पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३००

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ऐसा निश्चय नई ? केकले कामना र है; असीस हैं। इसी लिए नई अव्यय न दिया ज्ञा गर । *अय न अाए या यहाँ ६ वही बात है। न झाने का निश्चय नहीं है। एक सुझाव या प्रथा है । वह भ ा किं नई, यह पक्का नहीं हैं। इसी लिए नु' श्वव्यय हैं, ई नहीं है इस गृह नहीं हैं झै उस्थिति का इल से निवेध है। मालूम हैं कि राम याँ ३६ हैं। रन्तु ' न हो, न उस के भाई को ही बुला ल य इस ॐ न होने दें पूर निळू ; ; इ लिए, ३ व्यर्थ हैं। सुम्बिनु । निश्चय केले हो । अg न १ ३ ३ ६ ६ ६ वहीं शि हैं । परम्लु–दुई श्रा६ बर। नई में न बने । रू हैं । ६ ५ । ३ ।। यहाँ ” निषेधार्थक नहीं, इयर्थक है। सारतः सिद्ध क्रिया के साथ नह' और स’ Yथ “न’ आता है ।।

  • ॐ रूपान्दम्

अब ' मैं इतना । विधा नहीं रही है, तब इस्ट का रूप बदल जाता है । अनि झन् स क ी इशा फ्राः इ । हैं ! मास में उछ र विधयक्षः जाती रही हैं। ली के साथ नथी हो जाने का अद्द फल है। संस्कृत के 'एकाद’ ‘वाद देखिए ! 'क' की

  • का’ र ‘द्वि' का 'द्वा’ रूप हो गया हैं। हिन्दी में दुतरफ दुमंजिला

रिना' में 'द' का दु' और 'ढ' या चिं' हैं? यह है ! ‘न' भी अब मास में पडू' हाता है, जो रूप बदल लेता हैं; कठिनाई से पहचान में रता है कि यई ' का ही रूप है ! र ६ नु नहीं हैं। झक्क न राई राम ः न दे देर ? यहाँ सर्न न’ के द्वारा निये का विधान है। श्रन्दु--- प्रसाहित्यिक जन व न जाने बाई हैं। साहित्यिक संस्थाओं में भी साहित्यिॐ मिल सकते हैं। अहिंसक लोग क्रूर ते ।