पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३०३

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इन के विशिष्ट प्रयोग हैं। अन्यत्र होने पर भी, प्रयोगों पर अच्छी तरह ध्यान देने से ऐसा लगता है कि इन की एक पृथक् श्रेणी माननी ही चाहिए; भले ही फिर अर्यों की ही एक विशिष्ट श्रेणी फहें । प्रयोग-भेद से ही शब्दों का अशी-भेद मात्र है | उपसरा' शब्द में उप’ भी ध्यान देने योग्य है। ‘प्रार’ अाहार विहार' श्रादि में ‘प्र’ ‘आ' तथा 'वि' शब्द हार' के साथ लग कर अर्थ कुछ का कुछ कर देते हैं । परन्तु स्वतन्त्र इन का प्रयोग नहीं होता। अव्ययों का स्वतन्त्र प्रयोग अवाध गति से होता है। हिन्दी में एकाध उपसर्ग संज्ञा या क्रिया के रूप में जरूर चलता है। पर ऐसी स्थिति में उसे उपसर्ग न कह कर 'संज्ञा यो ‘क्रिया' ही कहेंगे-‘पुस्तक की चार प्रतियाँ’ और ‘राम आता है' में प्रति’ संज्ञा तथा ‘अ’ घातु है। काम-भेद से नाम-भेद । परन्तु साधारगृतः सभी उपसर्ग किसी शब्द की मदद भर करते हैं, स्वतन्त्र रूप से पृथक् : केर काम नहीं करते । उपसर्ग तथा अव्यय के इस प्रयोग-भेद को ध्यान में रख कर ही महर्षि यास्त्र ने-‘उपसर्ग निपाताश्च पृथक उपसर्ग शब्द गृहीत किया है और शब्दों का यिाशः विभाजन करते हुए उपसर्ग' को अव्यय से पृथक् माना है। परन्तु उपसुग में भी अव्ययत्व है हीं; इस लिए एक साथ दोनों को नत्थी फर के उपसर्ग निपाताश्च कह दिया है। निंपात’---- अव्यय । 'उपसर्ग' नाम से भी इस श्रेणी के शब्दों की विशेषता जान पड़ती है। संज्ञा, विशेषण, क्रिया, अव्यय अादिं अर्थ-सृष्टि करने में स्वतन्त्र हैं; सब के स्वतन्त्र प्रयोग होते हैं; परन्तु संस्कृत के 'x' उत्’ आदि और हिन्दी के 3' श्रादि स्वतन्त्र नहीं आते । इसी लिए ‘उपसर्ग' । | हिन्दी के 'अपने' उपसर्ग “उ” तथा “नि' जैसे हैं। ‘उचक्का’ ‘उजड़ना श्रादि में 'उ' है, जो ‘उत्' के 'तु' को अलग कर के बना लिया गया है।

  • नि’ उपनाई ‘निखट्ट ‘निधड़क' आदि में है। यह संस्कृत के ‘निर्' से ५५

अलग कर के इनाया गया है। संस्कृत में नि' उपसर्ग भी है। परन्तु एक सिद्धान्त हिन्दी की विकास-पद्धति में यह दिखाई देता है कि 'अपने' या तद्भव शब्दों में हिन्दी लँङ्कत के तद्प उपसर्ग नहीं लगाती है। इस लिए हिन्दी के 'नि' उपसर्ग के निर्’ को ही तद्भव रूप मान लेना चाहिए। संस्कृत में ‘प्रहार विहार' यादि कृदन्त शब्दों में ही नहीं; ‘प्रहरति’ थिइरलि' अदि अळ्यात ( क्रिया ) शब्दों में भी उपसर्ग लगते हैं-खूब लते हैं। परन्तु हिन्दी में ऐसा नहीं होता । खाता है। पीता है अदि के