पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३०८

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कहो, ‘बगड़' कहो; क्योंकि वह किसी दूसरी चीज से बनी है; इ कई कर कोई ‘बराई।' शब्द दे, तो कैसा रहेगा ? द ऊनी चादर के लिए, ‘भाई भी बहे गा ! हमें कुछ विशेष नही कहना है--‘परसर' ही सही ! जो कुछ इम ‘विभक्ति के बारे में कई आए हैं, परसर्ग' के बारे में समझा जाए ! हिन्दी में विभक्ति' ही नहीं, अन्य साधारण प्रत्यय भी पृथके लिखे जाते हैं । 'शहर' सावधानी श्रादि में ई' तद्धिद प्रत्यय सुट फर हैं, प्रकृति से; परन्तु बाड़ी छूटने ही की थी कि में पहुँच गया, और ‘ई छूटने हे वाली हैं। जल्दी ज्ञाओ, यइ ‘क’ की ही तरह बाल कृदन्त-प्रत्यय में प्रकृति से बहुत दूर है । तो, ऐसे प्रत्यर्थी का नाम क्या सि' रखा जा ? सब तुमशः हैं !