्र भार है । ‘अन्च्छा सुमझता हूँ में जोर हैं-बूब समझता हूँ। यह बात संशः-शेप कर देने से न बने -- १३ ॐ ॐ श्री समझता २-बेंद में अच्छे समझता हूँ। ये दोनों प्रयोग कि नहीं। सुंज्ञा-विशेश होने से क्रिया में कोई विशे- धता नहीं जान पड़ती । क्रिया-विशेष साधारणतः पुंव-कवचन में रहता है और संज्ञा ॐ को लु जाने पर उस का विशेष भी--- १---वेदों को मैं अच्छा समझता हूँ २--इन पुस्तकों को मैं अच्छा समझता हूँ यौं समझने की की 'वेद' की विशेषता व्यक्त हो । तरह इन्द बी-लिङ्ग हैं और अच्छा' शब्द उस के साथ लग्र कुए अच्छी तर क्रिया-विशेड - बेद को मैं अच्छी तरह समझता हूँ। 'ये पुस्तकें ॐ श्री समझता हूँ में अच्छी’ अदि संज्ञा-विशेध है; तो चाहिए --मैं समझता हैं, ये दुत अच्छी हैं । ( अन्न खड़े कर दें की अपेक्षा छात्रों को खड़ा कर दो’ अधिक अच्छा हैं ।) इस तरह लड़कियों को खड़ा कर दो श्रादि । परन्तु लड़ा कर दो में खड़ा विशेप नहीं हैं। संयुक्त किया है। खड़ा करना एक क्रिया है, केवल रना नहीं ।